मुंबई के भिंड़ी बाजार की जगह खड़े होंगे ऊंचे-ऊंचे टावर
मुंबई। शब्बीर अर्सीवाला का परिवार 100 साल से भिंडी बाजार में रहता है। उनका दो कमरों का घर है। फर्श पर सीलन है, दीवारों से पेंट लगातार गिरता रहता है, बारिश के मौसम में पूरे मुहल्ले में बदबू आती है। 69 साल के शब्बीर कांच के बर्तनों की दुकान चलाते हैं, 69 साल उन्होंने भिंड़ी बाजार में काटे हैं लेकिन अब वो इसे छोड़ते हुए खुश हैं क्योंकि उन्हें एक साफ-सथुरा घर मिलने जा रहा है। वो भी 17 नए आवासीय टावरों में से एक में, उन्हें इसके लिए पैसा भी नहीं देना होगा ये उन्हें अपने पुराने घर के बदले में मिलेगा।
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शब्बीर आर्सीवाल भारत की सबसे बड़ी शहरी पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा हैं। ये परियोजना है, मुंबई की सबसे घनी आबादी वाले भिंडी बाजार में। मुंबई के भिंड़ी बाजार इलाके पर फिल्मे भी बनी हैं और इसको लेकर कई कहानियां भी हैं। वो भिंड़ी बाजार जो अपनी तंग गलियों, भीड़-भाड़, कई अवैध धंधों के लिए मशहूर रहा है, उसका ज्यादातर हिस्सा इतिहास के पन्नों में और मुंबई के माफियाओं, भाई लोगों पर बनी फिल्मों में रह जाएगा।
मुबंई के भिड़ी बाजार की जगह 17 आवासीय टावर लें लेंगे, इस पर काम शुरू हो चुका है। ये परियोजना करीब 40 अरब भिंड़ी बाजार के आधे से ज्यादा बाशिंदे अपने पुराने घर छोड़ चुके हैं और नए घरों के बनकर तैयार होने तक के लिए वैक्लपिक घरों में रह रहे हैं। इस परियोजना में 20 हजार लोगों को नए घर मिलेंगे।
2018
से
मिलने
शुरू
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जाएंगे
नए
घर
भिंड़ी बाजार के बाशिंदो को सहयोग से इस इलाके के मकान गिराने शुरू कर दिए गए हैं। बहुत से मकानों को गिरा दिया गया है और 1700 परिवार यहां से दूसरी जगह रहने लगे हैं। पहले टावर में 2018 में मकान मिलने शुरू हो जाएंगे।
इस परियोजना में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ-साथ कई धार्मिक संगठन भी शामिल हैं, इसकी एक खास वजह भी है। आम लोगों का बिल्डरों पर बहुत विश्वास नहीं होता है और इतनी बड़ी परियोजना के लिए इतने सारे लोगों को भरोसे में लेना तो बहुत ही मुश्किल काम है।
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भिंड़ी बाजार में रहने वाली ज्यादातर आबादी मुसलमान है, ऐसे में सरकारी अथॉरिटी और बिल्डरों के लिए उन्हें भरोसे में लेना थोड़ा सा ज्यादा कठिन था। ऐसे में बोहरा मुस्लिम समुदाय के सैफी बुरहानी उत्थान ट्रस्ट ने अहम भूमिका निभाई। ट्रस्ट ने लोगों को भरोसा दिलाया और इसे एक परोपकारी काम बताया। कुछ लोग जो घरों को तोड़े जाने और इस परियोजना का विरोध कर रहे थे, उन्हें भी इस ट्रस्ट ने ही समझाया।
बिहाइंड बाजार से बना था भिंडी बाजार
भिंड़ी बाजार के नाम के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। अंग्रेजों के शासन में क्रॉफोर्ड मार्किट के पीछे की कामगारों के लिए कमरे बनाए गए। ये एरिया बाजार के पीछे की तरफ था इसलिए अंग्रेज इसके 'बिहाइंड द बाजार' कहते थे। यहां आकर रहे मजदूरों ने बिहाइंड द बाजार को धीरे-धीरे भिंडी बाजार कर दिया और फिर यही नाम मशहूर हो गया।
ये जगह बनाई तो पुरूष मजदूरों के लिए गई थी लेकिन धीरे-धीरे वो अपने बीवा-बच्चों को भा यहं लाने लगे। आगे चलकर ये एक भीड़-भाड़ वाला इलाका बन गया। 1970 और 80 के दशक में जब मुंबई में गैंगवार, क्राइम और स्मगलिंग ने पैर पसारे तो भिंड़ी बाजार में भी इससे अछूता नहीं रहा। भारत का एक बड़ा अपराधी दाउद इब्रहिम यहीं रहा है।
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बोहरा समुदाय का बड़ा योगदान
आज भिंड़ी बाजार की 80 फीसदी इमारतों को रहने के लिए असुरक्षित कहा गया है। ईंट और गारे से बनी यहां के मकान इस स्थिति मे नहीं कि यहां रहा जा सके।
अभी भी कुछ किराएदार और मकान मालिक अपने घरों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इन लोगों से ट्रस्ट और सरकार के लोग बात कर रहे हैं। जो लोग अभी भी जगह छोड़ने को तैयार नहीं उनसे सरकार मकान खाली कराएगी।
यहां के निवासियों के मुताबिक, धार्मिक नेता सैयद मुहम्मद बुरहानुद्दीन ने अपने जीवन काल में इसके बारे में फैसला कर लिया था तो इके विरोध का कोई तुक ही नहीं है।
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भिंड़ी बाजार में रहने वाले अब नए घर को लेकर कई सपने संजो रहे है। ताज आइसक्रीम की दुकान 125 साल से यहां है। इसके मालिक मुस्तफा टावर बन जाने के बाद अपने व्यवसाय को कैसे खड़ा करना है इसका प्रोग्राम बना रहे हैं।
यहां रहने वाले लोग इस आवासीय टावर के बन जाने के बाद अपने बच्चों के खूबसूरत भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। तो वहीं इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोग भी काफी उत्साह से भरे हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट भारत के शहरों के लिए मिसाल बनेगा।