ब्रिक्स बैंक क्यों और कैसे अलग है विश्व बैंक और आईएमएफ से ?
इस बैंक से जुड़ी जानकारी
गौरतलब है कि इस बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई में होगा, वहीं बैंक का पहला सीईओ भारतीय होगा। इस बैंक की शुरुआती पूंजी 100 अरब डॉलर होगी। ब्रिक्स के सारे देश ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रिका इस बैंक को 20-20 अरब डॉलर की रकम देंगे। जो कि ब्रिक्स देशों के नकदी संकट के समय काम आएगी। साथ ही इसके जरिए वैश्विक वित्तीय सुरक्षा को भी मजबूत किया जाएगा।
ब्रिक्स देशों का दबदबा
विश्व बैंक और आईएमएफ की वजह से जो दबदबा पश्चिम में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और फ्रांस समेत पूरे यूरोप का नजर आता है, अब वही दबदबा ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक की वजह से भारत और सभी ब्रिक्स देशों का कायम हो सकेगा। साथ ही अगर यह बैंक भी उपरोक्त दोनों संगठनों की तरह कामयाब हो जाता है तो अमेरिका का अभिमान टूट सकता है।
IMF की कोटा और विश्व बैंक की मतदान प्रणाली
ब्रिक्स देशों का मानना है कि विकासशील देश खुद एक-दूसरे की समस्याएं और मुद्दों को ज्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं। जिसके बाद साथ मिलकर समाधान निकाला जा सकता है। सभी विकासशील देश गरीबी, अपराध, आर्थिक अस्थिरता, बेरोजगारी, बढ़ती जनसंख्या, बीमारी, बुनियादी सुविधाओं की कमी और मंहगाई से जूझ रहे हैं। इन देशों के पास प्रचुर मात्रा में अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधन भी मौजूद हैं, जो कि इन देशों के विकास के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकती है।
वहीं, ब्रिक्स देशों के मुताबिक, यह बैंक आईएमएफ की अनुचित कोटा प्रणाली और विश्व बैंक की वोटिंग प्रणाली के प्रतिकार कदम के रूप में होगा। भारत एवं चीन आईएमएफ और विश्व बैंक के इस प्रणालियों की बदलाव की मांग की थी।
आईएमएफ और विश्व बैंक
- आईएमएफ और विश्व बैंक, 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोपियन देशों के विकास और पुनर्निमाण के लिए स्थापित किया गया था।
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आईएमएफ
लंबी
अवधि
के
ऋण
उपलब्ध
कराने
के
लिए
एक
नियामक
प्राधिकरण
के
रूप
में
काम
करता
है।
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वहीं
विश्व
बैंक
अपने
सदस्य
देशों
को
इंफ्रास्ट्रक्चरल
योजनाओं
के
लिए
लंबी
अवधि
के
विकास
ऋण
उपलब्ध
कराता
है।
- इसने मुख्य रूप से आईबीआईडी और आईडीए को शामिल किया है।
आईएमएफ पर जहां यूरोपियन देशों का दबदबा है। वहीं विश्व बैंक का नेतृत्व अमेरिका करता आया है। लिहाजा, उभरती अर्थव्यवस्थाओं या विकासशील देशों ने स्थायी विकास परियोजनाओं के लिए एक ऐसे संस्था की जरूरत महसूस की जो उन्हें वित्तीय सहायता दे सके।