#PresidentTrump: पाकिस्तान और चीन के खिलाफ क्या भारत को मिलेगा ट्रंप का साथ?
पाकिस्तान के खिलाफ हमेशा से ही मुखर रहे डोनाल्ड ट्रंप अब राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के लिए कितने मददगार साबित होंगे, सबके जेहन में एक बड़ा सवाल।
न्यूयॉर्क। अब साफ हो गया है कि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अब भारत को आतंकवाद की लड़ाई में मदद की नई उम्मीदें जगने लगी हैं। 20 जनवरी 2017 को ट्रंप आधिकारिक तौर पर व्हाइट हाउस में पहुंच जाएंगे।
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भारत के साथ मजबूती से न रहने वाला अमेरिका
ट्रंप जब ओवल हाउस में अपनी जिम्मेदारियां संभालेंगे तो उन पर कई अहम जिम्मेदारियों के साथ भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने की जिम्मेदारी भी होगी।
90 के दशक में जब डेमोक्रेट बिल क्लिंटन अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो भारत-अमेरिकी रिश्तों में एक नया आयाम आया था। क्लिंटन भारत के परमाणु परीक्षण और कारगिल की जंग के बाद भारत आए थे।
क्लिंटन के बाद जब रिपब्लिकन जॉर्ज बुश अमेरिकी राष्ट्रपति बने तो भारत के हिस्से न्यूक्लियर डील के अलावा कोई बड़ी कामयाबी नहीं आई। आतंकवाद को लेकर बुश का रवैया अमेरिका के लिए कुछ और भारत के लिए कुछ और वाला रहा।
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चीन और पाक लेते हैं अमेरिका से करोड़ों डॉलर
ट्रंप भले ही आउटसोर्सिंग की बात को लेकर भारत का विरोध कर चुके हों लेकिन उन्होंने हमेशा भारत के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने का वादा किया है।
पूर्व अमेरिकी डिप्लोमैट विलियम एक एवरी मानते हैं कि ट्रंप का राष्ट्रपति बनना असल में चीन और पाकिस्तान के लिए एक बुरी खबर है।
एवरी की मानें तो चीन और पाकिस्तान दोनों ही हमेशा को एक दुधारू गाय की तरह प्रयोग करते आए हैं।
चीन पर वर्ष 2015 में 366 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त बोझ है तो वहीं पाक वर्ष 2002 से अमेरिका से 30 बिलियन डॉलर की मदद ले चुका है।
आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर ली गई इस रकम का प्रयोग जरा भी नहीं होता और पाक सिर्फ ढोंग करता है। इस बात की पूरी संभावना है कि ट्रंप पाक को मिल रही मदद में कटौती जरूर करेंगे।
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भारत ही पाक जैसी 'समस्या' को खत्म कर सकता है
पाक हमेशा से ही भारत को परेशान करने वाला पड़ोसी रहा है। एवेरी का मानन है कि अब राष्ट्रपति चुनावों के बाद पाक दक्षिण एशिया में एक हारा हुआ देश साबित होने वाला है।
ट्रंप पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बता चुके हैं। वह इस बात की भी वकालत कर चुके हैं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को शामिल करना ही पड़ेगा।
भारत ही पाकिस्तान को रोकने की ताकत रखता है। ट्रंप ने कहा था कि वह जल्द ही इस दिशा में भी काम करेंगे। राष्ट्रपति पद के किसी भी उम्मीदवार के लिए इस तरह का बयान काफी मायने रखता है।
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कश्मीर पर मध्यस्थता के इच्छुक थे ओबामा
वर्ष 2008 में जब राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने चुनावी अभियान में जुटे थे तो कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की तरफ इशारा तक कर चुके थे।
हालांकि उसके बाद से बतौर राष्ट्रपति ओबामा ने हमेशा से ही कश्मीर मुद्दे पर मध्सस्थता करने की बात से किनारा किया। वह इस मुद्दे पर अमेरिका के पुराने रुख पर वापस लौट गए।
वहीं ट्रंप कहते हैं कि पाकिस्तान एक समस्या है और इसका हल भारत के पास ही मौजूद हैं। यह पाकिस्तान का दिन में तारे दिखाने जैसा बयान था।
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अमेरिका की मदद पर पलता पाक
ट्रंप ने पाक में ओसामा बिन लादेन के रहने पर भी कड़ी टिप्पणी की थी। ट्रंप ने डॉक्टर शकील अफरीदी का नाम लिया था।
उन्होंने कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति तो सिर्फ दो मिनट में ओसामा बिन लादेन को दुनिया के समाने ले आते। ट्रंप ने कहा था कि वह पाक को आदेश देते कि वह लादेन को लेकर आए।
ट्रंप के मुताबिक पाक ऐसा जरूर करता क्योंकि वह अमेरिका की ओर से मिल रही लाखों अरबों डॉलर की मदद पर पल रहा है। डॉक्टर आफरीदी ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने सीआईए को लादेन के बारे में जानकारियां दी थी।