यूपी: महाहड़ताल में 18 लाख कर्मचारी हड़ताल पर, जनजीवन अस्त-व्यस्त
लखनऊ। देशभर में आज ट्रेड यूनियन के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था के खत्म होने व सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों सहित कई मांगों को लेकर अपना हड़ताल कर रहे हैं। इस हड़ताल में मुख्य रूप से 12 मांगों को लेकर हड़ताल का आह्वान किया गया है।
Pics: ट्रेड यूनियनों की महा-हड़ताल, लोग हैरान-परेशान
250 कर्मचारी संगठन हड़ताल पर
अकेले उत्तर प्रदेश में 18 लाख कर्मचारी आज हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में केंद्रीय श्रम संगठन, औद्योगिक फेडरेशन व 250 से अधिक कर्मचारी संगठन हड़ताल पर हैं। इन संगठनों ने महाहड़ताल को अपना समर्थन दिया है।
इन शहरों में हड़ताल का सबसे ज्यादा असर
हड़ताल का असर वाराणसी, इलाहाबाद, गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, गोरखपुर सहित तमाम शहरों में देखने को मिल रहा है। कर्मचारी ना सिर्फ कार्य बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि सड़कों पर प्रदर्शन भी कर रहे है जिसके चलते आम लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
परिवहन विभाग की हड़ताल ने यात्रियों की मुश्किलें बढ़ाई
हड़ताल में राज्य कर्मचारी, बैंक कर्मचारी, बीएसएनएल, रोडवेज कर्मचारी भी शामिल हैं। जिसके चलते बैंकिंग सेवाये पूरी तरह से बाधित हैं। सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना लोगों को ट्रांसपोर्ट के हड़ताल के चलते करना पड़ रहा है।
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नर्स व आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी हड़ताल में शामिल
हड़ताल मे आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी शामिल हैं, जबकि नर्सों ने भी अपने इस महाहड़ताल को अपना समर्थन दिया है। नर्सों के हड़ताल पर जाने की वजह से अस्पतालों में काफी दिक्कतों का सामना भी मरीजों को भी करना पड़ रहा है।
क्या कहना है कर्मचारी संगठन का
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि हड़ताल में परिषद से संबद्ध सभी संगठनों सहित निकाय व निगमों के कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के 18 लाख से अधिक कर्मचारी जिसमें 250 कर्मचारी संगठन शामिल है हड़ताल पर हैं। हरिकिशोर तिवारी ने बताया कि सभी संगठनों के कर्मचारी हजरतगंज चौराहे पर एकत्र होकर अपना विरोध दर्ज करायेंगे। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से बहाल किये जाने के साथ सातवें वेतन आयोग में कई विसंगतियां है जिसे दूर किया जाना चाहिए।
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क्या है अहम मांगे
- पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली।
- राष्ट्रीय वेतन नीति के तहत राज्य व केंद्र के कर्मचारियों का वेतन समान हो।
- सातवें वेतन आयोग की विसंगतिया दूर की जाए।
- सरकारी विभाग में ठेकेदारी प्रथा खत्म की जाए।