नोटबंदी: कफन के लिए लाश को भी करना पड़ा नए नोटों का इंतजार
बैंक खुलने का इंतजार एक लाश कर रही थी ताकि बैंक खुलने के बाद उसे कैश मिले और कफन नसीब हो।
मेरठ। नोटबंदी के बाद हर कोई सुबह से ही एटीएम और बैंक के बाहर लाइन लगाकर बैंक के खुलने का इंतजार कर रहा है। ऐसा ही एक मामला यूपी के मेरठ में देखने को मिला। लेकिन यहां बैंक खुलने का इंतजार एक लाश कर रही थी ताकि बैंक खुलने के बाद उसे कैश मिले और कफन नसीब हो। जी हां घर में रखी नकदी (बड़े नोट) बेकार हो जाने के बाद दाह संस्कार के लिए पैसे नहीं थे।
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बाद में बैंक खुलने के बाद मुहल्ले के चार लोगों ने अलग-अलग अपनी आइडी लगाकर 16 हजार रुपए जुटाए, तब कहीं जाकर अर्थी उठी। जानकारी के मुताबिक मेरठ के लालकुर्ती की हंडिया मुहल्ला निवासी 70 वर्षीय बेला की शुक्रवार को सुबह पांच बजे मौत हो गई थी। परिवार दाह संस्कार के लिए पैसे जुटाता, इससे पहले उसे नई नोटों की समस्या ने परेशानी में डाल दिया।
लालकुर्ती की हंडिया मुहल्ला निवासी 70 वर्षीय बेला की शुक्रवार को सुबह पांच बजे मौत हो गई थी। परिवार दाह संस्कार के लिए पैसे जुटाता, इससे पहले उसे नई नोटों का भूत डराने लगा। लाश के दाह संस्कार के लिए भी कोई नगदी बदलने को तैयार नहीं था। आखिरकार सब्र टूटा तो मुहल्ले वालों ने बैंक में हंगामा कर दिया।
पहली किस्त के आठ हजार रुपए तत्काल मृतक के परिजनों के लिए भेजे गए। इसके बाद मुहल्ले के हाजी इकबाल ने पड़ोसी धर्म एवं मानवता का संदेश बुलंद करते हुए बैंक में पहुंचकर अपने पास से चार हजार रुपए का चेंज कराया। दाह संस्कार के लिए जुटाए गए 16 हजार रुपए से अंत्येष्टि की प्रक्रिया छह घंटे देरी से शुरू की जा सकी।