भोपाल जेल से कैसे फरार हुए आतंकी और पुलिस से क्यों नहीं बच पाए?
अपने सेल से कैसे निकल गए आतंकी? जब सभी जेल से भागे तो फिर बचकर क्यों नहीं जा पाए?
भोपाल। दिवाली की रात भोपाल सेंट्रल जेल से आठ सिमी आतंकियों के भागने के मामले में सीबीआई अंदर के लोगों की भूमिका की जांच में लगी है।
इस मामले में एक उप जेलर और दो जेल गार्ड शक के दायरे में है। जेल से भागने में सफल हुए आठ आतंकियों को लगभग नौ घंटे बाद एक पहाड़ी पर पुलिस ने मार गिराया था।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जेलब्रेक से कुछ दिन पहले ही सिमी आतंकियों के एक प्रमुख लीडर को ए ब्लॉक से बी ब्लॉक में शिफ्ट किया गया जबकि इस एक्शन के बारे में सीनियर अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं दी गई।
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ब्लॉक ए से ब्लॉक बी में आतंकियों की शिफ्टिंग क्यों?
ब्लॉग बी में कुल 17 कैदी थे जिनमें से 8 सिमी आतंकी फरार हो गए। फरारी से पहले आतंकियों ने जेल गार्ड चंदन खिलांते के हाथ-पैर बांध दिए और रमाशंकर यादव की हत्या कर दी।
सूत्रों का कहना है कि नौ सिमी आतंकी फरार होने वाले थे लेकिन उनमें से एक बीमार हो गया। जेलब्रेक के मास्टरमाइंड के साथ-साथ सभी आतंकियों को पुलिस ने खेजरादेव गांव के पास मनिखेड़ी की पहाड़ी पर मार गिराया।
सबसे अहम इस बात की जांच की जा रही है कि सभी आंतकी ब्लॉक बी के अपने सेल से कैसे निकले? अगर उनके पास ताले की नकली चाबी थी फिर भी सेल से निकलना मुश्किल था क्योंकि हर रात ताले बदल दिए जाते थे। ऐसे में यह संदेह है कि उनको जेल से निकालने में अंदर के आदमी ने मदद की।
पहले सेल के अंदर ही फंसे रहे आंतकी
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जब तक रमाशंकर यादव ने ड्यूटी पर होने की रिपोर्ट दी थी तब तक आतंकी सेल से बाहर निकल चुके थे। सेल से निकलने के बावजूद उनके पास बी ब्लॉक के गेट की चाबी नहीं थी, इसलिए वे अंदर ही फंसे थे।
जांचकर्ताओं का मानना है कि वे सेल के अंदर ही अंधेरे में छुपकर रमाशंकर यादव और खिलांते के आने का इंतजार करते रहे। जैसे ही वे आए, आठों आतंकियों ने उन पर हमला बोल दिया।
आखिर आतंकी पुलिस से बचकर क्यों नहीं भाग पाए? इसकी दो वजहें बताई जा रही हैं।
पहली वजह - गार्ड नया था!
हाल ही में भर्ती हुआ एक गार्ड जेल के बाहर दीवारों के पास पहरा दे रहा था। उसने दीवार लांघते हुए आतंकियों को देख लिया था और अलार्म बजा दिया। उस वक्त अंधेरा था और ट्रेनिंग में कमी की वजह से वह सही से एक्शन नहीं ले पाया।
सभी आतंकी फरार हो गए और तलाशी में रमाशंकर यादव की लाश मिली। एक आतंकी का पैर जख्मी हो गया था इसलिए उनके भागने की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई थी।
दूसरी वजह - आतंकी रास्ता भटक गए
आतंकी पिछले पांच-छह सालों से जेल में बंद थे और इस बीच शहर में बहुत बदलाव हुए जिस वजह से वह भागने का रास्ता खोज नहीं पाए और भटक गए। वे मनिखेड़ी पहाड़ी पर पहुंच गए और पुलिस ने उनको घेर कर मार गिराया।
वरिष्ठ जेल अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि फरारी से कुछ दिन पहले दो सिमी आतंकियों के जेल ब्लॉक बदले गए थे। इस बात की जांच की जा रही है ब्लॉक बदलने के दौरान सरकारी प्रकिया को फॉलो किया गया था या नहीं।
कैदियों की शिफ्टिंग का काम देखने वाले एक जेल अधिकारी पर शक की सुई घूम गई है जबकि दो गार्ड्स की भूमिका की भी जांच की जा रही है। ये सभी उस समय जेल में मौजूद थे जब आतंकी भागे थे।