90 साल बाद हुई उस पिस्तौल की पहचान, जिससे भगत सिंह ने चलाई थी सांडर्स पर गोली
जिस पिस्तौल से सांडर्स पर गोली चलाई गई वो इंदौर के एक सीएसडब्ल्यूटी म्यूजियम में रखी थी लेकिन इस बात का किसी को पता नहीं था। अब इस पिस्तौल की पहचान कर ली गई है
इंदौर।
90
साल
पहले
17
दिसंबर
1928
को
भगत
सिंह
और
राजगुरू
ने
अंग्रेज
अफसर
जॉन
सांडर्स
की
गोली
मारकर
मौत
के
घाट
उतार
दिया
था।
साइमन
कमीशन
की
खिलाफत
करते
हुए
लाठीचार्ज
में
घायल
होकर
लाला
लाजपत
राय
ने
दम
तोड़
दिया
था।
लाला
जी
की
मौत
का
बदला
लेने
के
लिए
भगत
सिंह
और
राजगुरू
ने
सांडर्स
को
मार
डाला
था।
जिस
पिस्तौल
से
सांडर्स
पर
गोली
चलाई
गई
वो
इंदौर
के
एक
सीएसडब्ल्यूटी
म्यूजियम
में
रखी
थी
लेकिन
इस
बात
का
किसी
को
पता
नहीं
था।
अब
इस
पिस्तौल
की
पहचान
कर
ली
गई
है
और
बड़ी
संख्या
में
इसे
देखने
लोग
पहुंच
रहे
हैं।
इंदौर
स्थित
सीएसडब्ल्यूटी
सीमा
सुरक्षा
बल
के
रेओटी
फायरिंग
रेंज
में
डिसप्ले
पर
भगत
सिंह
की
गन
की
जिम्मेदारी
सीएस
डब्लयूटी
संग्रहालय
के
संगरक्षक
असिस्टेंट
कमांडेंट
विजेंद्र
सिंह
की
है।
उन्होंने
बताया
कि
भगत
सिंह
की
पिस्तौल
के
सीरियल
नंबर
सांडर्स
के
केस
के
रिकॉर्ड्स
के
साथ
चेक
मैच
किया
तो
दोनों
ही
नंबर
एक
निकले
जिससे
वह
बेहद
उस्साहित
हुए।
इस
बात
की
जनकारी
मिलने
पर
कि
म्यूजियम
में
पहली
बार
भगत
सिंह
की
पिस्तौल
की
पहचान
हुई
है,
मंगलवार
को
बड़ी
संख्या
में
इसे
देखने
लोग
पहुंचे।
भगत सिंह की .32 mm की कोल्ट ऑटोमैटिक गन सीएसडब्ल्यूटी सीमा सुरक्षा बल के रेओटी फायरिंग रेंज में 90 साल बाद स्टोर रूम से निकल कर डिसप्ले पर लगाई गई है। सीएसडब्ल्यूटी म्यूजियम में दूसरे विश्वयुद्ध के दौर के भी हथियार रखे हुए हैं।
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English summary
Bhagat Singh Pistol Identified after 90 Years
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