शिवपाल के जन्मदिन से पहले ही गायब हो गए ‘’आजम’’
अजी आजम खां साहब खो गए हैं। अरे पूरी बात तो सुनिए साहब। वरना आजम की भैंसों को ढूंढ़ने के लिए जो पुलिस कोना कोना छान रही थी, वो अब भैंसों के मालिक को बेवजह ही तलाशने लग जाएगी। दरअसल मैं ये कह रहा हूं कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता माने जाने वाले विवादित बयान देने वाले मंत्री जी, या कहिए आजम खां को बड़ी बड़ी होर्डिंगों में जगह नहीं दी गई।
2017 में रिलीज़ होगा सपा-ए-आज़म!
बड़ी बात ये नहीं कि आजम खान को होर्डिंगों से गायब कर दिया गया है बल्कि मुद्दा तो ये है कि जिन समाजवादी मुखियों के साथ कल तक आजम चमकते नजर आते थे आज उनकी जगह अमर सिंह ने ले ली है। और आजम हो या अमर एक दूसरे को फूटी आँख नहीं सुहाते। तो बड़ी बात तो हुई न।
अमर जमे पर आजम नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण, सिंचाई विभाग एवं सहकारिता विभाग की अहम् जिम्मेदारी को संभालने वाले शिवपाल यादव का 12 फरवरी यानि की आज 67 वां जन्मदिन है। जिसकी होर्डिंग्स पूरे लखनऊ शहर में लगाई गई हैं। लखनऊ का 1090 चौराहा तो आयताकार बैनर से पाट दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कालीदास मार्ग से पॉलीटेक्निक के बीच शिवपाल यादव को जन्मदिन की बधाई देते हुए अमर सिंह, सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव समेत सूबे के मुखिया अखिलेश यादव नजर आ रहे हैं। पर, आजम खां इस होर्डिंग से नदारद हैं।
मतलब तो यही हुआ न कि शिवपाल यादव को तोहफे के तौर पर अमर भेंट कर दिए गए हैं। रही बात आजम की तो उन्हें होर्डिंग से गायब कर सपा के साथ उनके भविष्य को तय किया जा रहा है।
...तो माशूका कहीं आजम से रूठ तो नहीं गई
बहरहाल अगर आपको याद हो तो मुलायम के जन्मदिन के दौरान आजम ने अमर सिंह को कूड़ा करकट कहा था। जिसको लेकर सूबे की सियासत काफी तेज हो गई थी। इसके बाद आजम ने मुलायम को अपनी माशूका बताते हुए अपने बीच संबंधों की बेहतरी के तमाम उदाहरण गिना डाले। फिलवक्त की इन स्थितियों को देखकर कयास तो यही लगाई जा रही है कि कहीं आजम की माशूका यानि की मुलायम कहीं उनसे नाराज तो नहीं हो गए हैं। हालांकि इसके साथ ही कुछ सवाल भी मजबूत होते दिखाई देते हैं कि क्या आजम अब सपा के लिए फायदेमंद नहीं रहे? क्या सपा को अब आजम के इस्तीफे का डर नहीं? अमर के आगे क्या आजम का कद बौना हो चुका है? क्या कार्यकर्ताओं के सहारे सपा आजम को हकीकत से रूबरू करा रही है?
जी हां तमाम सवाल जिनके जवाब की उम्मीद जनता को भी है और अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी। निश्चित तौर पर पार्टी में घमासान के आसार साफ नजर आ रहे हैं। साथ ही ये देखना भी संभव हो पा रहा है कि सपा के साथ अमर को ''अमर'' हो बना दिया गया है लेकिन सवाल भी तैयार कर दिया है कि क्या सपा के लिए जमेंगे ''आजम''।