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सियासत का ये कैसा प्रयोग? उलझकर बिफरी 'नारी'!

By हिमांशु तिवारी आत्मीय
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भाजपा में रहे दयाशंकर सिंह के द्वारा मायावती पर बीते दिनों जो आपत्तिजनक टिप्पणी की गई। दरअसल वो सियासत में फायदा उठाने की खातिर सियासी प्रयोग के इतर कुछ भी नहीं था। जिस पर पलटवार करते हुए बसपाईयों ने भी दयाशंकर की तर्ज पर, या कहें उससे कुछ अधिक अपमान करने की होड़ में दयाशंकर की मां, बहन, बेटी पर गलत बयान दे दिये। इस पूरे क्रम में नारीत्व बेवजह कठघरे में नजर आयी।

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मामला सियासी था इसीलिए इस बात को भी मद्देनजर रखना उचित नहीं समझा गया कि जो आरोप, जो भाषा किसी की मां, बहन, बेटी के लिए प्रयोग की जा रही है...क्या उस भाषा के साथ परिवार को लपेटना सही है। वो भी बगैर किसी दोष के। मायावती के शब्दों में कहें तो गल्ती का एहसास कराने के लिए।

EXCLUSIVE : 'बेटी के सम्मान में, बीजेपी मैदान में', जानिए क्या है पूरा मामला?

शायद मायावती जी ये भूल गईं कि ये दयाशंकर का परिवार था, दयाशंकर नहीं। और उसने टिप्पणी एक नेता पर की थी न कि परिवार पर। हालांकि मेरे कहने का ये मतलब नहीं है कि दयाशंकर की टिप्पणी सही थी, पूर्णतया भाषा गलत है। लेकिन बसपाईयों ने अभद्र भाषा की इंतहा ही कर दी।

यूपी में प्रदर्शन

परिणामस्वरूप भाजपा ''बेटी के सम्मान में, भाजपा मैदान में'' श्लोगन के साथ बसपा के विरोध की खातिर मैदान में उतर आई।

'भाजपा' के तेवर देख नरम पड़ी 'बसपा'

भाजपा ने निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी-बेटी को अपशब्द कहने वाले बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी की गिरफ्तारी को लेकर शनिवार को समूचे प्रदेश में प्रदर्शन किया। जबकि इसके इतर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या की अगुवाई में पार्टी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर नसीमुद्दीन को विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष पद से बर्खास्त करने और उनकी सदस्यता खत्म रद्द करने की मांग की।

मायावती ने रद्द किया धरना

इस बीच बसपा सुप्रीमों मायावती शनिवार को दिल्ली से लखनऊ पहुंची और आगामी 25 जुुलाई को मंडल स्तरीय घरना प्रदर्शन को स्थगित कर दिया। आज उन्होंने पार्टी के प्रमुख जोनल को-आर्डिनेटरों की बैठक बुलाई है।

पैसे में बिकता है टिकट

पूरे मामले में चुटकी लेते हुए सीएम अखिलेश यादव ने कहा दो दलों में प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन कितना बुरा बोल सकता है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी महिला व बच्चियों के प्रति ऐसी भाषा का प्रयोग करना पूर्णतया गलत है। लेकिन दयाशंकर सिंह के बयान का दूसरा हिस्सा बिलकुल सच है। सबने यही कहा है कि बसपा में टिकट तो पैसे से ही मिलते हैं।

पुलिस से हुई झड़प

प्रदर्शन के दौरान सीएम आवास घेरने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प हो गई। महिला मोर्चा की सदस्यों ने यह तय किया कि यदि नसीमुद्दीन की गिरफ्तारी नहीं हुई तो 28 जुलाई को बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा।

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English summary
This is a new face of politics in Uttar Pradesh where politicians are using women as weapons.
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