वर्ष 2016: दुनिया के वो देश जहां मिलती है सबसे अच्छी सैलरी
दुनिया में जितने लोग भी नौकरी कर रहे होते हैं, उनके मन में हमेशा एक सवाल आता है कि आखिर सबसे अच्छी सैलरी किस देश में मिलती है और अच्छी सैलरी पाने के लिए लोग कितने घंटे काम करते होंगे।
नई दिल्ली। दुनिया में जितने लोग भी नौकरी कर रहे होते हैं, उनके मन में हमेशा एक सवाल आता है कि आखिर सबसे अच्छी सैलरी किस देश में मिलती है और अच्छी सैलरी पाने के लिए लोग कितने घंटे काम करते होंगे। तो आइए हम आपका इंतजार यहीं खत्म करते हैं और बताते हैं कि दुनिया के वो कौन से देश हैं जो अपने यहां काम करने वालों को सबसे अच्छी सैलरी दे रहे हैं। साथ ही इन देशों में काम करने के घंटे भी निर्धारित हैं।
सैलरी देने वाले देशों में पहला नंबर अमेरिका का
सबसे ज्यादा सैलरी देने वाले देशों में पहला नंबर अमेरिका का आता है जो सबसे ज्यादा सैलरी किसी को व्यक्तिगत तौर पर देता है। अमेरिका में 31.6 फीसदी टैक्स देने के बाद व्यक्ति को कम से कम 41,355 डॉलर सैलरी मिलती है। वैसे तो अमेरिका हेल्थ केयर पर खर्च करने के मामले में नंबर वन पर है। पर हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में आने पर अंतिम है। वहीं प्रति घंटे न्यूनतम वेतन देने के मामले में अमेरिका का नंबर 11वां है।
दुनिया में दूसरा देश लक्जमबर्ग
अमेरिका के बाद सैलरी देने के मामले में दुनिया में दूसरा देश लक्जमबर्ग है। लक्जमबर्ग को पूरे यूरोप में आर्थिक केंद्र के तौर पर जाना जाता है। लक्जमबर्ग को पूरे यूरोप में स्टील उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा वो केमिकल, रबर, इंडस्ट्रियल मशीनरी और वित्तीय सेवाएं भी देता है। लक्जमबर्ग में एक व्यक्ति को 38,951 डॉलर का भुगतान बतौर सैलरी के लिए किया जाता है। यह सैलरी व्यक्ति का तब मिलती है जब उसकी मूल सैलरी में से 37.7 फीसदी टैक्स काट लिया जाता है। इस काटे गए टैक्स के जरिए वहां के व्यक्तियों को कई जरूरी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
नॉर्वे दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक
नॉर्वे को दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक माना जाता है। इसका मुख्य कारण उसके पास मौजूद नेचुरल रिसोर्स हैं। नॉर्वे में तेल, हाइड्रोपॉवर, फिशिंग और मिनरल अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। स्वीडन की तरह नार्वे मे भी सभी के लिए स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मुफ्त है। पर इसके लिए उन्हें कीमत चुकानी होती है। नॉर्वे में लोगों को जो सैलरी मिलती है, उसका 37 फीसदी टैक्स काट लिया जाता है। इसके बाद उन्हें 33,492 डॉलर वेतन मिलता है। इसके अलावा यहां पर अतिरिक्त घंटे काम करने पर अलग से पैसों का भुगतान होता है। इसके अलावा टैक्स चुकाने के बाद लोगों की जरूरतों की अधिकतर चीजें उन्हें मुफ्त मिलती हैं।
चौथें नंबर है स्विटजरलैंड
स्विटजरलैंड को दुनिया के सबसे उम्दा देशों में से एक होने का रुतबा मिला हुआ है। चाहे नेशनल परफॉरमेंस की बात हो या फिर सरकारी पारदर्शिता की या जीवन की गुणवत्ता हो या फिर आर्थिक और मानव विकास। सब एक जैसा ही होता है। ओईसीडी लाइफ सेटिसफेक्शन स्टडी में यह देश पहले ही तीसरा स्थान प्राप्त कर चुका है। स्विटजरलैंड का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूरे यूरोप में फैला हुआ है। हेल्थ केयर और फॉर्मास्टुयिकल गुड्स के साथ विशेष केमिकल, म्यूजिकल उपकरणों में यह देश काफी आगे है। स्विटजरलैंड में व्यक्ति की इनकम 33,491 डॉलर है। साथ ही वहां पर सप्ताह में काम करने का समय भी निर्धारित है और वहां काम करने वालों को अधिकतम 35 घंटे सप्ताह में काम करना होता है। एक दिन में काम करने के घंटों की संख्या 7 निर्धारित है।
ऑस्ट्रेलिया को बना पांचवां सबसे ज्यादा सैलरी देने वाला देश
ऑस्ट्रेलिया को दुनिया में ऑयल और मिनरल के सबसे बडे़ निर्यातक देशों में से एक माना जाता है। ऑस्ट्रेलिया में औसतन एक व्यक्ति को 31,588 डॉलर सैलरी मिलती है। यह सैलरी 27.7 फीसदी टैक्स काटने के बाद दी जाती है। यहां भी सैलरी से काटे गए पैसे से लोगों को हेल्थ और शिक्षा के अलावा अन्य बुनियादी सेवाओं का लाभ दिया जाता है। ऑस्ट्रेलिया में हर सप्ताह में 36 घंटे काम करना होता है।
छठे नंबर पर जर्मनी
जर्मनी अपने कर्मचारियों को औसतन वेतन देने के मामले में भले ही छठे नंबर पर हो। पर वो कई अन्य मामलों में नंबर वन पर है। जर्मनी में औसतन कम वेतन इसलिए भी मिलता है क्योंकि जर्मनी के लोग अपनी सैलरी पर 49.8 फीसदी टैक्स देते हैं। पूरे यूरोप में जर्मनी सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है। दुनिया में सबसे पुराना यूनिवर्सल हेल्थ केयर सिस्टम जर्मनी में ही लागू है। इसके अलावा नए हेल्थ केयर सिस्टम के जरिए हर स्तर पर मुफ्त स्वास्थ्य और शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। जर्मनी में औसतन सैलरी 31,252 डॉलर है।
टूरिज्म के लिए लोगों को देता सैलरी ऑस्ट्रिया
कोई देश अपने टूरिज्म के जरिए कैसे अपने देश के लोगों को बेहतर नौकरी और सैलरी दे सकता है, इसका सबसे अच्छा उदाहरण ऑस्ट्रिया है। ऑस्ट्रिया में उच्च स्तर की इंडस्ट्री काम करती हैं। यहां की सुंदरता लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। ऑस्टिया के टूरिज्म का यहां की जीडीपी में 9 फीसदी योगदान है। ऑस्ट्रिया में लोगों को औसतन टैक्स काटने के बाद 31,173 डॉलर का भुगतान किया जाता है। ऑस्ट्रिया में भी इनकम टैक्स और सोशल सिक्योरिटी कॉनट्रिब्यूशन के लिए 49.4 फीसदी टैक्स देना होता है।
कनाडा भी है शुमार
वेनेजुएला और सऊदी अरब के बाद दुनिया में अगर सबसे ज्यादा कहीं ऑयल रिजर्व है तो अमेरिका के उत्तर कनाडा में मौजूद है। इसके अलावा कनाडा के पास जिंक, यूरेनियम, गोल्ड, निकेल, एल्युमिनियम का भंडार है। इसे अलावा वैश्विक स्तर पर आटे, केनोला और अन्य अनाजों का उत्पादन करते हैं। कनाडा में टैक्स कटने के बाद औसतन सैलरी 29,365 डॉलर है। यहां पर 31 फीसदी टैक्स कटता है। कनाडा में एक सप्ताह में 36 घंटे काम करना होता है।
स्वीडन दुनिया का छठां सबसे अमीर देश
विश्व बैंक और जीडीपी के आधार पर स्वीडन दुनिया का छठां सबसे अमीर देश है। स्वीडन की निर्यात और मिश्रित पर निर्भर होने वाला देश है। टिंबर, हाइड्रो पॉवर, लौह अयस्क जैसे क्षेत्रों में कारोबार करता है। स्वीडन के इंजीनियरिंग सेक्टर में 50 फीसदी आउटपुट और निर्यात सेवाएं शामिल होती हैं। यहां पर लोगों को अपनी सैलरी का 42.4 फीसदी पैसा टैक्स में देना होता है। इसके बाद भी एक साल में औसतन सैलरी यहां पर 29,185 डॉलर होती है।
सबसे ज्यादा अपनी सैलरी पर टैक्स देते हैं उनमें फ्रांस का नंबर दूसरा
पूरी दुनिया में फ्रांस की अर्थव्यवस्था सातवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। यहां पर प्रतिदिन कितने घंटे काम करना है, इसको लेकर वर्ष 1999 में वर्कवीक कानून भी पास हो चुका है। यहां पर काम करने वाले लोग दूसरे के रोजगार को नहीं खत्म करते हैं। इसलिए अपने निर्धारित समय में काम करके चले जाते हैं। यह नियम लोग अच्छी तरह से फॉलो करते हैं। फ्रांस में लोगों को न्यूनतम 28,799 डॉलर सैलरी प्राप्त होती है। यह सैलरी 49.4 फीसदी टैक्स देने के बाद प्राप्त होती है। जहां लोग सबसे ज्यादा अपनी सैलरी पर टैक्स देते हैं उनमें फ्रांस का नंबर दूसरा है।