बिहार के विश्वासघात पर नीतीश के दांव से चित मुलायम सिंह यादव
समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में शामिल ना होकर नीतीश कुमार ने मुलायम सिंह को दिया है बड़ा झटका, नीतीश ने बिहार में मुलायम के महागठबंधन से अलग होने का दिया जवाब
लखनऊ। कहते हैं कि राजनीति में हर एक कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहिए, कब कौन सा किरदार आप पर भारी पड़ जाए यह कहना थोड़ा मुश्किल होता है। कुछ ऐसा ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ हुआ है।
तमाम नेता आए थे साथ
बिहार चुनाव के दौरान जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने तमाम जनता दल के नेताओं के साथ महागठबंधन की कवायद शुरु की और इस कवायद में कांग्रेस, राजद, जदयू सहित तमाम नेता साथ आए थे।
मुलायम ने खींच लिया था हाथ
लेकिन जिस तरह से मुलायम सिंह ने आखिरी वक्त पर इस महागठबंधन से हाथ खींचा था उसने कई नेताओं को सकते में डाल दिया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुलायम सिंह के इस कदम से काफी आहत थे, हालांकि उन्होंने उस वक्त किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन उन्होंने सपा के रजत जयंती कार्यक्रम से किनारा करके अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
नीतीश कुमार एक मंझे हुए नेता के तौर पर जाने जाते हैं और उन्हें उस सही समय का इंतजार था जब वह मुलायम सिंह को उनकी गलती का एहसास करा सके और यह मौका उन्हें यूपी में चुनावी माहौल में मिला।
विश्वासघात की थी कसक
एक तरफ जहां सपा परिवार में जबरदस्त कलह चल रही है और पार्टी में दो फाड़ होने के कयास लगाए जा रहे हैं, उसमें पहले नीतीश ने खुले मंच से कहा कि अगर अखिलेश पार्टी से उपर उठे तो उन्हें वह अपना समर्थन देने को तैयार हैं।
यही नहीं समाजवादी पार्टी के रजत जयंती कार्यक्रम में अटकलें लग रही थी कि अखिलेश इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, तो इसी बीच नीतीश कुमार ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला लेकर मुलायम सिंह को बड़ा झटका दिया था।
नीतीश के सियासी दांव से मुलायम चित
नीतीश कुमार के इस कदम के दो अहम मायने हैं, पहला यह कि वह मुलायम सिंह यादव को उनके विश्वासघात को भूले नहीं और वह इस बात का एहसास मुलायम सिंह यादव को कराना चाहते हैं। जबकि इस फैसले का दूसरा अहम पहलू यह है कि वह पार्टी में पड़ी फूट के बीच अखिलेश को साथ देकर उनकी राजनीतिक दावेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं।
बहरहाल देखने वाली यह होगी कि नीतीश अपना विरोध इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होकर ही दर्ज कराते हैं या फिर वह किसी और ही राजनीतिक गठजोड़ की ओर बढ़ते हैं। लेकिन नीतीश के इस फैसले से यह बात तो साफ है कि मुलायम सिंह यादव की माथे की शिकन जरूर बढ़ गई होगी।