शिवपाल ने रामगोपाल यादव के पैर छुए, क्या दिल छू पाएंगे?
रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव के बीच कम होती दिखी दूरी, शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव के पैर छूकर लिया आशीर्वाद
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बाद आखिरकार धीरे-धीरे ही सही पर सार्वजनिक मंच पर यह दूरी कम होती दिख रही है। आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे के उद्घाटन के मौके पर पहली बार पूरा सपा कुनबा एक मंच पर दिखा।
JDU-RLD
ने
किया
गठबंधन
का
ऐलान,
यूपी
में
बदले
समीकरण
कलह
के
बाद
पहली
बार
साथ
आए
इस
कार्यक्रम
में
अखिलेश
यादव,
मुलायम
सिंह
यादव,
शिवपाल
सिंह
यादव
और
रामगोपाल
यादव
एक
ही
मंच
पर
मौजूद
थे।
यहां
जो
एक
खास
बात
दिखी
वह
यह
कि
पार्टी
से
निष्कासित
होने
के
बाद
फिर
से
वापसी
करने
वाले
रामगोपाल
यादव
और
शिवपाल
यादव
के
बीच
की
खाई
कम
होती
दिखी।
जानिए
क्या
है
देश
के
सबसे
बड़े
एक्सप्रेस
वे
की
खासियत
शिवपाल
ने
लगाए
थे
संगीन
आरोप
यादव
परिवार
में
कलह
के
बीच
शिवपाल
यादव
ने
ही
रामगोपाल
यादव
को
पार्टी
से
छह
साल
के
लिए
निष्कासित
करने
का
फैसला
प्रेस
कांफ्रेस
में
सुनाया
था।
उन्होंने
रामगोपाल
यादव
पर
कई
संगीन
आरोप
लगाए
थे।
शिवपाल
ने
आरोप
लगाया
था
कि
रामगोपाल
यादव
भाजपा
के
नेताओं
से
मुलाकात
कर
रहे
हैं,
पार्टी
के
खिलाफ
षड़यंत्र
कर
रहे
हैं।
हालांकि
शिवपाल
यादव
ने
कहा
था
कि
यह
फैसला
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
मुलायम
सिंह
यादव
ने
लिया
है,
लेकिन
इस
फैसले
के
पीछे
शिवपाल
यादव
को
अहम
माना
जा
रहा
था।
मंच
पर
नहीं
की
एक-दूसरे
से
बात
हालांकि
यह
देखना
भी
काफी
दिलचस्प
था
कि
शिवपाल
यादव
रामगोपाल
यादव
से
एक
सीट
छोड़
मंच
पर
बैठे
थे
लेकिन
दोनों
के
बीच
किसी
भी
तरह
की
बात
नहीं
हुई।
ऐसे
में
सार्वजनिक
मंच
पर
पैर
छूने
के
बाद
जिस
तरह
के
संगीन
आरोप
शिवपाल
ने
रामगोपाल
पर
लगाए
थे,
क्या
उसके
बाद
रामगपोल
उन
आरोपों
को
भुला
पाएंगे।
दोनों
ही
नेताओं
ने
मंच
से
लोगों
को
संबोधित
किया
लेकिन
एक
दूसरे
का
जिक्र
नहीं
किया।
दोनों
ही
नेताओं
ने
मुख्यमंत्री
अखिलेश
यादव
की
तारीफ
की
और
एक्सप्रेस
वे
की
तारीफ
में
कसीदे
पढ़े
लेकिन
एक
दूसरे
का
जिक्र
करने
से
बचते
रहे।
चाचा-भतीजे
भी
आए
करीब
इस
कार्यक्रम
में
ना
सिर्फ
शिवपाल-रामगोपाल
बल्कि
परिवार
के
अन्य
सदस्यों
के
बीच
भी
दूरी
कम
होती
दिखी।
अखिलेश
और
शिवपाल
भी
एक
दूसरे
के
साथ
बात
करते
हुए
दिखे,
दोनों
ने
एक
दूसरे
को
पुष्प
गुच्छ
भी
भेंट
किए।
बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी कि मंच पर साथ दिखने वाले इन नेताओं के बीच दिलों की दूरी कम होती है या फिर यह सब आगामी चुनावों को देखते हुए लोगों को संदेश देने की कवायद है।