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सपा की पारिवारिक कलह ने खोली यादव परिवार की कलई

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनाव होने में अब महज चंद महीनें बचे हैं, मौजूदा स्थिति को देखते हुए समाजवादी पार्टी को यूपी में जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। लेकिन जिस तरह से पिछले पांच दिनों में सपा परिवार की भीतर की कलह खुलकर लोगों के सामने आई उसने पार्टी की उम्मीदों पर भारी कुठाराघात किया है।

मुलायम की मजबूरी हैं, सपा में शिवपाल इसलिए जरूरी है?

सपा के कुनबे में पिछले पांच दिन चले इस विवाद ने यादव परिवार के भीतर के मतभेद को लोगों के सामने लाकर रख दिया है। ऐसे में आगामी चुनावों से ठीक पहले हुई कलह ने पार्रटी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

परिवार के बीच गुटबाजी आई सामने

परिवार के बीच गुटबाजी आई सामने

शिवपाल सिंह और अखिलेश यादव के बीच की दूरी लोगों के सामने खुलकर आई। पार्टी के भीतर एक तरफ जहां शिवपाल यादव का गुट है तो दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव को मानने वाले लोग। इस पूरे विवाद में एक तरफ जहां शिवपाल यादव जहां दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे तो मुख्यमंत्री अपने फैसलों को अलग ही अंदाज में ले रहे थे।

बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप पर बिखराव का डर

बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप पर बिखराव का डर

जिस तरह से अखिलेश यादव ने परिवार के भीतर बाहरी व्यक्ति के हस्तक्षेप की बात को मीडिया के सामने रखा और इस बात की रामगोपाल यादव ने भी तस्दीक की । जिसके बाद यह साफ हो गया कि पार्टी के भीतर बाहरी सख्श दरार पैदा कर सकता है।

रामगोपाल और शिवपाल के बीच की अनबन भी हुई सार्वजनिक

रामगोपाल और शिवपाल के बीच की अनबन भी हुई सार्वजनिक

मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल सिंह को प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया था। लेकिन जिस तरह से रामगोपाल यादव ने इसपर पलटवार करते हुए कहा था कि पार्टी में इस तरह का कोई पद नहीं होता है। उन्होंने कहा था कि पार्टी में कभी भी प्रभारी का पद नहीं था। उन्होंने यह तक कहा था कि अगर अखिलेश यादव से पूछा गया होता तो वह खुद पार्टी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देते। रामगोपाल के इस बयान के बाद शिवपाल से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि यह नेताजी का फैसला है और नेताजी के फैसले को टालने की किसी की हैसियत नहीं है। दोनों ही भाईयों के बीच की इस बयानबाजी ने दोनों के बीच कटु रिश्तों को भी लोगों के सामने लाकर रख दिया। हालात यह थे कि आज सपा कार्यालय के बाहर शिवपाल के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की और उन्होंने रामगोपाल यादव को बाहर किए जाने की मांग तक कर डाली थी। जिस वक्त मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे उस वक्त रामगोपाल यादव के खिलाफ नारों पर नेताजी ने नाराजगी तक जताई थी।

पार्टी के भीतर हर नेता की पैठ हुई उजागर

पार्टी के भीतर हर नेता की पैठ हुई उजागर

इस पूरे विवाद के बीच एक बात यह साफ हो गई की पार्टी के भीतर किस नेता की क्या हैसियत है। इस विवाद में जहां अखिलेश यादव एक मुखर और मजबूत फैसले लेने वाले नेता के तौर पर उभरे, तो शिवपाल यादव ने भी पार्टी के भीतर अपनी पैठ और महत्ता कसौटी पर परख कर दिखाया। ना सिर्फ अखिलेश यादव, शिवपाल यादव बल्कि गायत्री प्रजापति, रामगोपाल यादव सहित और नेताओं की पार्टी में क्या अहमियत है यह साफ हो गया।

अधिकारियों की राजनैतिक घरानों में दखल आई सामने

अधिकारियों की राजनैतिक घरानों में दखल आई सामने

सपा के भीतर पारिवारिक कलह की शुरुआत मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटाए जाने से हुई थी। लेकिन जिस तरह से इस कलह को खत्म करने के लिए चार अहम समझौते हुए जिनमें दीपक सिंघल को फिर से उनका पद दिए जाने की बात हुई उसने यह साफ कर दिया है कि यूपी में अधिकारियों की भी राजनैतिक कुनबे में गहरी पैठ है।

मुलायम के दम पर एकजुट सपा परिवार

मुलायम के दम पर एकजुट सपा परिवार

जिस तरह से सपा परिवार के भीतर के इस पूरे विवाद को खत्म करने में मुलायम सिंह ने अहम भूमिका निभाई उससे यह साफ हो गया है कि परिवार का नींव अभी भी मुलायम सिंह संभाल रहे हैं। इस बार के विवाद में जिस तरह से परिवार टूटने की ओर बढ़ रहा था उसे रोककर मुलायम सिंह ने अपनी राजनैतिक सूझबूझ का परिचय दिया।

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English summary
6 points how family dispute exposed the Samajwadi Yadav family. This dispute not only weakened the Party ahead of election but exposed the internal rift.
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