अयोध्या में रामायण संग्रहालय यूपी में खिलाएगा कमल
केंद्र सरकार अयोध्या में 25 एकड़ के क्षेत्र में रामायण म्यूजियम बनाने जा रही है, जहां भगवान राम की जीवन यात्रा को दिखाया जाएगा। केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने खुद इस जगह का दौरा किया है।
अयोध्या। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से चुनाव की तारीखें करीब आ रही है उसको देखते हुए अयोध्या में राजनीति का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है। एक बार फिर से भगवान राम यूपी की राजनीति के केंद्र में आ गए हैं।
पाकिस्तान
में
चर्चा
में
है
एक
चायवाला,
पूरे
मुल्क
की
कुड़ियां
फिदा
भगवान
राम
के
जीवन
को
दिखाया
जाएगा
केंद्र
सरकार
अयोध्या
में
25
एकड़
के
क्षेत्र
में
रामायण
म्यूजियम
बनाने
जा
रही
है,
जहां
भगवान
राम
की
जीवन
यात्रा
को
दिखाया
जाएगा।
केंद्रीय
पर्यटन
मंत्री
महेश
शर्मा
ने
खुद
इस
जगह
का
दौरा
किया
है।
पाक
से
रिश्तों
पर
क्या
कहा
सुरभि
वाली
रेणुका
ने
एक
तरफ
जहां
केंद्र
सरकार
ने
अयोध्या
में
राम
मंदिर
निर्माण
को
लेकर
किसी
भी
तरह
का
बयान
देने
से
बच
रही
तो
दूसरी
तरफ
म्यूजिम
बनाने
की
घोषणा
को
यूपी
की
राजनीति
से
जोड़कर
देखा
जा
रहा
है।
भगवान
राम
को
राजनीति
से
ना
जोड़े
हालांकि
महेश
शर्मा
ने
इस
म्यूजियम
को
राजनीति
से
नहीं
जोड़े
जाने
की
बात
कही
है।
लेकिन
जिस
तरह
से
चुनाव
के
करीब
होने
के
चलते
इस
म्यूजियम
की
घोषणा
की
गई
है
उसपर
बसपा
सुप्रीमो
मायावती
ने
तीखा
हमला
बोला
है,
उन्होंने
सरकार
के
इस
कदम
को
राजनीतिक
कदम
बताया
है।
उन्होंने
कहा
कि
भाजपा
मंदिर
के
मुद्दे
को
एक
बार
फिर
जगाना
चाहती
है।
महेश
शर्मा
का
कहना
है
कि
अयोध्या
में
उनके
दौरे
से
यूपी
चुनाव
का
कोई
लेना
देना
नहीं
है।
मैं
वहां
बतौर
पर्यटन
मंत्री
जा
रहा
हूं,
यह
केंद्र
सरकार
का
अयोध्या
में
टूरिज्म
को
बढ़ाने
का
प्रयास
है
जहां
देश
और
दुनिया
भर
से
लोग
आते
हैं।
विवादित
स्थल
से
15
किलोमीटर
दूर
रामायण
संग्रहालय
को
बनाने
के
लिए
150
करोड़
रुपए
का
बजट
आवंटित
किया
गया
है।
इसका
क्षेत्रफल
25
एक
होगा
जोकि
विवादित
स्थल
से
15
किलोमीटर
दूर
है।
यहां
पर
नेपाल
और
श्रीलंका
के
महत्वपूर्ण
स्थलों
को
भी
दर्शाया
जाएगा।
1992
में
ढहाई
गई
थी
मस्जिद
आपको
बता
दें
कि
1992
में
हजारों
कारसेवकों
ने
बाबरी
मस्जिद
पर
हमला
बोलकर
उसे
ढहा
दिया
था।
इन
लोगों
का
मानना
था
कि
यह
मस्जिद
उसी
जगह
पर
बनाई
गई
है
जहां
भगवान
राम
का
जन्म
हुआ
था।
इस
काम
में
विश्व
हिंदू
परिषद
ने
सक्रिय
भूमिका
निभाई
थी,
जिसका
मानना
है
कि
यहां
राम
मंदिर
बनना
चाहिए।
2010
में
कोर्ट
ने
दिया
था
फैसला
इलाहाबाद
हाई
कोर्ट
ने
2010
में
अपने
फैसले
में
कहा
था
कि
इस
विवादित
स्थल
को
तीन
हिस्सों
में
बांटना
चाहिए,
जिसमें
मुसलमान,
हिंदू
और
निर्मोही
अखाड़ा
साझेदार
होंगे।
कोर्ट
के
इस
फैसले
को
हिंदू
और
मुस्लिम
संगठनों
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
है।