अमित शाह के एक यू-टर्न ने शिवराज के लिए खड़ी की मुसीबत, दो नेताओं के सुर हो सकते हैं बागी
भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दरअसल, शाह ने अपने एक पुराने फैसले पर यूटर्न लिया है। अपने तीन दिवसीय भोपाल दौरे के वक्त शाह ने कहा कि 75 साल के उम्र वाले लोगों के चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है।
भाजपा ने ही बनाया था नियम
बता दें कि बीजेपी ने एक नियम बनाया था जिसके अंतर्गत 75 साल की उम्र के ज्यादा के नेताओं को गवर्नर और गैर एक्गीक्यूटिव पद दिये जाएंगे। शाह ने पार्टी के ऐसे नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल गठित किया था। हालांकि अब अपने ही फैसले पर शाह के यूटर्न के चलते शिवराज के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं।
इन दो मंत्रियों को किया गया था बाहर
दरअसल, पार्टी में 75 वर्ष की सीमा लागू होने के बाद शिवराज ने अपने मंत्रिमंडल से बाबूलाल गौर व सरताज सिंह को उनकी उम्र का हवाला देते हुए हटा दिया था। शिवराज ने कहा था कि पार्टी हाईकमान से ऐसा निर्देश है। शिवराज ने जून 2016 में इन दोनों नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर किया था।
शाह ने कहा
हालांकि शाह ने अपने हालिया दौरे में कहा है कि किसे मंत्री बनाए रखना है और किसे नहीं यह सीएम का अधिकार है। पार्टी में ना तो ऐसा नियम है, ना ही परंपरा की 75 साल के ऊपर वाले लोगों को चुनाव नहीं लड़ना है। शाह की ओर से यह बयान आने के बाद मंत्रिमंडल से निकाले गए नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
पार्टी का हाईकमान का दिया गया हवाला
दोनों नेताओं का कहना है कि क्या उनसे झूठ बोला गया। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शाह के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लालगौर ने कहा, 'मुझे विनय सहस्रबुद्धे और नंदकुमार सिंह चौहान ने हाईकमान की ओर से आए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि था कि पार्टी ने 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेताओं को मंत्री ना बनाने का फैसला लिया है, ऐसे में वो इस्तीफा दे दें।'
दोनों को हटाए जाने का हुआ था विरोध
सरताज सिंह ने कहा कि अब जबकि शाह के बयान से यह स्पष्ट हो गया तो वो इस बात का जवाब मांगेंगे कि आखिर उन्हें मंत्रिमंडल से क्यों हटाया गया। अब यह जवाब तो वही लोग देंगे जिन्होंने उनसे इस्तीफा मांगा था। बता दें कि प्रदेश की राजनीति में बाबू लाल गौर और सरताज सिंह आज भी माने जाते हैं। इन दोनों को मंत्री पद से हटाए जाने का काफी विरोध हुआ था।