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दतिया मंदिर भगदड़: हादसों से सबक न सीखने पर होते हैं हादसे

By संदीप पौराणिक
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Stampede in Datiya
दतिया/भोपाल। धार्मिक आयोजनों में भगदड़, हादसे, मौतें और फिर आंसू बहाकर मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे मंजूर कर देना हमारी सरकारी मशीनरी का हिस्सा बन गया है। ये हादसे फिर न हों इसके दावे तो बहुत होते हैं, मगर इंतजाम न के बराबर। नतीजतन हादसे-दर-हादसे होते रहते हैं। कम से कम मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ में हुआ हादसा तो यही कुछ बताता है। रतनगढ़ माता मंदिर के करीब शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन जयकारों की बजाय चीत्कार और रुदन के स्वर सुनाई दे रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुगरें के स्वर हर किसी को द्रवित कर देने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने अपनों को तब खोया है, जब वे देवी के दरबार में सुनहरे कल की कामना के लिए जा रहे थे।

रविवार सुबह रतनगढ़ माता मंदिर से पहले सिंध नदी पर बने पुल से सैकड़ों वाहनों पर सवार और पैदल हजारों श्रद्घालुओं का रेला बढ़े जा रहा था। पुल पर गुजरती भीड़ को व्यवस्थित मंदिर तक पहुंचाने के लिए महज आठ से दस जवान ही तैनात थे। भीड़ के बढ़ते ज्वार को संभालने के लिए पुलिस के जवानों ने हल्का बल प्रयोग किया तो भीड़ में भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को रौंदकर तो वाहन पैदल चल रहे श्रद्घालुओं को रौंद कर भागने लगे। श्रद्घालुओं ने अपनी जान बचाने के लिए पुल पर से छलांग लगा दी।

इस हादसे में अबतक 85 श्रद्घालुओं के शव बरामद हो चुके हैं और नदी में जल के बहाव के साथ कितने बह गए हैं, इसका अंदाजा किसी को नहीं है। वहीं 100 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने हादसे की वजह चूक मानने से इंकार नहीं किया है, मगर वह पुलिस के बल प्रयोग की बजाय पुल टूटने की अफवाह को हादसे की वजह मान रहे हैं। रतनगढ़ में हुआ यह कोई पहला हादसा नहीं है, इससे पहले 2006 में इसी दिन अर्थात शारदीय नवरात्र की नवमी को नदी में अचानक बहाव आने से 49 लोगों की पानी में डूबकर मौत हो गई थी। उसके बाद सरकार ने पुल बनवाया, मगर रविवार को वही पुल हादसे का कारण बन गया। तब सरकार ने जांच के आदेश दिए थे, कुछ अफसरों पर कार्रवाई भी हुई थी, मगर हादसे को नहीं रोका जा सका। इस बार फिर हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

इसके अलावा राजधानी भोपाल के करीब सलकनपुर मंदिर और करौली माता मंदिर में भी भगदड़ और कई लोगों की मौत के हादसे हो चुके हैं। मगर सरकार ने ऐसे कोई इंतजाम नहीं किए, जिनसे इन हादसों को रोका जा सके। राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, अजय सिंह ने रतनगढ़ हादसे पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि अपने को हिन्दुत्व का ठेकेदार बताने वाले भाजपा राज में रतनगढ़ में ही यह दूसरा हादसा है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है। सिंह ने कहा कि रतनगढ़ में बद इंतजामी का आलम यह है कि घटना के कई घंटों बाद वहां प्राथमिक उपचार तक की व्यवस्था नहीं थी और न ही पानी था। इससे अनेक लोगों ने दम तोड़ दिया।

रतनगढ़ के हादसे ने सुरक्षा-व्यवस्था के उन दावों पर तो सवाल खड़े कर ही दिए हैं, जो सरकार और प्रशासन की ओर से आम तौर पर किए जाते रहे हैं। क्या हम अब भी सबक लेने को तैयार हैं।

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English summary
115 people have been died in Datiya temple stampede in Madhya Pradesh. Big question is that why government is not learning from all these accidents.
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