कहां है ये पुल जो बन गया है प्रवासियों का कैंप
लेकिन काफ़िले में शामिल अधिकतर लोगों के लिए लौटना विकल्प नहीं है. नदी पार करने वाले एक प्रवासी डेविड लोपेज़ कहते हैं, "हम यहां तक पहुंचे हैं, अब यहां से पीछे नहीं लौटना. मैक्सिको पहुंचना भी उपलब्धि हैं, अब हम यहां से सिर्फ़ उत्तर की ओर ही जाएंगे."
"वो डूब रहे हैं, वो डूब रहे हैं!" एक महिला बदहवाशी में चिल्लाई और चार लोग सूचीआते नदी में डूब रहे दो बच्चों को बचाने के लिए कूद पड़े.
ये बच्चे ग्वाटेमाला से मैक्सिको में दाख़िल होने के लिए नदी में उतरे प्रवासियों के काफ़िले का हिस्सा थे.
कुछ पलों के लिए ये बच्चे पानी के भीतर थे, फिर ये पानी से बाहर दिखे और बचाव के लिए कूदे लोग उनकी मदद कर पाए. कुछ देर बाद कुछ नौकाएं इस अभियान में शामिल हो गईं और सभी को सुरक्षित किनारे पर ले आया गया.
ग़रीबी, अपराध और अस्थिरता से प्रभावित होंडुरास के सैकड़ों लोगों के काफ़िले ने बेहतर ज़िंदग़ी की तलाश में अमरीका की ओर कूच किया है.
ये काफ़िला ग्वाटेमाला और मैक्सिको से होते हुए अमरीकी सीमा तक पहुंचेगा. ग्वाटेमाला से मैक्सिको में दाख़िल होने के लिए इस काफ़िले को कई ख़तरे उठाने पड़े हैं.
इस शनिवार को कई प्रवासियों ने सीमा पर स्थित पुल पर बनी लंबी रेखा को तोड़कर मैक्सिको के अधिकारियों से शरण मांगने का आग्रह किया.
ये लोग ग्वाटेमाला और मैक्सिको को बांटने वाली सूचीआते नदी को पार करने लगे. ये नदी ही दोनों देशों को बांटती है.
हालांकि ये नदी बहुत ग़हरी नहीं है लेकिन ये काफ़ी चौड़ी है. मौसमी बारिश की वजह से इन दिनों पानी तेज़ रफ़्तार से बह रहा है.
प्रवासियों ने पुल के नीचे एक मोटी रस्सी भी बांध दी है जिसे पकड़कर कई प्रवासियों ने सीमा पार की है. सीमा सुरक्षा का नियंत्रण कक्ष इसी पुल पर है.
कुछ लोगों ने तैरकर नदी पार की और कुछ ने राफ़्ट पर. पुलिस ने राफ़्टवालों को प्रवासियों को न बिठाने की चेतावनी दी थी. कुछ ही इस चेतावनी को तोड़ पाए.
तैरकर नदी पार करने वाले एक प्रवासी ह्वान पाब्लो ने बताया, "हम परेशानहाल थे और हमने बेहतर भविष्य की तलाश में अमरीका की ओर बढ़ने का फ़ैसला किया. इंतज़ार करके हमें ये पता नहीं चलेगा कि वो हमें वापस हमारे देश भेजेंगे या नहीं."
मैक्सिको की पुलिस ने अभी तक प्रवासियों के इस काफ़िले को रोकने की कोशिश नहीं की है. हालांकि मैक्सिको के अधिकारियों ने कहा है कि सीमा पार करके आए क़रीब 900 प्रवासियों को प्रवासी नियमों से गुज़रना होगा और उन्हें वापस उनके देश भी भेजा जा सकता है.
इंतज़ार
जिन लोगों ने सीमा पार करने का फ़ैसला किया है उनके लिए हालात बेहद मुश्किल हैं. होंडुरास से निकले इस काफ़िले का ये सबसे अहम पड़ाव भी है.
अभी भी बहुत से लोग पुल पर मैक्सिको के अधिकारियों का इंतज़ार कर रहे हैं. ये लोग भीषण गर्मी में पुल पर बैठे हैं और इनके लिए हालात मुश्किल होते जा रहे हैं. वो खुले में सोए हैं, उनके पास न पीने का पानी है न शौचालय की व्यवस्था. पेशाब की बदबू भी यहां फैल रही है.
लोग जो उन्हें दे दे रहे हैं वो खा ले रहे हैं. इनमें से बस कुछ के पास ही खाने के लिए कुछ ख़रीदने लायक पैसे हैं.
यहां कूड़े के ढेर भी लग गए हैं. बच्चों को गर्मी से बचाने के लिए बड़े उनकी हवा कर रहे हैं. गर्मी से कोई बेहोश ना हो या हीट स्ट्रोक की वजह से किसी की जान ना जाए इसके लिए पानी की बौछारें भी की जा रही हैं.
कई बच्चे बेहोश हो गए हैं, कई महिलाएं लापता हो गई हैं.
जैसे ही कोई बेहोश हो जाता, आसपास के लोग उस पर पानी डाल देते. कोशिश ये होती की किसी तरह उसे सीमा पार करा दी जाए ताकि मैक्सिको में उसे मदद मिल सके.
शरण के रोज़ाना 300 आवेदन
मैक्सिको के अधिकारी प्रवासियों को दाख़िल होने भी दे रहे हैं. लेकिन ये प्रक्रिया बहुत धीमी है.
ग्वाटेमाला के एक ग़ैर सरकारी संगठन यो एमो के मुताबिक, "ये एक संकट है, बच्चे बहुत ज़्यादा परेशानी में हैं, अगर उन्हें यहां लंबा समय बिताना पड़ गया तो वो मर भी सकते हैं."
मैक्सिको के नेशनल सिक्यूरिटी कमिश्नर रेनाटो सेलेस हेरेडिया ने बीबीसी से कहा, "हम प्रवासियों की अर्ज़ियां ले रहे हैं और उन्हें आने दे रहे हैं. उन लोगों को शरण दे दी जाएगी जो ये साबित कर सकेंगे कि उनके देश मानवीय संकट है और उनकी जान पर ख़तरा है."
सेलेस का कहना है कि हर अर्ज़ी की व्यक्तिगत स्तर पर जांच होगी जिसमें चालीस दिन तक का समय लग सकता है. उनके मुताबिक हर दिन क़रीब तीन सौ शरणार्थियों की अर्ज़ियां स्वीकार की जा रही हैं.
कुछ प्रवासियों के मैक्सिको में दाख़िल होने के बाद पुल पर कुछ जगह बनी तो पीछे से और प्रवासी यहां पहुंच गए. स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक होंडुरास से प्रवासियों का एक नया काफ़िला निकला है जो कुछ दिनों में यहां पहुंच सकता है.
वर्ल्ड विज़न एनजीओ से जुड़े टोनातीयू मागोस कहते हैं, "पुल पर गंदगी की वजह से यहां मानवीय संकट पैदा होने का गंभीर ख़तरा है."
उनका कहना है कि शौचालयों की कमी और बढ़ते तापमान से यहां महामारी फैल सकती है जिसकी चपेट में बच्चों के आने का ख़तरा ज़्यादा है.
हिंसा और ग़रीबी
डानिया अपने पति और चार बच्चों के साथ होंडुरास के सान पेडरो सूला से काफ़िले में शामिल हुईं.
वो कहती हैं, "हम जानते हैं कि ये रास्ता हमारे बच्चों के लिए ख़तरनाक़ है लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं? हमारे देश में हमारा कोई भविष्य ही नहीं है, वहां बहुत हिंसा है और हम ऐसी जगह पहुंचना चाहते हैं जहां हमारे परिवार के लिए हालात कुछ बेहतर हों. अमरीका पहुंचने हमारा लिए जीने मरने का सवाल है. या तो हम सब मर जाएंगे या बच जाएंगे."
डानिया के परिवार ने पुल पर ही इंतेज़ार करने का फ़ैसला किया है. उन्हें यहां से जल्दी ही आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं है. इसलिए उन्होंने भी बाक़ी लोगों की तरह ही पुल से एक पन्नी बांध ली है जो उनके बच्चों को छांव दे रही है.
हालांकि ये पन्नी बारिश से उनके परिवार को नहीं बचा पाएगी. उनकी ख़ुशक़िस्मती है कि हाल के दिनों में इस इलाक़े में तेज़ बारिश नहीं हुई है.
इन सभी प्रवासियों ने ग़रीबी और हिंसा से बचने के लिए अपना देश छोड़ा है. पेड्रो नाम के एक और प्रवासी कहते हैं, "न हमारे पास कोई काम है न नौकरी. गैंग के हमलों का ख़तरा भी है. अपनी छोटी सी मैकेनिक की दुकान को खोलने के लिए मुझे फिरौती देनी पड़ी, लेकिन मैं ये फिरौती बहुत दिनों तक चुका नहीं पाया और दुकान बंद करनी पड़ी."
इस लंबे, थकाऊ और ख़तरनाक सफ़र पर निकले अधिकतर प्रवासियों को लगता है कि अमरीका में उन्हें बेहतर ज़िंदग़ी मिल जाएगी.
15 साल की जैसिका इस सफ़र पर अकेले ही निकली हैं. वो न्यूयॉर्क में अपने रिश्तेदारों के पास पहुंचना चाहती हैं. वो कहती हैं, "कुछ गैंगस्टरों ने मुझे जान से मारने की धमकी दी थी."
वो अपनी मां को फ़ोन करने के लिए अजनबियों से फ़ोन मांगती हैं. वो कहती हैं, "मेरी मां ने मुझसे रोते हुए अपना ख्याल रखने के लिए कहा है. अगर मैं डूबने लगी तो मैं अपना सामान छोड दूंगी."
लेकिन उधर अमरीका में इन प्रवासियों का स्वागत नहीं है. अधिकारी उनसे निबटने की तैयारी कर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने मैक्सिको से इस काफ़िले को बीच में ही रोकने के लिए कह दिया है.
हाल के दिनों में दिए बयानों में उन्होंने केंद्रीय अमरीका से आने वाले प्रवासियों को अपराधी तक कहा है.
फ़ोन वार्ता में होंडुरास के राष्ट्रपति ह्वान ओरलांडो हर्नांदेज़, ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोरालेज़ और मैक्सिको के राष्ट्रपति एनरीके पेन्या नीटो ने भरोसा दिलाया है कि वो प्रवासियों को लेकर वैश्विक समझौतों का सम्मान करेंगे.
मैक्सिको के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ये समझौते प्रवासियों के सुरक्षित, नियमित और व्यवस्थित यात्रा को बढ़ावा देते हैं.
ग्वाटेमाला और होंडुरास के राष्ट्रपतियों के मुताबिक उन्होंने लौटने की चाह रखने वाले प्रवासियों के लौटने के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित रास्ता उपलब्ध करवाया है.
उनका दावा है कि क़रीब दो हज़ार प्रवासी वापस होंडुरास लौट चुके हैं.
'हम बहुत परेशान हैं'
लेकिन काफ़िले में शामिल अधिकतर लोगों के लिए लौटना विकल्प नहीं है. नदी पार करने वाले एक प्रवासी डेविड लोपेज़ कहते हैं, "हम यहां तक पहुंचे हैं, अब यहां से पीछे नहीं लौटना. मैक्सिको पहुंचना भी उपलब्धि हैं, अब हम यहां से सिर्फ़ उत्तर की ओर ही जाएंगे."
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