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18 वर्ष से कम उम्र के विवाह को कोर्ट ने गैरकानूनी मानने से किया इनकार

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लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 18 वर्ष से कम उम्र में लड़की के विवाह के संदर्भ में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र में लड़की के विवाह को अमान्य करार देने से इनकार कर दिया है।

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कोर्ट ने कहा कि अगर कोई युवती हिंदू विवाह अधिनियम 1965 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह करती है और वह अपनी मर्जी से पित के साथ रह रही है तो उस विवाक को अमान्य करार नहीं दिया जा सकता है।

एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्थानीय राजकीय महिला शरणालय को लड़की को तुरंत रिलीव करने का आदेश दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ती अजय लांबा और अशोक पाल सिंह की खंडपीठ ने दिया है।

लड़की ने कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि उसने अपनी मर्जी से युवक से शादी की है। लेकिन पिता और भाई ने 50 हजार रुपयों की खातिर लड़की का विवाह उम्र में काफी ज्यादा व्यक्ति से विवाह करा दिया।

पिता और भाई के खिलाफ जाते हुए लड़की ने विवाह कर लिया लेकिन इससे नाराज होकर घरवालों ने उसके पति के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया है। लेकिन युवती ने इन आरोपों के खिलाफ कहा कि उसको उसके पति ने अगवा नहीं किया है और ऐसे में सारे आरोप निराधार हैं।

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कहा कि कि किसी को भी कानून की विहि प्रक्रिया के इतर उसके जीवन की निजी स्वतंत्रता से दूर नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में युवती को गलत तरीके से महिला शरणालय में रखा गया और उसे तत्काल मुक्त किया जाए।

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English summary
In a big decision Court rejects to declare the marriage of minor illegal. Court says personal independence can not be curtailed.
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