'उन्होंने हम दोनों बहनों को बेड पर बांध दिया और बारी-बारी से रेप किया'
म्यांमार से सीमापार कर बांग्लादेश पहुंची रोंहिग्या मुसलमान लड़की ने सुनाई सेना की बर्बरता की कहानी।
बांग्लादेश। 20 साल की हबीबा और 18 साल की समीरा म्यांमार सीमा से कुछ किमी दूर बांग्लादेश में बने रिफ्यूजी कैंप में रह रही हैं।
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वह हाल ही में अपने परिवार के साथ म्यामांर से यहां पहुंची हैं। इन कैंपों में उनके साथ म्यांमार से आए राोहिंग्या मुसलमानों के बहुत से परिवार रह रहे हैं।
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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हबीबा बताती हैं ''म्यांमार के सैनिकों ने हम दोनों को बेड से बांध दिया और बारी-बारी से हमसे रेप करते रहे।
म्यामांर के सैनिकों ने हमारे घरों को जला दिया, बहुत से लोगों को मार डाला, जिनमें मेरे पिता भी शामिल हैं। जवान लड़कियों को उठाकर ले गए और उनके साथ बलात्कार किया गया"
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हबीबा कहती हैं 'रेप करने के बाद उनमें से एक सैनिक ने हमसे कहा कि हमारे अगली बार यहां आने से पहले यहां से चले जाना वर्ना हम तुमके मार डालेंगे और जाते हुए उन्होंने हमारे घर में आग लगा दी'
हबीबा और समीरा के बड़े भाई हाशिमुल्लाह कहते हैं कि हम यहां भूखे पेट सो रहे हैं लेकिन कम से कम कोई हमे मारने या हमारा घर जलाने तो नहीं आ रहा है।
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हाशिम बताते हैं कि वो और उनकी बहनें कई दिन तक म्यामार में बॉर्डर के पास छुपे रहे, उनके साथ और भी कई रोहिंग्या परिवार थे।
आखिर उन्हें एक बोट मिली जिसने उनसे 400 डॉलर लेकर उनको नदी पार कराकर बांग्लादेश बॉर्डर पर छोड़ दिया। काफी भटकने के बाद वो कैंप तक पहुंचे हैं।
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अपनी बहन मुशीना के साथ सोमवार को बांग्लादेश आए मुजीबुल्लाह बताते हैं कि मुशीना के साथ सैनिक रेप करने की कोशिश कर रहे थे, जब वो पहुंचा। उसने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उसको बुरी तरह पीटा गया। मुजीब अपनी ठोड़ी के पास चाकू का घाव भी दिखाते हैं।
रोहिंग्या मुसलमान आखिर हैं कौन?
म्यांमार में तकरीबन 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में 'बंगाली' कहा जाता है। म्यांमार की सरकार इनको नागरिकता नहीं देती है, इनको बांग्लादेशी प्रवासी कहा जाता है।
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पीढ़ियों से म्यामांर के रखाइन में रह रहे रोहिंग्या वहां 2012 से सांप्रदायिक हिंसा का शिकार हो रहे हैं। एक लाख से ज्यादा लोग इस क्षेत्र से विस्थापित हो चुके हैं। म्यांमार में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को जर्जर कैंपो में रहना पड़ रहा है और भेदभाव का सामना करना पड़ता है
रखाइन राज्य के रोहिंग्या क्यों बाग्लादेश जाने को मजबूर हैं?
म्यामांर सेना के रोहिंग्या मुसलमानों पर जुल्म की बात कई मानवाधिकार संगठन काफी समय से उठाते रहे हैं लेकिन ताजा हालात रखाइन राज्य के मौंगडोव में 9 पुलिस अधिकारियों के एक हमले में मारे जाने के बाद उत्पन्न हुए हैं।
म्यांमार में मौंगडोव सीमा पर 9 पुलिस अधिकारियों के मारे जाने के बाद रोहिंग्या समुदाय के लोगों पर इस हमले का आरोप लगाते हुए पिछले महीने रखाइन स्टेट में सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया था। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों पर मौंगडोव जिले में रोहिंग्या मुसलमानों को मारने और घरों को जलाने का आरोप है।
बताया जा रहा है कि सुरक्षाबलों ने 100 से ज्यादा लोगों को पिछले दिनों मार डाला जबकि सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है। सैनिकों पर जवान मुसलमान लड़कियों के बालात्कार का आरोप है।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने हाल ही में बताया था कि पिछले डेढ़ महीने में रोहिंग्या मुसलमानों के 1200 घरों को जलाया और तोड़ा गया है।
बांग्लादेश भी अपनाने को तैयार नहीं
म्यांमार में जुल्म का शिकार होकर किसी तरह से बॉर्डर पार कर बांग्लादेश पहुंच रहे रोहिंग्या मुसलमानों पर बांग्लादेश की सरकार भी सख्त है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बीते 23 नवंबर को म्यांमार के राजदूत को तलब कर इस मसले पर चिंता जताई है।
बांग्लादेश अथॉरिटी की तरफ से सीमा पार करने वालों को फिर से म्यांमार वापस भेजा जा रहा है। बांग्लादेश रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार नहीं कर रहा है।