इससे पता चलता है कि मुलायम को लग रहा है डर!
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव हों या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 2017 के विधानसभा चुनावों में हार का डर उन्हें अभी से सताने लगा है। यह डर ही है, जो विकास की बातें छोड़ कर फिर से समाजवादियों ने जातिवाद की राजनीति का रुख कर लिया है। और तो और इस बार ब्राह्मण, मुस्लिम नहीं दलितों को आकर्षित करने की योजना है। मजेदार बात यह है कि सपा के प्रचार करने के तरीकों पर तमाम सवाल अभी से उठने लगे हैं।
चलिये हम आपको बताते हैं कि सपा प्रवक्ता क्या कह रहे हैं और उन पर कैसे-कैसे सवाल उठ रहे हैं'
1. सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि सत्ता में रहते हुए बसपा अध्यक्ष ने कभी दलितों को अपने आवास के पास भी नहीं फटकने दिया।
सवाल- क्या मुख्यमंत्री आवास के पास फटकने से समस्याओं का हल हो जाता है?
2. सपा प्रवक्ता कहते हैं मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में दलित किशोरियों के साथ बलात्कार, अपहरण और हत्याओं की तमाम घटनाएं घटीं।
सवाल- बलात्कार तो सपा के कार्यकाल में भी नहीं रुके हैं, बात अगर दलितों की करें, तो क्या बलात्कारी अब जाति पूछ कर वारदात को अंजाम देते हैं?
3. सपा प्रवक्ता कहते हैं मायावती ने किसी दलित दुखियारे के आंसू पोंछने की कभी जहमत नहीं उठाई। अब जब वे दलितों से भी तिरस्कृत होकर सत्ता से बेदखल हो गई हैं, उनके लिए घड़ियाली आंसू बहाकर उनकी झूठी हमदर्द बन रहीं है।
सवाल- अगर सपा वाकई में दलितों की हमदर्द है, तो यह हमदर्दी चुनाव करीब आने पर ही क्यों दिख रही है?
4. सपा प्रवक्ता कहते हैं कि दलित आंदोलन का सबसे ज्यादा नुकसान स्वयं बसपा प्रमुख ने किया है। बसपा राज में डा. अम्बेडकर की शिक्षाओं को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया। बाबा साहेब ने डा राम मनोहर लोहिया से मिलकर चुनाव लड़ने की राजनीति बनाई थी। समाजवादी आंदोलन से दलित आंदोलन का स्वाभाविक संबंध है। मायावती ने इस गठजोड़ को तोड़ने और बाबा साहेब के आंदोलन को कमजोर करने का काम किया है।
सवाल- डा. राम मनोहर लोहिया की जगह आप सपा के वर्तमान नेताओं के द्वारा किये गये कार्यों कोक्यों नहीं गिनाते?
अब पढ़ें सपा प्रवक्ता के दावे
सपा प्रवक्ता का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने अपने जन्मकाल से समाज के वंचित समुदायों, गरीबों, किसानों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए संघर्ष किया है। मुलायम सिंह यादव ने अपने ही मुख्यमंत्रित्वकाल में राजधानी में विधानसभा के मुख्य मार्ग को डा. अम्बेडकर मार्ग का नाम दिया था। दस हजार अम्बेडकर ग्राम योजना की शुरूआत भी मुलायम सिंह यादव ने ही की थी।
असहाय, शोषित एवं सुविधा विहीन विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए समाजवादी सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जिनमें मुख्यत शैक्षिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान तथा रोजगारपरक योजनाएं शामिल हैं। दलित समाज के छात्र-छात्राओं की मुफ्त पढ़ाई के साथ उन्हें यूनीफार्म, छात्रवृत्ति तथा कन्या विद्याधन एवं पेंशन आदि देने का काम भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।
दलितों को उनकी योग्यता और क्षमता के अनुकूल रोटी रोजगार देने की कोई भी योजना न शुरू करने वाली बसपा का काम केवल समाजवादी पार्टी पर निराधार आरोप लगाकर झूठी आलोचना करना रह गया है। बसपा प्रमुख केवल बयानबाजी करके दलितों की शुभचिंतक बनने का झूठा ख्वाब न देखें तो अच्छा होगा।