पत्थरबाजों से निपटने का ये है नायाब तरीका, इजरायल से सीखे भारत!
फिलीस्तीन के प्रदर्शनकारियों और पत्थरबाजों के बीच ही शामिल हो जाते हैं इजरायल के कमांडो और फिर देते हैं उनको जवाब। वर्ष 2015 के एक वीडियो से मिलता है इशारा।
जेरुसलम। इजरायल की सेनाओं को दुनिया की ताकतवर सेनाओं में शामिल किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक बार इजरायल और उनकी सेनाओं के तरीकों का जिक्र एक रैली में किया था। आज जम्मू कश्मीर में हालात बेकाबू हैं और किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर अनियंत्रित हो चुकी स्थिति को कैसे काबू में लाया जाए?
भीड़ में ही हो जाते हैं शामिल
पिछले दिनों जब एक घटनाक्रम में इंडियन आर्मी ने पत्थरबाजों से निबटने के लिए एक तरकीब निकाली तो सेना को विरोध शुरू हो गया। क्या आप जानते हैं कि दुनिया की ताकतवर सेनाओं में शुमार इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) पत्थरबाजों का मुकाबला कैसे करती है? वर्ष 2015 का एक वीडियो जब आप देखेंगे तो आपको यह बात पूरी तरह से समझ आ जाएगी। इस वीडियो में आईडीएफ के अंडरकवर एजेंट्स फिलीस्तीन के उन प्रदर्शनकारियों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं, जो उन पर पत्थर फेंक रहे हैं। यह वीडियो इजरायल के वेस्ट बैंक का है और इजरायल और फिलीस्तीन का बॉर्डर है और इसे एएफपी के एक जर्नलिस्ट ने शूट किया था। वीडियो में कमांडो बिल्कुल फिलीस्तीनी प्रदर्शनकारियों जैसे ही हैं और उनके चेहरे ढंके हुए हैं। जैसे ही पत्थरबाजी शुरू होती है ये अंडरकवर एजेंट्स फिलीस्तीन के पत्थरबाजों को पकड़ लेते हैं। उन्हें पीटते हैं और फिर बाकी पत्थरबाजों पर फायरिंग शुरू हो जाती है।
इजरायल की स्पेशल कमांडो फोर्स का हिस्सा
ये अंडरकवर एजेंट्स करीब 30 मिनट तक फिलीस्तीन के पत्थरबाजों के बीच रहे थे। वे खुद भी इजरायली सैनिकों पर पत्थर फेंक रहे थे। इसके बाद वे अचानक उनके पास मौजूद प्रदर्शनकारियों की ओर मुड़ते हैं और फिर फायरिंग शुरू हो जाती है। जिस समय का यह वीडियो है उस समय संघर्ष में तीन लोग घायल हुए थे जिसमें से एक तो गंभीर तौर पर घायल भी हो गया था। इस व्यक्ति के सिर पर पीछे की तरफ गोली लगी थी। फिलीस्तीन की न्यूज एजेंसी ने उस समय कहा था कि इस संघर्ष में 18 लोगों की मौत हुई थे जिसकी वजह से आईडीएफ सैनिकों का रबड़ कोटिंग वाले गोलियों को फायर करना। ये अंडरकवर एजेंट्स इजरायल की एलीट ड्यूडेवान यूनिट के थे जिसके कमांडोज को खासतौर पर प्रदर्शनकारियों से निबटने की ही ट्रेनिंग दी जाती है। ये एजेंट्स अरबी भाषा बोलने में माहिर होते हैं और अक्सर फिलीस्तीन के प्रदर्शनकारियों में खुद को आसानी से छिपा लेते हैं। पढ़ें-भारत और इजरायल की किसमें कितना है दम