चीन की नई चाल: कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रख दी शर्त
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात से ठीक पहले चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी। इसके पीछे उसने सुरक्षा कारणों को जिम्मेदार जिम्मेदार ठहराया। यह खबर आने के ठीक दो दिन और मोदी-ट्रंप की मुलाकात से कुछ घंटे पहले सिक्किम में चीनी सैनिकों ने भारतीय बंकरों को तोड़ा और धक्का-मुक्की की।
इस घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें चीनी सैनिक धक्का-मुक्की करते हुए अंधों को भी दिखाई जाएं, मगर चीन को ये सब नहीं दिख रहा है। वह तो 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' की तर्ज पर भारतीय सैनिकों पर ही आरोप मढ़ रहा है। इतना ही नहीं, ड्रैगन के विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार से इस मामले की जांच करने की मांग तक कर डाली है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन मंगलवार को उसने एकदम धमकी भरे अंदाज में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखने के लिए अपनी शर्त पेश कर दी है।
चीन ने कहा कि भारतीय सैनिक तुरंत पीछे हट जाएं। भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस टकराव का हल कैसे निकालता है?
चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन ल्यू क्वांग ने कहा, "अपनी क्षेत्रीय अखंडता से हम कभी भी समझौता नहीं करेंगे। उम्मीद है कि भारत भी इसी दिशा में काम करेगा और तुरंत अपने उन जवानों को पीछे हटने के लिए कहेगा, जिन्होंने चीन की सीमा में घुसपैठ की है।"
प्रवक्ता
ने
आगे
कहा,
"जहां
तक
सिक्किम
के
नाथू
ला
दर्रे
से
कैलाश
जाने
वाले
भारतीय
श्रद्धालुओं
के
गुजरने
की
बात
है
तो
भारतीय
पक्ष
को
इस
बारे
में
हालात
साफ
कर
दिए
गए
हैं।''
चीन
ने
कहा
कि
लंबे
समय
से
चीन
की
सरकार
ने
भारतीय
श्रद्धालुओं
को
जरूरी
सहूलियतें
देने
की
कोशिशें
की
हैं,
लेकिन
हाल
ही
में
भारतीय
सेना
ने
चीन
की
सीमा
में
घुसकर
हमारे
कंस्ट्रक्शन
को
नष्ट
करने
का
प्रयास
किया।
हमने
जरूरी
कदम
उठाए।
सुरक्षा
कारणों
से
श्रद्धालुओं
की
नाथू
ला
पास
में
एंट्री
बंद
कर
दी
गई
है।
मानसरोवर यात्रा के संबंध में चीन ने दो टूक कहा है कि आने वाले समय में हमारी नजर इस पर रहेगी कि भारत की ओर से क्या एक्शन लिया जाता है। उन्हें सुरक्षा की स्थिति को मजबूत करने के लिए कदम उठाना होगा।
चीन की ओर से यात्रा रोके जाने के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले 47 श्रद्धालुओं को चीन ने रोक दिया था और उन्हें गंगटोक वापस आना पड़ा।
2015 में खोला गया था नाथू ला दर्रा
2015 में नाथू ला दर्रे को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए खोला गया था। 2015 से पहले इस यात्रा के लिए केवल एक रास्ते का इस्तेमाल किया जा रहा था, जो कुमाऊं रीजन से होकर लीपू दर्रे से होकर गुजरता है। नाथू ला दर्रे से 1500 किलोमीटर की ये यात्रा बस के जरिए की जा सकती है। यह रास्ता उत्तराखंड के लीपू दर्रे की तुलना में छोटा बताया जाता है।