यूपी में भाजपा को 2014 तो कांग्रेस को इंदिरा गांधी के दौर का इंतजार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश का किला फतेह करने के लिए पार्टियों को तमाम जातिगत और धार्मिक तानेबाने को साधने की जरूरत होती है। इस कड़ी में ब्राह्मण वोट बैंक काफी अहम है, जिसपर तमाम पार्टियों की नज़र है।
समाजवादी
सरकार
में
ब्राह्मण
उदय
के
पीछे
का
गुणा-भाग
रेस
में
बने
रहने
की
लड़ाई
ब्राह्मण
वोट
बैंक
मुख्य
रूप
से
भाजपा
और
बसपा
का
माना
जाता
था,
लेकिन
जिस
तरह
से
कांग्रेस
ब्राह्मण
वोटों
को
अपनी
ओर
करने
की
कोशिश
में
जुटी
है
उसे
देखते
हुए
सपा
भी
इस
रेस
में
पिछड़ना
नहीं
चाहती
है।
यूपी
में
ब्राह्मणों
का
वोट
बैंक
तकरीबन
11
फीसदी
है,जोकि
मुस्लिम
व
दलित
वोट
बैंक
के
बाद
तीसरा
सबसे
बड़ा
वोट
बैंक
है।
यूपी
चुनाव
की
तैयारी
जोरों
पर,
युवाओं
का
वोटर
लिस्ट
में
ना
होना
बड़ी
चुनौती
अपने
आठवें
कैबिनेट
विस्तार
में
अखिलेश
यादव
ने
तीन
ब्राह्मण
चेहरों
को
कैबिनेट
में
तरजीह
दी
है।
जिसमें
अभिषेक
मिश्रा,
मनोज
पांडे
और
शिवाकांत
ओझा
को
कैबिनेट
में
जगह
दी
गई
है।
यह
फैसला
उस
वक्त
लिया
गया
है
जब
सतीश
चंद्र
मिश्रा
प्रदेश
में
30
ब्राह्मण
सभा
आयोजित
कर
रहे
हैं।
बुलंदशहर
रेप
केस
में
आजम
खान
को
नोटिस
भेजने
का
SC
ने
CBI
को
दिया
निर्देश
मायावती
को
भी
है
ब्राह्मणों
की
जरूरत
हालांकि
बसपा
में
ब्राह्मणों
को
वह
सम्मान
व
जगह
नहीं
मिली,
लेकिन
मायावती
इस
बात
का
दंभ
भरती
हैं
कि
वह
आगामी
चुनाव
में
मुस्लिम
व
दलित
वोटर
उन्हें
जादुई
आंकड़े
तक
पहुंचाने
में
मदद
करेंगे।
बावजूद
इसके
मायावती
ने
प्रदेश
में
ब्राह्मणों
को
अपनी
ओर
करने
के
लिए
30
रैलियां
करने
करने
का
फैसला
लिया
है।
पदोन्नति
में
आरक्षण
की
वकालत
माया
के
लिए
मुश्किल
जिस
तरह
से
2007
में
मायावती
का
ब्राह्मण
दलित
फार्मूला
उनके
लिए
जीत
का
मंत्र
साबित
हुआ
था
वह
अब
मुश्किल
दिख
रहा
है,
इसकी
मुख्य
वजह
हैं
हाल
के
समय
में
ब्राह्मण
वोटों
में
भाजपा
की
सेंधमारी,
जिसे
देखते
हुए
बसपा
ब्राह्मणों
को
लुभाने
का
कोई
भी
मौका
नहीं
छोड़ना
चाहती
है।
2014
के
लोकसभा
चुनाव
में
बसपा
की
शून्य
पर
सिमटना
पड़ा
था।
जिस तरह से मायावती ने प्रमोशन में आरक्षण की वकालत की थी उसकी वजह से ब्राह्मण व सवर्ण वर्ग उनसे खासा नाराज है, इसी के चलते पार्टी से बृजेश पाठक भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया था। बृजेश पाठक के भाजपा में शामिल होने से यह साफ भी हो गया था कि मायावती के प्रति ब्राह्मणों का लगाव कम हो रहा है ।
यूपी
में
ब्राह्मण
तीसरा
सबसे
बड़ा
वोट
बैंक
यूपी
में
ब्राह्मण
वोटर
11
फीसदी,
तो
दलित
21
फीसदी
व
मुस्लिम
18
फीसदी
हैं।
ऐसे
में
कांग्रेस
ब्राह्मणों
को
लुभाने
की
हर
संभव
कोशिश
कर
रही
है।
इंदिरा
गांधी
के
दौर
में
यूपी
में
कमला
पति
त्रिपाठी,
एनडी
तिवारी
और
हेमवती
नंदन
बहुगुणा
पार्टी
के
बड़े
ब्राह्मण
नेता
थे
और
कांग्रेस
के
पास
ब्राह्मणों
का
बड़ा
वोट
बैंक
था।
कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए यूपी में पार्टी का सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित को घोषित करने की वकालत की थी।
2014
में
ब्राह्मण
भाजपा
के
पक्ष
में
लेकिन
2014
के
लोकसभा
चुनावों
पर
नज़र
डालें
तो
ब्राह्मण
वोट
बैंक
भाजपा
की
ओर
झुका
दिखता
है।
जिसकी
बड़ी
वजह
है
पार्टी
राम
मंदिर
के
मुद्दे
को
जिंदा
रखने
में
कामयाब
रही
थी।
हालांकि
भाजपा
ने
अभी
तक
कोई
भी
ब्राह्मण
चेहरा
आगे
नहीं
किया
है
लेकिन
पार्टी
ऐसा
कोई
भी
फैसला
नहीं
ले
रही
है
जिससे
प्रदेश
में
उसका
जातिगत
समीकरण
बिगड़े।