7 वजहें क्यों यूपी में चुनाव फरवरी में होना तय है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है, कयास लगाए जा रहे हैं कि इसकी घोषणा इसी माह आखिरी में या जनवरी माह के पहले हफ्ते हो सकती है। हालांकि इसकी अभी तक कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन फिर यूपी चुनाव फरवरी माह में होने के पीछे कई अहम वजहें है।
बोर्ड की परीक्षा पर रोक
यूपी में फरवरी माह में चुनाव होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि चुनाव आयोग ने यूपी बोर्ड की परीक्षा की तारीख को रद्द कर दिया जोकि 16 फरवरी से 20 मार्च के बीच प्रस्तावित थी। आयोग ने बोर्ड को चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले सूचित करने का भी निर्देश दिया है।
अधूरी
योजनाओं
का
ऐलान
फरवरी
में
चुनाव
होने
की
दूसरी
सबसे
बड़ी
वजह
है
कि
सूबे
के
मुख्यमंत्री
तमाम
योजनाओं
को
आनन-फानन
में
शुरु
कर
रहे
हैं,
चाहे
फिर
वह
आगरा
लखनऊ
एक्सप्रेस
वे
हो
या
फिर
लखनऊ
मेट्रो,
समाजवादी
नमक
हो।
Exclusive-
ये
मशीन
बताएगी
जिसे
आपने
वोट
दिया
उसी
को
मिला
क्या?
गरीबों
के
लिए
भी
शुरु
की
योजना
समाजवादी
नमक
वितरण
योजना
के
तहत
बीपीएल
कार्ड
धारकों
को
नमक
तीन
रूपए
प्रति
किलो
जबकि
एपीएल
कार्ड
धारकों
को
यह
छह
रुपए
किलो
दिया
जाएगा।
सातवे
वेतन
आयोग
का
ऐलान
फरवरी
में
चुनाव
की
तीसरी
बड़ी
वजह
है
कि
अखिलेश
यादव
का
तोबड़तोड़
चुनावी
पिटारों
का
ऐलान।
अखिलेश
यादव
की
कैबिनेट
में
आनन-फानन
में
प्रदेश
में
सातवें
वेतन
आयोग
को
लागू
करने
का
ऐलान
किया
और
इसके
जरिए
लोगों
को
पार्टी
की
ओर
लाने
की
कोशिश
की
है।
सातवा
वित्त
आयोग
17
जनवरी
2017
से
लागू
हो
जाएगा,
ऐसे
में
सपा
को
इसका
लाभ
मिल
सकता
है।
सातवे वित्त आयोग के लागू होने से प्रदेश के 24 लाख कर्मचारियों व पेंशनर्स को लाभ मिलेगा। ऐसे में सरकार का यह फैसला अखिलेश के पक्ष में जा सकता है। ऐसे में अखिलेश यादव चाहेंगे कि जो कर्मचारी चुनावी माहौल चुनावी ड्युटी में तैनात होंगे वह उनकी सरकार से खुश हों जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
गठबंधन
की
कवायद
तेज
यहां
यह
गौर
करने
वाली
बात
यह
है
कि
अखिलेश
यादव
को
चुनाव
की
तारीखों
के
ऐलान
की
जानकारी
मीडिया
से
बेहतर
होगी,
लिहाजा
उन्होंने
तमाम
योजनाओं
की
घोषणा
के
वक्त
कहा
भी
है
कि
उनकी
योजनाएं
गरीबों
के
हित
में
हैं
और
हम
अगली
बार
सरकार
अवश्य
बनाएंगे।
उन्होंने
यह
भी
साफ
किया
है
कि
अगर
कांग्रेस
के
साथ
गठबंधन
होता
है
तो
वह
300
से
अधिक
सीटें
जीतेंगे।
नोटबंदी
के
बुरे
असर
से
डरे
यूपी
के
बीजेपी
सांसद,
अमित
शाह
को
बताई
चिंता
इस
गठबंधन
को
बड़ा
करने
के
लिए
अजीत
सिंह
की
रालोद
को
भी
साथ
लाया
जा
सकता
है,
मुख्तार
अंसारी
की
कौमी
एकता
दल
पहले
ही
सपा
के
साथ
आ
चुकी
है।
राहुल
गांधी
भी
मौके
के
इंतजार
में
वहीं
अगर
सपा
के
अलावा
अन्य
पार्टियों
की
गतिविधि
पर
नजर
डालें
तो
यह
साफ
होता
है
कि
चुनाव
का
ऐलान
कभी
भी
हो
सकता
है।
राहुल
गांधी
ने
संसद
भवन
में
बयान
दिया
कि
उनके
पास
पीएम
के
व्यक्तिगत
भ्रष्टाचार
की
जानकारी
है,
लेकिन
उन्हें
बोलने
नहीं
दिया
जा
रहा
है,
जिस
वक्त
राहुल
यह
बयान
दे
रहे
थे
उस
वक्त
उनके
सात
तमाम
अलग
पार्टियों
के
तकरीबन
15
सांसद
मौजूद
थे।
ऐसे में अगर राहुल गांधी के पास पीएम के खिलाफ कुछ सबूत है तो मुमकिन है कि वह चुनाव की तारीखों के बाद ही उसे लोगों के बीच रखना चाहेंगे। यूपी मे सपा और कांग्रेस के गठबंधन की घोषणा कभी भी हो सकती है, माना जा रहा है कि उच्च स्तर पर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात बन गई है और जल्द ही इसका ऐलान किया जा सकता है।
हर
रोज
प्रेस
कांफ्रेंस
कर
रही
है
मायावती
यही
नहीं
प्रदेश
में
बसपा
सुप्रीमो
मायावती
जोकि
मीडिया
से
सामान्य
समय
पर
दूरी
बनाए
रखती
है
वह
आजकल
तकरीबन
हर
रोज
मीडिया
से
रूबरू
हो
रही
हैं
और
प्रेस
कांफ्रेंस
कर
रही
हैं।
ऐसे
में
अंदाजा
लगाया
जा
सकता
है
कि
प्रदेश
में
चुनाव
की
कभी
भी
घोषणा
हो
सकती
है।