पश्चिमी यूपी के लाखों लोगों के लिए हजारों हैंडपंप बने बीमारी की जड़
लखनऊ। यूं तो हैंडपंप का पानी पीने के लिए शुद्ध माना जाता है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों हैंडपंप का पानी लोगों के पीने योग्य नहीं बचा है। यह पानी इतना खतरनाक है कि लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है और काफी लोग यह पानी पीने से बीमार हो रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, गाजियाबाद व सहारनपुर में स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है। यहां के गांवों में हैंडपंप का पानी पीने से सैकड़ों गांव के लोग बीमार पड़ रहे हैं।
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एनजीटी की फटकार के बाद भी नहीं सही हो रहे हैंडपंप
हैंडपंप से आ रहे गंदे पानी को लेकर एक याचिका भी दायर की गयी है जिसके बाद एनजीटी ने पश्चिमी यूपी के 154 गांवों के हैंडपंप के पानी की जांच कराने के निर्देश दिये हैं। हिंडन के पास के गांव के लोगों का कहना है कि तमाम शिकायतों के बाद भी किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गयी। जिला प्रशासन और तमाम संबंधित विभागों को राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फटकार लगाते हुए इन हैंडपंपों के पानी के जांच के निर्देश दिये हैं। बागपत में पहले भी दूषित पानी की शिकायत आयी थी जिसमें पानी के चिपचिपे होने की शिकायत की गयी थी।
तमाम गांवों का यही हाल
मेरठ के किनौनी, छिलौरा, कलीना, खिंवाई, हर्रा, नाहली समेत तमाम गांवों के हैंडपंप से काफी दूषित पानी आ रहा है। यहां के 100 हैंडपंपों का पानी दूषित पाया गया है और उनपर लाल निशान लगाया गया है। जबकि हजारों हैंडपंप की अभी भी जांच होनी है। कुछ यही हाल बागपत का है, यहां के 53 गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है, जबकि मुजफ्फरनगर के 54 गांवों में हैंडपंप का पानी पीने योग्य नहीं है। शामली के 28 गांव भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
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पांच मिनट में पानी पड़ा जाता है पीला
पानी के सैंपल में काफी चौंकाने वाली बात सामने आयी है। यहां का पानी सिर्फ पांच मिनट में पीला पड़ जाता है और इशमें कीड़े रेंगते दिखायी देते हैं। एनजीटी ने भी माना है कि इन हैंडपंप का पानी एक बड़ी आबादी के लिए खतरा है। ऐेसे में देखने वाली बात यह है कि क्या सरकार इन हैंडपंप को सही कराती है या फिर लोगों को मरने के लिए छोड़ देती है।