यूपी में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के पास शीर्ष 5 विकल्प
लखनऊ। भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से जुट गई है। इसी कड़ी में पार्टी 5 नवंबर से यूपी में चार यात्राओं की शुरुआत करने जा रही है, जिसमें पार्टी के प्रचार के साथ ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारी की भी तलाश की जाएगी।
मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की तलाश में कई नामों पर चर्चा की जाएगी, जिनपर पार्टी के शीर्ष नेताओं की नजर रहेगी। इन नेताओं को जनता के बीच उनकी लोकप्रियता के आधार पर चुना जा सकता है। आइए डालते हैं उन अहम चेहरों पर नजर जो इस रेस में सबसे आगे हैं।
राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह प्रदेश में भाजपा के लिए अहम हथियार साबित हो सकते हैं। पार्टी इस राजनाथ सिंह के अनुभव और नेतृत्व से वाकिफ है ऐसे में अगर उन्हें प्रदेश में सीएम उम्मीदवार के रूप में घोषित किया जाता है तो अन्य सियासी दलों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लेकिन जिस तरह से राजनाथ ने प्रदेश की राजनीति में आने से पहले भी इनकार किया है वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है कि कैसे उन्हें प्रदेश में सीएम के उम्मीदवार के तौर पर वापस भेजा जाए
स्मृति ईऱानी
स्मृति ईरानी को काफी प्रभावशाली वक्ता के रूप में देखा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उन्हें अपनी बहन बताया था और अमेठी में चुनावी मैदान में उतारा था। ईरानी को एचाआरडी मंत्री भी बनाया गया था लेकिन जिस तरह से उनपर तमाम आरोप लगे हैं वह उनकी राह में रोड़ा खड़ा कर सकता है।
योगी आदित्यनाथ
यूपी की सियासत में योगी आदित्यनाथ काफी अहम स्थान रखते हैं, पूर्वांचल में जिस तरह से उनका प्रभाव है उसे देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। लेकिन जिस तरह से अक्सर अपने बयानों को लेकर वह चर्चा में रहते हैं वह पार्टी के लिए बड़ा मुद्दा हो सकता है कि क्या उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। लेकिन यूपी में ध्रुवीकरण की राजनीति का बोलबाला रहता है, ऐसे में योगी आदित्यनाथ भाजपा के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।
मनोज सिन्हा
केंद्र में रेल राज्यमंत्री की भूमिका निभा रहे मनोज सिन्हा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संघ का करीबी माना जाता है। काम करने वालों की लिस्ट में सिन्हा का नाम काफी उपर आता है और उन्हें कुशल प्रशासक के तौर पर देखा जाता है। ऐसे में मनोज सिन्हा ही भी भाजपा के लिए अहम विकल्प साबित हो सकते हैं। हालांकि उनके सामने जो बड़ी चुनौती है वह यह कि प्रदेश में उनकी लोकप्रियता अन्य नेताओं की तुलना में कम है।
दिनेश शर्मा
लगातार दो बार से लखनऊ के मेयर चुने जाने वाले दिनेश शर्मा को साफ छवि के नेता के तौर पर देखा जाता है और वह मुखर वक्ता के रूप में भी खुद को स्थापित कर चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें सदस्यता अभियान का अध्यक्ष और पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा शाह संघ के करीबी माने जाते हैं, लिहाजा दिनेश शर्मा भाजपा के लिए बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ सकते हैं।