करोड़ों की कमाई देने वाले ताजमहल को अखिलेश नहीं कर पा रहे संरक्षित
लखनऊ। ताजमहल को दुनिया की भव्य इमारतों में गिना जाता है जिसे दुनियाभर से लोग देखने के लिए भारत आते हैं। पर्यटन का मुख्य केंद्र होने की वजह से राज्य सरकार को ताज से मोटी कमाई होती है लेकिन जिस तरह से ताज के पास यमुना नदी में कूड़ा निस्तारण किया जाता है वह ताज को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना में बहाये जा रहे ठोस अवशेष को लेकर अखिलेश सरकार को फटकार लगायी है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि 17वीं शताब्दी की इस इमारत से जिससे आप करोड़ों कमा रहे हैं को बचाने में असफल रहे हैं। अखिलेश सरकार को फटकार लगाते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा है कि आपकी उत्तर प्रदेश में सरकार हैं, लेकिन आप ताज महल को सुरक्षित नहीं कर सकते हैं, आप ताज महल के पीछे यमुना नदी में ठोस अवशेष का निस्तारण करते हैं।
एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने कहा कि क्या दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल की इससे अधिक बदनामी हो और क्या हो सकती है। यह चौंकाना वाला है, कोर्ट और ट्रिब्यूनल क्या कर सकती है इस मामले में। एनजीटी ने यह टिप्पणी आगरा में रहने वाले डीके जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिन्होंने आरोप लगाया था कि यमुना नदी के पास नगर निगम बड़ी मात्रा में कूड़ा फेंकता है, जिसके चलते ताज में हरी और काली रंग की काई जमा हो रही है।
याचिकाकर्ता जोशी का कहना है कि यमुना नदी में कूड़ा बहाने की वजह से यहा का पानी ठहर गया है जिसके चलते यहां कीड़े पनप रहे हैं जो पानी की गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं। यह कीड़े ना सिर्फ पानी को खराब कर रहे हैं बल्कि ताज की दीवारों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।