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जागिए, नहीं तो कल न पीने के लिए पानी बचेगा और न खाने के लिए अन्‍न

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पेरिस। 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक फ्रांस की राजधानी पेरिस में दुनिया भर के 196 देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष मौजूद रहेंगे। सभी की चिंताएं बस एक ही मसले से जुड़ी होंगी और वह है धरती का बढ़ता हुआ तापमान।

ग्‍लोबल वॉर्मिंग या फिर क्‍लाइमेट चेंज आज एक बड़ी समस्‍या बन गया है। इसका अंदाजा आप इसी लगा सकते हैं कि पूरी दुनिया को अब इस मुद्दे के लिए बात करने के लिए आगे आना पड़ा है। एक ऐसा मुद्दा जिसके आगे आतंकवाद का मुद्दा भी शायद कमजोर पड़ने लगा है।

अब जबकि क्‍लाइमेट चेंज के बारे में बातें शुरू हुई हैं तो फिर आपके लिए इससे जुड़ी कुछ खास बातों को भी जानना जरूरी है।

क्या है क्‍लाइमेट चेंज

क्या है क्‍लाइमेट चेंज

धरती का तापमान लगातार जियोलॉजिकल टाइम के मुताबिक बदलता रहता है। ग्‍लोबल एवरेज टेम्‍प्रेचर आज करीब 15 डिग्री सेंटीग्रेट तक बढ़ चुका है। पूर्व की तुलना में आज तापमान में वृद्धि कहीं अधिक है।

क्‍यों आज है दुनिया परेशान

क्‍यों आज है दुनिया परेशान

वर्तमान में तापमान में वृद्धि इतनी तेजी से हो रही है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक परेशान हो गए हैं। उनका कहना है कि यह वृद्धि आगे चलकर मौसम पर प्रतिकूल और खतरनाक प्रभाव डालने वाली है।

ग्रीनहाउस इफेक्‍ट

ग्रीनहाउस इफेक्‍ट

ग्रीनहाउस इफेक्‍ट धरती के वातावरण के बारे में बताता है। धरती का वह वातावरण तो सूरज से ऊर्जा लेता है। अंतरिक्ष से धरती की सतह पर चमकती हुई चीज दिखने वाली चीज ही सोलर एनर्जी है। इस एनर्जी को वातावरण में मौजूद ग्रीनहाउस गैसे सोख लेती हैं। इसके बाद वे अलग-अलग दिशाओं में उत्‍सर्जित होती हैं।

क्‍या होगा अगर कम हो जाएगी यह एनर्जी

क्‍या होगा अगर कम हो जाएगी यह एनर्जी

यह सोलर एनर्जी हमारे वातावरण की सतह के साथ ही साथ अंदरुनी वातावरण को भी गर्म रखती है। अगर यह प्रभाव नहीं बचेगा तो फिर धरती का तापमान 30 डिग्री तक ठंडा हो जाएगा। इसकी वजह से हमारी जिंदगी चलना लगभग नामुमकिन होगा।

क्या है ग्‍लोबल वॉर्मिंग

क्या है ग्‍लोबल वॉर्मिंग

वैज्ञानिकों का मानना है कि प्राकृतिक ग्रीनहाउस इफेक्‍ट को इंडस्‍ट्री और कृषि से उत्‍सर्जित होने वाली गैसों की वजह प्रभावित किया जा रहा है। इसकी वजह से ऊर्जा का क्षरण हो रहा है और तापमान बढ़ रहा है। इसी को ग्‍लोबल वॉर्मिंग या क्‍लाइमेट चेंज कहा जाता है।

औद्योगिकीकरण का असर

औद्योगिकीकरण का असर

सन 1750 में जब से औद्योगिकीकरण शुरू हुआ है कार्बन डाई ऑक्‍साइड का लेवल 30 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। मिथेन का स्‍तर 140 प्रतिशत तक बढ़ा है। वहीं वातावरण में कम से कम 800,000 वर्षों में कार्बन डाई ऑक्‍साइड का स्‍तर नई ऊंचाइयों पर है।

कितना बढ़ेगा तापमान

कितना बढ़ेगा तापमान

वर्ष 2013 के एक अनुमान के मुताबिक 21वीं सदी के अंत तक धरती के सतह पर तापमान में सन 1850 की तुलना में करीब 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट तक का इजाफा होगा।

हमें कैसे प्रभावित करता है क्‍लाइमेट चेंज

हमें कैसे प्रभावित करता है क्‍लाइमेट चेंज

क्‍लाइमेट चेंज के प्रभाव अनिश्चित हैं। इसकी वजह से आने वाले समय में पीने के पानी की कमी होगी, खाद्य उत्‍पादन बद से बदतर होगा, बाढ़, तूफान, गर्मी और सूखे की वजह से होने वाली मौतों में भी खासा इजाफा होगा।

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English summary
World's 196 nations have been gathered in France's capital Paris to attend summit on Climate Change. This summit is also known as Climate Change Conference.
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