बॉर्डर पर तनाव के बीच सुषमा ने की पाकिस्तानी बेटी की मदद
जयपुर (राजस्थान)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सोशल मीडिया पर सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने के साथ-साथ सुषमा स्वराज अपना वादा पूरा करने में भी हमेशा आगे रहती हैं।
इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब उन्होंने पाकिस्तान की एक लड़की को जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिलाने में पूरा सहयोग किया।
सुषमा स्वराज ने पूरा किया पाकिस्तानी बेटी से किया अपना वादा
खुद पाकिस्तान की 18 वर्षीय छात्रा मशल महेश्वरी भी इस बात को मानती हैं। इसीलिए उन्होंने सुषमा स्वराज को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।
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मशल महेश्वरी को 22 सितंबर को सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिया गया। दाखिले के बाद मशल महेश्वरी ने कहा कि मैं सुषमा स्वराज जी को मेरा सपना पूरा करने के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं।
बता दें कि मशल महेश्वरी का परिवार पाकिस्तान के सिंध प्रांत से 2 साल पहले धार्मिक वीजा पर जयपुर आ गया था। उनके मुताबिक हिंदु अल्पसंख्यकों के शोषण के बाद उन्हें वहां से जयपुर आने को मजबूर होना पड़ा।
राजस्थान के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में मिला दाखिला
सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और कंट्रोलर डॉ. यूएस अग्रवाल ने इस बात की पुष्टि की है कि मशल महेश्वरी को दाखिला दिया गया है। हालांकि उन्हें किस श्रेणी में दाखिला दिया गया है इस बात की जानकारी नहीं दी गई है।
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मशल महेश्वरी को डाक्टर बनने की इच्छा है। 18 वर्षीय छात्रा ने सीबीएसई 12वीं की परीक्षा में मेहनत से पढ़ाई करके 91 फीसदी अंक हासिल किए।
मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद वह मेडिकल के कॉमन प्रवेश परीक्षा एनईईटी में शामिल होना चाहती थी लेकिन राष्ट्रीयता उसके आड़े आ गई।
मशल ने 29 मई को किया था सुषमा को ट्वीट
इसके बाद मशल महेश्वरी ने 29 मई, 2016 को केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया। उन्हें अपनी समस्या बताई। जिसके बाद तुरंत ही मशल को ट्वीट का जवाब भी मिल गया।
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सुषमा स्वराज ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि मशल, मेरी बच्ची...हताश होने की जरूरत नहीं है। मैं निजी तौर पर मेडिकल कॉलेज में तुम्हारे एडमिशन के मामले को देखूंगी।
इसके बाद मंत्री के कार्यालय की ओर से मशल महेश्वरी से जरूरी कागजात मंगाए गए, जिससे एडमिशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
न्यूरोलॉजिस्ट या कॉर्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हैं मशल
शुरू में मशल महेश्वरी को कर्नाटक में सीट देने का प्रस्ताव दिया गया लेकिन मशल ने गुजरात या फिर राजस्थान में सीट की मांग की।
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मशल ने बताया कि मैं न्यूरोलॉजिस्ट या कॉर्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हूं और भारत में रहकर यहां के लोगों की सेवा करना चाहती हूं। फिलहाल मशल के माता-पिता को उम्मीद है कि उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी।