उत्तर प्रदेश के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जायेगा क्रिमिनोलॉजी
लखनऊ। बढ़ते अपराध पर लगाम कैसे कसी जाये, इस पर अध्ययन करने और पुलिस को अपराध से निबटने के लिये समय-समय पर सुझाव प्रदान करने, या फिर पुलिस की विंग में रहकर पुलिस व जांच एजेंसियों की वर्किंग स्टाइल में कैसे परिवर्तन लाये जायें। इन सब पर अध्ययन करने और छात्रों को पढ़ाने के लिये उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में अपराधशास्त्र पढ़ाया जायेगा।
जी हां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह घोषणा बुधवार को तब की जब अपराधशास्त्र एंव आपराधिक न्यायिक प्रशासन के शिक्षक एंव यूजीसी नेट उत्तीर्ण छात्रों का एक प्रतिनिधि मण्डल उनसे लखनऊ में मिला। प्रतिनिधि मण्डल के सुझावों पर मुख्यमंत्री ने ध्यानपूर्वक विचार किया और कहा कि बहुत जल्द ही यूपी के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों व उनसे संबद्ध डिग्री कॉलेजों में क्रिमिनोलॉजी यानी अपराधशास्त्र को स्नातक एवं परा स्नातक पाठ्यक्रमों में बतौर विषय समाहित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विषय में वो उच्च शिक्षा विभाग व उच्च अधिकारियों से बात कर जल्द ही शासनादेश जारी करेंगे। इस प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व यूजीसी नेट उत्तीर्ण वरिष्ठ छात्रनेता लविवि दानिश सिद्दीकी ने किया। साथ ही उनके साथ उपस्थित लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजकार्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अनुपम शुक्ला ने मुख्यमंत्री के समक्ष विषय से सम्बन्धित बात रखी।
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उन्होंने कहा कि अपराधशास्त्र विषय को स्नातक स्तर से लेकर शोध कार्य तक शामिल किया जाये ताकि समाज में अपराध पर अकुंश लगाने के साथ ही लोगों को जागरूक किया जा सके। इस विषय को प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की मांग की।
प्रतिनिधि मण्डल में दानिश सिद्दीकी ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि अपराधशास्त्र एंव अन्य विषय से यूजीसी नेट उत्तीर्ण छात्र छात्राओं को भी लैपटॉप दिये जायें। जिससे वह इस विषय में ज्यादा से ज्यादा शोध कर समाज को नई दिशा प्रदान कर सकें। प्रतिनिधि मण्डल में अन्य लोगों में कुमारी मयूरी सहाय, कुमारी दीपमाला पाल, अनिरूद्ध कुमार सिंह, राजकुमार एंव पत्रकार पाटेश्वरी प्रसाद मौजूद थे।