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90 के दशक का सिनेमा कैराना की जमीनी हकीकत

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कैराना। आपने नब्बे के दशक में कई ऐसी फिल्मे देखी होंगी जहां बाजार में स्थानी गुंडों के नाम का होर्डिंग हर दुकान पर लगे होते थे। इन माफियाओं के गुर्गे बाजार में घूमते हैं और लोगों से हफ्ता वसूली करते हैं। लोगों के बीच खौफ का आलम इस कदर होता है कि वह थाने पर पुलिस से शिकायत नहीं करते हैं और सरेआम लोगों की हत्या की जाती है। यही नहीं लड़कियों के साथ सरेआम छेड़खानी की जाती है, अवैध हथियारों का निर्माण और नशाखोरी में लिप्त लोग।

कैराना अभी बाकी है- वीएचपी का दावा मजबूर हिंदू छोड़ रहे घर

Kairana has become mini Pakistan goons are the administrator not the government

यह फिल्मी मंजर आपने बड़े पर्दे पर जरूर देखा होगा, लेकिन उत्तर प्रदेश में कैराना में स्थानीय लोग यह सब वास्तविक जीवन में देख रहे हैं। स्थानीय लोग फिल्मी पर्दे के इस अनुभव को व्यक्तिगत जीवन में महसूस कर रहे है। उत्तर प्रदेश की सियासत में कैराना मुद्दा नया सियासी तूफान बनकर सामने आया है। कथित रूप से 350 से अधिक हिंदू परिवारों के पलायन की खबर ने यहां की सियासी सरगर्मी को बढ़ा दिया है।

व्यापारी पुलिस के पास नहीं जाते

कैराना में जिस तरह से भय और डर का कारोबार चल रहा है उसे देखते हुए लोग इसे मिनी पाकिस्तान कहकर पुकारने लगे हैं। दबंग और गुंडों का आतंक यहां कुछ इस कदर है कि व्यापारी किसी भी तरह की शिकायत पुलिस के पास लेकर नहीं जाते हैं।

कैराना पलायन- जेल के भीतर से जल रहा हैं आतंक का खेल

पुलिस की गिरफ्त से दूर हिस्ट्रीशीटर

कैराना में आतंक किस कदर बढ़ गया है इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां 30 हिस्ट्रीशीटर लापता हैं। कैराना के थानों में कुल 117 हिस्ट्रीशीटरों के मामले दर्ज है। पुलिस रिपोर्ट में जहां 117 हिस्ट्रीशीटर दर्ज हैं तो जेल में सिर्फ 20 हिस्ट्रीशीटर है और बाकी के जेल के बाहर आतंक का कारोबार कर रहे हैं। पुलिस की लाचारी का इस बात से पता लगाया जा सकता है कि इन हिस्ट्रीशीटर के बारे में उसे कुछ भी नहीं पता है।

जेल के भीतर से चल रहा है खौफ का धंधा

कैराना में 90 के दशक में मुकीम काला और उसके गैंग ने दहशत का व्यापार शुरु किया। मुकीम काला तो अभी जेल में हैं लेकिन अभी भी 30 से अधिक उसके साथी जेल से सजा काटकर बाहर आ चुके हैं और जेल के भीतर से ही मुकीम फिरौती और गुंडागर्दी का धंधा चलाता है।

अवैथ हथियारों का भी चलता है कारोबार

कैराना में कई ऐसे बदमाश पकड़े गये हैं जो पाकिस्तान से अवैध हथियार व नकली नोटों के साथ नशे के कारोबार में लगे हैं। पाक से तस्करी के माले में हाजी शान उर्फ सांड़, इकबाल काना, दिलशाद मिर्जा और हमीदा बेगम गिरफ्तार हुए हैं।

नेता चला रहे पुलिस थाना

स्थानीय लोग दावा करते हैं कि यहां अवैध तमंचे भी बनाये जाते हैं। लोगों का दावा है कि शामली और कैराना के थानों पर नेता बैठते हैं और शिकायत करने पहुंचने वालों को समझा बुझा कर वापस भेज देते हैं। कैराना कस्बे में 4 इंटर कॉलेज और एक राजकीय डिग्री कॉलेज हैं, लेकिन छेड़छाड़ की वजह से लड़किया कॉलेज नहीं जाती हैं।

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English summary
Kairana has become mini Pakistan goons are the administrator not the government. Locals are force to live under the shade of terror.
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