क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

20 साल पहले जब ब्रिटेन ने हॉंगकॉंग को चीन के हवाले किया...

ठीक 20 साल पहले ब्रिटेन ने हॉंगकॉंग को चीन को सौंपा था, कैसे हुआ था वो हस्तांतरण?

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

20 साल पहले एक जुलाई को ब्रितानी हुक़ूमत ने हॉंगकॉंग को चीन के हवाले किया था. इस हस्तांतरण की आज 20वीं सालगिरह है.

शी जिनपिंग
Getty Images
शी जिनपिंग

हॉंगकॉंग विश्व की सबसे मुक्त अर्थव्यवस्था

'चीन में लोकतंत्र के समर्थक कार्यकर्ता को जेल'

इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हॉंगकॉंग में मौजूद थे.

विरोध प्रदर्शन को देखते हुए छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं को सालगिरह से एक हफ़्ता पहले ही गिरफ़्तार कर लिया गया.

आईए जानते हैं कि हस्तानांतरण की प्रक्रिया कैसे चली और इसका भविष्य क्या है.

हस्तानांतरण

हॉंगकॉंग
AFP
हॉंगकॉंग

प्रथम अफ़ीम युद्ध में चीन को हराने के बाद ब्रितानी हुक़ूमत ने 1842 में पहली बार हॉंगकॉंग द्वीप पर कब्ज़ा किया था.

दूसरे अफ़ीम युद्ध में बीजिंग को 1860 में कोवलून से भी पीछे हटना पड़ा. ये द्वीप के सामने ज़मीनी इलाक़े का हिस्सा था.

इस इलाक़े में अपने नियंत्रण को और मजबूत करने के लिए सन् 1898 में ब्रिटेन ने चीन से अतिरिक्त इलाक़े लीज़ पर लिए और वादा किया कि वो 99 साल बाद चीन को सौंप देगा.

चीन के इतिहास में तियेनएनमेन से जुड़ी 25 बातें

दुनिया के 10 सबसे महंगे और सस्ते शहर

ब्रितानी हुक़ूमत में हॉंगकॉंग बड़ी तेज़ी से आगे बढ़ा और दुनिया का बड़ा वित्तीय और व्यावसायिक केंद्र बन गया.

इसके बाद 1982 में लंदन और बीजिंग के बीच इन इलाक़ों को चीन को सौंपे जाने की जटिल प्रक्रिया शुरू हुई.

चीन के मुकाबले हॉंगकॉंग में बिल्कुल अलग किस्म की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था विकसित हो चुकी थी.

जबकि चीन में 1949 से ही एक पार्टी, कम्युनिस्ट शासन क़ायम था.

चीन और ब्रिटेन के बीच समझौता

हस्तानांतरण
AFP
हस्तानांतरण

चीन एक देश दो व्यवस्था के सिद्धांत के तहत हॉंगकॉंग पर शासन करने के लिए सहमत हुआ, जहां अगले 50 साल तक उसे विदेश और रक्षा मामलों को छोड़कर राजनीतिक और आर्थिक आज़ादी हासिल होती

इस समझौते के बाद हॉंगकॉंग विशेष प्रसासनिक क्षेत्र बन गया. यानी इसके पास अपनी क़ानूनी व्यवस्था, कई राजनीतिक पार्टी व्यवस्था और बोलने और इकट्ठा होने की आज़ादी थी.

इन विशेष अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र के पास अपना छोटा संविधान है.

इसे 'बेसिक लॉ' कहा जाता है, जो घोषित करता है कि इसका मूल उद्देश्य 'सार्वभौमिक मताधिकार' और 'लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं' के मार्फ़त इस इलाके का नेता यानी मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष चुनना है.

अब हॉंगकॉंग में कैसा प्रशासन है?

हॉंगकॉंग
Getty Images
हॉंगकॉंग

मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव 1200 सदस्यों वाली चुनाव समिति करती है. इसके अधिकांश सदस्यों को बीजिंग समर्थक के रूप में देखा जाता है.

यहां की संसद को लेजिस्लेटिव काउंसिल कहा जाता है. इसके आधे सदस्य सीधे तौर पर चुने गए प्रतिनिधि और आधे पेशवर या विशेष समुदायों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं.

राजनीतिक कार्यकर्ता कहते हैं कि यह चुनावी प्रक्रिया किसी भी सदस्य को खारिज करने का बीजिंग को अधिकार देती है.

विरोध प्रदर्शन क्यों?

हॉंगकॉंग
Getty Images
हॉंगकॉंग

लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता सालों से इसबात के लिए अभियान चलाते रहे हैं कि हॉंगकॉंग के लोगों को अपना नेता चुनने का अधिकार मिले.

साल 2014 में बीजिंग ने कहा था कि वो मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष के सीधे चुनाव की इजाज़त देगा, लेकिन केवल पहले से अधिकृत उम्मीदवारों की सूची से ही इनका चुनाव होगा.

लेकिन पूरी तरह लोकतंत्र चाहने वाले लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

हफ़्तों तक शहर का मुख्य हिस्सा बंद रहा. बाद में चीन ने अपने इस कदम को वापस ले लिया.

हॉंगकॉंग
Getty Images
हॉंगकॉंग

हॉंगकॉंग में ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात से चिंतित हैं कि चीन हॉंगकॉंग की राजनीति में कई तरीक़े से हस्तक्षेप कर रहा है और यहां के उदार राजनीतिक परंपरम्पराओं को नज़रअंदाज़ कर रहा है.

इसलिए हॉंगकॉंग में विभाजन तेज़ होता जा रहा है. यहां एक पक्ष बीजिंग समर्थक है जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक पक्ष को मानता है.

दूसरा पक्ष लोकतंत्र समर्थकों का है जो हॉंगकॉंग की स्वायत्तता और उसकी अलग पहचान को मजबूत करना चाहते हैं.

आम तौर पर हस्तानांतरण की सालगिरह पर दोनों राजनीतिक पक्षों की ओर से विशाल प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं.

2047 के बाद क्या होगा?

हॉंगकॉंग
AFP
हॉंगकॉंग

हस्तानांतरण के समय चीन अगले पचास सालों तक हॉंगकॉंग को स्वायत्तता देने के लिए राज़ी हुआ था.

लेकिन 2047 के बाद स्वयत्ता देने के लिए उसके पास कोई मज़बूरी नहीं होगी.

हालांकि कुछ लोग पूरी आज़ादी की मांग करते हैं लेकिन चीन इससे पहले ही इनकार कर चुका है.

इसलिए संभावना है कि-

  • चीन मौजूदा स्वायत्तता और बेसिक लॉ की सीमा कुछ और समय के लिए बढ़ा सकता है.
  • चीन मौजूदा कुछ अधिकारों के जारी रखने की इजाज़त दे देगा, पर सभी को नहीं.
  • हॉंगकॉंग अपना विशेष स्टेटस खो सकता है और बिना स्वायत्तता के चीन के किसी प्रांत की हैसियत में आ सकता है.
  • अधिकांश विशेषज्ञों का अनुमान है कि राजनीति से प्रेरित युवा पीढ़ी की संख्या बढ़ने के साथ इस शहर के भविष्य को लेकर राजनीतिक संघर्ष और बढ़ेगा.

    BBC Hindi
    देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
    English summary
    UK handed over Hong Kong to China 20 years back.Know all about the transition.
    तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
    Enable
    x
    Notification Settings X
    Time Settings
    Done
    Clear Notification X
    Do you want to clear all the notifications from your inbox?
    Settings X
    X