मंदिर प्रशासन अयोध्या में बनवायेगा मस्जिद, मुसलमान करेंगे नमाज अदा
लखनऊ। बाबरी मस्जिद यूपी में हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव का हमेशा से ही सबसे बड़ी वजह रहा है। 24 साल पहले जब बाबरी मस्जिद को ढहाया गया था तो देशभर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। लेकिन यहां स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर प्रशासन ने हिंदू-मुस्लिम एकता के भाईचारे की नई नज़ीर पेश की है।
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नगरपालिका ने मस्जिद में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध
दरअसल अयोध्या स्थित आलमगिरी मस्जिद को यहां की नगरपालिका ने खतरनाक बताते हुए इस मस्जिद के बाहर नोटिस लगा दी है। नगरपालिका के इस फैसले के बाद हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर की जमीन पर मस्जिद बनाने का प्रस्ताव दिया है।
मंदिर ट्रस्ट ने मुसलमानों को दिया न्योता
हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट के पास मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक है। ट्रस्ट ने ना सिर्फ इस जमीन पर फिर से मस्जिद को बनाने की इजाजत दी है बल्कि इसके निर्माण में आने वाले खर्च को वहन करने के साथ मुसलमानों को यहां नमाज अदा करने आने का न्योता भी दिया है।
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औरंगजेब ने बनवायी थी मस्जिद
आपको बता दें कि आलमगिरी मस्जिद मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने जनरल से 17वीं शताब्दी में बनवायी थी। यह मस्जिद जिस इलाके में यह उसका नाम अरगरा में आती है। जिसे नवाब सुजाउद्दौला ने 1765 में मंदिर के लिए दान में दे दी थी, इसके साथ ही नमाज पढ़ने की भी इजाजत दी गयी थी।
लेकिन समय के साथ मस्जिद के भीतर नमाज अदा होनी बंद हो गयी, जिसके चलते मस्जिद में कोई आता नहीं था और रख रखाव नहीं होने की वजह से यह काफी जर्जर हो गयी। मस्जिद की जर्जर स्थिति को देखते हुए नगरपालिका ने यहां नोटिस लगाकर किसी के भी प्रवेश पर रोक लगा दी थी।
मुसलमानों की महंत के साथ बैठक में लिया गया फैसला
जिसके बाद स्थानीय मुस्लिम लोगों ने हनुमानगढ़ी के मुखिया महंत ग्यान दास से मुलाकात की और उनसे मस्जिद को फिर से सही कराने की इजाजत मांगी। लेकिन महंत और मुसलमानों की बैठक में कुछ ऐसा हुआ जिसका मुसलमानों को भी अंदाजा नहीं था। मंदिर प्रशासन ने ना सिर्फ मस्जिद के पुनर्निमाण की इजाजत दी बल्कि इसका खर्ज भी खुद वहन करने के साथ मुसलमानों को यहां आने की अपील की है।
महंत ग्यान दास ने कहा कि मैंने मुसलमान भाइयों को यहां आने की इजाजत दी है और इसके निर्माण में आने वाले खर्च को वहन करने का भी आश्वासन दिया है। महंत ने नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करते हुए इसे खुदा का घर बताया है।इतिहासकार रौशन तकी का कहना है कि बक्सर के युद्ध के बाद अवध की राजधानी को फैजाबाद की जगह लखनऊ को बना दिया था। इसी दौरान नवाब ने हनुमानगढ़ी मंदिर के लिए जमीन को दान किया था।