दलितों के गढ़ से मायावती की हुंकार के 11 सियासी मायने
आगरा। उत्तर प्रदेश चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो गयी है, मायावती ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत दलित वोट बैंक के गढ़ माने जाने वाले आगरा से शुरु करते हुए अपने तेवर साफ कर दिये। मायावती के भाषण की खास बात यह रही कि उन्होंने अपने भाषण में सबसे ज्यादा हमला भाजपा पर बोला।
मायावती बोलीं 'हिंदू बच्चे तो पैदा कर लें, क्या मोदी जी रोटी देंगे?'
भाजपा पर मायावती के हमले के पीछे की सियासी वजह को खंगाले तो यह बात सामने निकलकर आती है कि जिस तरह से यूपी में सपा के बाद बसपा एकमात्र विकल्प थी उसमें भाजपा ने अपनी सेंधमारी शुरु कर दी है, जिसे मायावती बेहतर समझती है। लिहाजा उन्होंने भाजपा पर हमला बोलने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा। आइये मायावती के भाषण की सियासी गणित पर एक नजर डालते हैं।
सपा से दूरी बहुत जरूरी
जिस तरह से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मायावती को बुआ कह कर पुकारते हैं, उसपर मायावती ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें अखिलेश से कोई रिश्ता नहीं रखना है। महिला अस्मिता को भी मायावती ने अपने चुनावी भाषण में मुख्य मुद्दा बनाते हुए लखनऊ के गेस्ट हाउस में उनके साथ हुए हुए वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को मुझे बुआ कहना छोड़ देना चाहिए। उन्होंने सपा को गुंडों और समाजविरोधी तत्वों का अड्डा तक करार दिया।
दलित वोटों के खिसकने का डर
यूपी में मायावती में दलित वोटों के खिसकने का डर साफ देखा जा सकता है, एक घंटे से अधिक के भाषण में मायावती ने एक तिहायी समय दलितों पर केंद्रित किया। उन्होंने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत के लिए भी आगरा को चुना जिसे पूर्वी यूपी में दलितों का केंद्र कहा जाता है।
भाजपा की दलित वोट बैंक में सेंधमारी माया की मुश्किल
जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में देशभर में कई जगह दलितों पर हिंसा की खबरें आयी उसपर मायावती ने आगरा में जमकर भाजपा पर हमला बोला। मायावती इस बात को बेहतर जानती हैं कि दलित वोटों पर भाजपा अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है, जिस तरह से खुद प्रधानमंत्री ने आगे आकर दलितों की वकालत की उसने मायावती की मुश्किलें बढ़ा दी है। मायावती ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मौजूदा सरकार दलितों पर हो रहे अत्याचार को रोकने में विफल रही है और लोकसभा चुनाव के दौरान किये गये वादे को मौजूदा सरकार पूरे करने में पूरी तरह से विफल रही है।
लोकप्रिय मुद्दों पर मायावती की नजर
भ्रष्टाचार, कालाधन सहित उन तमाम मुद्दों पर मायावती ने अपने भाषण में भाजपा पर जमकर हमला बोला। मायावती को इस बात का अंदाजा है कि लोकप्रिय मुद्दे जनता तक उनकी पहुंच को और आसान बना सकते हैं। लिहाजा उन्होंने केंद्र पर कालाधन वापस नहीं लाने व लोगों से किये वादे नहीं पूरे करने का आरोप लगाते हुए लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश की।
मायावती के लिए भाजपा की चुनौती
मायावती ने अपने भाषण में सबसे ज्यादा हमला भाजपा पर बोला, जिसने एक बात साफ कर दी है कि उनके लिए आगामी चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा ही है। इसके पीछे की वजह पर नजर डालें तो इससे पहले यूपी में सपा और बसपा ही दो मुख्य पार्टियां रही हैं, लेकिन इस बार जिस तरह से लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद भाजपा मजबूत प्रतिद्वंदी के तौर पर यूपी में दिख रही है उसे मायावती बेहतर समझ रही है। मायावती किसी भी तरह से यूपी में भाजपा को दूसरे प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रदेश में स्थापित होने से रोकना चाहेंगी, लिहाजा भाजपा पर सीधा पलटवार का मकसद यही है कि वह सपा सरकार से लोगों के बीच असंतोष का लाभ किसी भी सूरत में भाजपा के पक्ष में नहीं जाए।
दलित विरोधी भाजपा नीति
आगरा और पूर्वी उत्तर प्रदेश की दलित राजधानी के रूप में जाना जाता है और मायावती इस बात से बेहतर वाकिफ हैं और उन्होंने इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार की नीतियों को दलित विरोधी करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि दलित विरोधी नीतियों का ही परिणाम है कि प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे दलितों को इससे दूर रखा जा सके। प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण नहीं होनें के चलते दलित समाज में पिछड़ रहे हैं।
कानून व्यवस्था पर भाजपा की घेरेबंदी
यूपी में सपा सरकार के कार्यकाल में जिस तरह से कानून व्यवस्था कटघरे में है वह आगामी चुनाव में मुख्य मुद्दा बन सकती है। मायावती इस बात से बेहतर रूप से वाकिफ हैं कि भाजपा भी इस मुद्दे को भुनाना चाहती है। लिहाजा उन्होंने दिल्ली की कानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। मायावती ने कहा कि भाजपा दिल्ली में कानून व्यवस्था को संभालने में विफल रही है।
कांग्रेस का रास्ता पूरी तरह से साफ
मायावती इस बात से बेहतर वाकिफ हैं कि यूपी में कांग्रेस की राह आसान नहीं है, लिहाजा उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस पर बहुत ही कम समय जाया किया। हालांकि उन्होंने शीला दीक्षित को आड़े हाथो लिया और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी कैसे दागी नेताओं को यूपी में भेज सकती है।
माया का तिलक तराजू और तलवार का वार
भाजपा की सांप्रदायिक छवि को भी मायावती आगामी चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश करेंगी। मायावती ने अपने भाषण में भाजपा को तिलक तराजू और तलवार की पार्टी करार देते हुए कहा कि लोगों को ऐसे लोगों से दूर रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह पार्टी लोगों को चुनाव में फायदे के लिए आपस में भिड़ा सकती है। मायावती ने लव जेहाद जैसे मुद्दों को अपने भाषण में शामिल किया। उन्होंने पार्टी पर समाज को बांटने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा समाज को तोड़कर सत्ता तक पहुंचना चाहती है।
बेबाक माया के निशाने पर मीडिया
मायावती पर हमेशा से ही टिकटों की बिक्री का आरोप लगता रहा है, लेकिन मायावती ने इस आरोप से खुद को दूर करने के लिए मीडिया तक को नहीं बख्शा। उन्होंने मीडया पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भाजपा और पूंजीवादी लोगों के हाथ की कठपुतली है।