प्रिंस सलमान को लेकर डोनल्ड ट्रंप को अमरीकी सीनेट का झटका
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, 2015 में हालात ख़राब होने के बाद से यमन में हज़ारों आम नागरिक मर चुके हैं और लाखों भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं.
इससे पहले गुरुवार को यमन में संघर्षरत पक्षों की स्वीडन में मुलाक़ात हुई थी जहां पर उनके बीच बंदरगाह वाले शहर हदायदा में युद्धविराम करने पर सहमति बनी थी.
यह बंदरगाह बहुत अहम है क्योंकि देश के दो-तिहाई हिस्से की जीवनरेखा यहीं से शुरू होती है.
अमरीकी सीनेट ने सऊदी अरब के नेतृत्व में यमन में चल रहे युद्ध से अमरीकी मदद ख़त्म करने और पत्रकार की हत्या के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को ज़िम्मेदार मानने के पक्ष में मतदान किया है.
इसे अमरीकी राष्ट्रपति के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि वह इन दोनों ही बातों के ख़िलाफ़ थे और उनका प्रशासन इस बिल का विरोध कर रहा था.
पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की मौत को लेकर अमरीका के पुराने सहयोगी सऊदी अरब की आलोचना करने में डेमोक्रैट्स को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर्स का भी साथ मिला.
यमन में अभियान चला रहे सऊदी अरब की मदद से पीछे हटने और ख़ाशोज्जी की मौत के लिए मोहम्मद बिन सलमान को ज़िम्मेदार बताने वाले इस प्रस्ताव के पक्ष में 56 मत पड़े जबकि विरोध में 41 वोट डाले गए.
हालांकि, ट्रंप ने इस मामले पर वीटो करने की बात कही है और हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स में इस बिल का पारित होना बहुत मुश्किल है.
अमरीकी सीनेट में पारित इस प्रस्ताव में सऊदी अरब से अपनी 'अस्थिर विदेश नीति को नरम' करने के लिए भी कहा गया है.
ट्रंप के लिए झटका
पिछले महीने अमरीका ने सऊदी अरब के लड़ाकू विमानों में ईंधन भरना बंद कर दिया था.
लेकिन गुरुवार को सीनेट से पारित हुआ यह प्रस्ताव अगर क़ानून के रूप में पारित हो गया तो भविष्य में फिर अमरीका सऊदी विमानों में ईंधन नहीं भर पाएगा.
इस क़दम को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के लिए राजनीतिक तौर पर शर्मिंदगी भरा माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना करने से इनकार कर दिया था.
ट्रंप ने यह क़दम तब भी उठाया था, जब सीआईए का कहना था कि हो सकता है अमरीका में रह रहे ख़ाशोज्जी की हत्या क्राउन प्रिंस के आदेश पर ही हुई हो.
यमन संकट
ट्रंप प्रशासन ने इस बिल का यह कहते हुए विरोध किया था कि सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन को अमरीकी मदद ज़रूरी है क्योंकि इससे ईरान को अलग-थलग करने में मदद मिलेगी जो यमन में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ लड़ रहे हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है.
इस बिल में राष्ट्रपति ट्रंप से अपील की गई है कि वह इस्लामिक चरमपंथियों के अलावा अन्य किसी भी तरह की गतिविधि में शामिल सभी सैन्य बलों को वापस बुलाएं.
सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था और सीनेट से इसके पारित होने को उन्होंने ऐतिहासिक पल बताया.
उन्होंने कहा, "आज हमने सऊदी अरब की निरंकुश सरकार को बता दिया कि हम उनके सैन्य अभियानों का हिस्सा नहीं बनेंगे."
विशेषज्ञ कहते हैं कि यमन इस समय दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकट से जूझ रहा है.
ऐसे में बर्नी सैंडर्स ने कहा कि यह मतदान दुनिया के लिए संदेश है कि अमरीका दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकट का हिस्सा नहीं बना रहेगा.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, 2015 में हालात ख़राब होने के बाद से यमन में हज़ारों आम नागरिक मर चुके हैं और लाखों भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं.
इससे पहले गुरुवार को यमन में संघर्षरत पक्षों की स्वीडन में मुलाक़ात हुई थी जहां पर उनके बीच बंदरगाह वाले शहर हदायदा में युद्धविराम करने पर सहमति बनी थी.
यह बंदरगाह बहुत अहम है क्योंकि देश के दो-तिहाई हिस्से की जीवनरेखा यहीं से शुरू होती है.
संयुक्त राष्ट्र ने उम्मीद जताई है कि इस युद्धविराम से चार साल से चले आ रहे संघर्ष के ख़त्म होने का रास्ता खुलेगा.