यूपी में ब्रांड अखिलेश को एक बार फिर से चाचा शिवपाल की चुनौती
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया संग्राम शुरु होने की कगार पर है, पहले जहां चाचा-भतीजे के बीच विवाद खुलकर लोगों के सामने आया था। वहीं एक बार फिर से जिस तरह से शिवपाल सिंह यादव प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद एक तमाम अखिलेश विरोधी फैसले ले रहे है वह फिर से नए विवाद की जन्म दे सकती है।
अखिलेश
यादव
ने
बीजेपी
पर
साधा
निशाना,
कहा-
सर्जिकल
क्या
होता
है?
जिस
कौमी
एकता
दल
व
मुख्तार
अंसारी
के
सपा
में
विलय
पर
चाचा-भतीजे
के
बीच
जमकर
ठनी
थी
और
खुद
अखिलेश
यादव
ने
मीडिया
में
मुख्तार
अंसारी
का
पार्टी
में
विलय
का
विरोध
किया
था
उसने
जमकर
हंगामा
खड़ा
किया
था।
यूपी
में
लापता
350
पाकिस्तानी,
लखनऊ
में
सबसे
अधिक
34
लोग
गायब
शिवपाल
की
नई
टीम
और
अंसारी
का
विलय
अखिलेश
यादव
के
तेवर
को
देखते
हुए
फिलहाल
के
लिए
तो
मुख्तार
अंसारी
की
पार्टी
कौमी
एकता
दल
का
विलय
रद्द
कर
दिया
गया
था।
लेकिन
एक
बार
फिर
से
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
आज
कौमी
एकता
दल
के
सपा
में
विलय
होने
का
ऐलान
कर
दिया
है।
अखिलेश
यादव
ने
बीजेपी
पर
साधा
निशाना,
कहा-
सर्जिकल
क्या
होता
है?
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
आज
प्रदेश
के
लिए
अपनी
80
सदस्यीय
टीम
की
घोषणा
करते
हुए
कहा
कि
कौमी
एकता
दल
का
पार्टी
में
नेताजी
के
आदेश
के
बाद
विलय
हो
चुका
है।
यहां
गौर
करने
वाली
बात
यह
है
कि
शिवपाल
ने
कौमी
एकता
दल
के
विलय
की
घोषणा
मुलायम
सिंह
यादव
का
नाम
लेते
हुए
की।
ऐसे
में
वह
यह
साफ
करना
चाहते
हैं
कि
यह
नेताजी
की
सहमति
से
हुआ
है।
अखिलेश
की
भूमिका
अहम
हालांकि
शिवपाल
यादव
की
इस
घोषणा
के
बाद
अभी
तक
अखिलेश
यादव
ने
कोई
टिप्पणी
नहीं
की
है।
लेकिन
देखने
वाली
बात
यह
होगी
की
जिस
तरह
से
मुख्तार
अंसारी
का
अखिलेश
यादव
ने
विरोध
किया
था
क्या
वह
इस
बार
चुप
बैठते
हैं
या
फिर
से
बगावती
सुर
छेड़ते
हैं।
ब्रांड
अखिलेश
पर
खतरा
अखिलेश
यादव
के
सामने
इस
वक्त
की
सबसे
बड़ी
चुनौती
यह
है
कि
अगर
वह
चुप
बैठते
हैं
तो
उनकी
साख
पर
सवाल
उठेंगे
कि
जब
पहली
बार
उन्होंने
अंसारी
का
खुलकर
विरोध
किया
था
तो
अब
क्यूं
शांत
हैं,
क्या
वह
चाचा
की
राजनीति
के
शिकार
हो
गए
या
फिर
वह
पार्टी
में
बिखराव
को
रोकने
के
लिए
ऐसा
कर
रहे
हैं।
अखिलेश यादव की छवि एक साफ नेता के तौर पर प्रदेश में स्थापित हो चुकी है, ऐसे में लोग उनसे अपेक्षा करेंगे कि वह इस फैसले का विरोध करें। ऐसे में अगर वह इस फैसले का विरोध करते हैं तो एक बार फिर से उसी एपिसोड के शुरु होने की संभावना जगेगी जो पहले हो चुका है।
तो
क्या
अब
शिवपाल
के
हाथों
में
पार्टी
की
कमान
जिस
तरह
से
चाचा-भतीजे
के
विवाद
में
शिवपाल
सिंह
के
आगे
मुलायम
सिंह
को
झुकना
पड़ा
और
अखिलेश
यादव
को
शिवपाल
सिंह
को
उनके
मंत्रालय
वापस
करने
पड़े
उसने
यह
साबित
किया
शिवपाल
पार्टी
में
काफी
अहम
स्थान
रखते
हैं।
पुरान
ढर्रे
पर
लौटेगी
समाजवादी
पार्टी
चाचा-भतीजे
के
बीच
विवाद
के
पहले
एपिसोड
को
खत्म
करने
में
पार्टी
की
छवि
को
काफी
नुकसान
हुआ
था
और
इस
बात
से
खुद
मुलायम
सिंह
यादव
व
अन्य
शीर्ष
नेता
वाकिफ
हैं।
ऐसे
में
देखने
वाली
बात
यह
है
कि
क्या
अखिलेश
यादव
अपनी
छवि
को
बचाने
के
लिए
फिर
से
बगावत
करेंगे
या
फिर
समाजवादी
पार्टी
फिर
से
पुरान
ढर्रे
पर
लौटेगी।