7 पीढ़ियों के मोक्ष के लिए 7 बीघा जमीन दान कर खर्च किए 21 लाख रुपए, खुद रहते हैं कच्चे घर में
झाबुआ। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के गांव घुघरी के एक शख्स ने अपने परिवार की सात पीढ़ियों के मोक्ष के लिए न केवल 7 बीघा जमीन दान कर डाली बल्कि भव्य मंदिर के लिए 21 लाख रुपए में 24 देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मंगवाई हैं।
33 मूर्तियां और मंगवाई जाएंगी
जानकारी के अनुसार गांव घुघरी निवासी भगवान सिंह शक्तावत व उनके परिवार की इच्छा है कि गांव में ऐसे भव्य मंदिर का निर्माण हो, जिसमें 57 देवी देवता विराजें। 24 मूर्तियां मंगवाई जा चुकी हैं। 33 मूर्तियां लाएंगे। भगवान सिंह ने अपने परिवार की सात पीढ़ियों को मोक्ष प्राप्ति के लिए यह फैसला लिया है। शक्तावत का खुद का परिवार कच्चे घर में रहता है, मगर उन्होंने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए गांव में भव्य मंंदिर के लिए एक बीघा और पुजारी परिवार के लिए 6 बीघा जमीन दान कर चुके हैं। इसके अलावा 21 लाख रुपए खर्च 24 देवी-देवताओं की मूर्तियां मंगवाई है, जो गुरुवार पहुंची हैं।
15 सदस्यों की टीम लेकर आई मूर्तियां
राजस्थान से नंदी, गणेशजी, एकलिंगनाथजी शिवलिंग, कछुआ, पृथ्वीदेवी, मां महाकाली, महाकाली माता, नौ ग्रह शनि देव, शुक्रदेव, सूर्यदेव, राहुदेव, केतुदेव, मंगलदेव, बुद्धदेव, बृहस्पतिदेव, बाणेश्वरी माता, नागणेचा माता, साडू माता, चंद्रदेव, नागदेव, नागीन माता, बालाजी और शनि देवदायी आदि सहित 24 मूर्तियां लाई गई हैं। सभी मूर्तियां संगमरमर से निर्मित हैं और काफी खूबसूरत भी हैं। 8 से 12 क्विंटल वजनी मूर्तियों को उतारने के लिए 15 सदस्यों की टीम राजस्थान से आई है।
क्रेन से उतरवाई मूर्तियां
बता दें कि मूर्तियों को ट्रक से उतारने के लिए क्रेन भी मंगवानी पड़ी। सभी मूर्तियां गांव की विशेष कुटिया में रखी हैं। उनके दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा है। यहां चर्चा हो रही है घुघरी के भगवान सिंह शक्तावत की। लंबे समय से उनके मन में इच्छा थी कि गांव में महाकाल मंदिर धाम और शनि धाम बने। इसमें नवग्रह देवता और महाकाली माता के साथ 57 देवता विराजें। इसके लिए उन्होंने फोरलेन की अपनी एक बीघा जमीन मंदिर के लिए दान कर दी। पुजारी के भरण-पोषण के लिए छह बीघा जमीन वे पहले ही दान कर चुके हैं।
मकराना से लाए हैं मूर्तियां
बता दें कि भगवान सिंह शक्तावत ने 600 किमी दूर राजस्थान के मकराना शहर से मूर्तियां मंगवाई हैं। वहां से तीन ट्रकों में 24 मूर्तियां लेकर गुरुवार गांव लौटे। गांव पहुंचते ही ग्रामीणों ने ढोल-ढमाकों और आतिशबाजी के साथ स्वागत किया। मूर्तियों को गांव में विशेष कुटिया में रखा गया है, जहां बिजली और पंखे की व्यवस्था है। मंदिर निर्माण होने तक देवताओं की मूर्तियां इसी कुटियां में रहेंगी। उनका कहना है कि अब जनसहयोग से राशि जुटाकर शीघ्र ही मंदिर निर्माण शुरू करेंगे। मंदिर या किसी भी मूर्ति पर उनका या परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं होगा। मंदिर सार्वजनिक होगा और सभी यहां आ सकेंगे। परिवार में 5 सदस्य हैं।