सीरियाई वॉर में बचे लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग ने दिया मन की शांति और तनाव मुक्ति का उपहार
जार्डन। दिन प्रतिदन के तनाव और खिंचाव के बीच खुश रहकर जीवन का आनंद लेना ही आर्ट ऑफ लिविंग है। जीवन का यही आनंद जार्डन, लेबनान और सीरिया के लंबे चले आ रहे विवादग्रस्त क्षेत्रों के लड़ाकों को दिलाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग और मानवीय मूल्यों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन मिलकर प्रयासरत हैं। आपको बता दें कि आर्ट ऑफ लिविंग और मानवीय मूल्यों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन श्री श्री रविशंकर जी द्वारा स्थापित है।
तनाव और गुस्से से मुक्ति मिली
दिसम्बर 2016 से प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला के माध्यम से लगभग 3000 मुख्य कार्य करने वाले, बच्चे, संरक्षण देने वाले और परिजनों को आर्ट ऑफ लिविंग ने उन्हे तनाव से मुक्त करने और मन को शांत रखने का प्रशिक्षण प्रदान किया। दमिष्क, टारटस और सुवेदा के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को भी इन प्रषिक्षणों का लाभ दिया गया।
बॉब अल तबीना त्रिपोली के रिकांउट्स मलिक बारह वर्ष उम्र के हैं और कहते हैं, ‘‘मैने यहां कई कसरतें सीखी हैं मेरे शरीर में ताजगी आई और मन की उथल-पुथल कम हुई। इससे तनाव और गुस्से से भी मुक्ति मिली। मैं सोचता हूं कि सभी लोगों को इस खुशनुमा जगह पर आना चाहिये। शरणार्थी बच्चे और युद्ध से बचे लोगों में अवसाद, गुस्सा, सोने में समस्या, उत्तेजना, घरेलू हिंसा, गलत संगत और बढते आत्महत्या के विचारों से जूझना होता था।
विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी कैंप
इस परियोजना का मुख्य उद्देष्य 16000 लोगों को आर्ट ऑफ लिविंग के श्वांस आधारित विभिन्न तकनीकों से युद्ध के आघात से बचने, उनमें हिंसा की वृत्ति से मुक्त करने का था और यह कार्य उसी का प्रथम चरण है। जटारी जहां विश्व का सबसे बडा शरणार्थी कैंप लगाया गया है वहां इन प्रशिक्षणों का लाभ ले रही एक सीरियन मां कहती है, ‘‘मैंने पिछले समय में बहुत उतार चढाव देखें हैं और इस कार्यशाला से मुझे भावनात्मक और शारीरिक रूप से बहुत लाभ मिला है। मैं इसे अब अपने आस-पास बांटना चाहती हूं।''
मानवीय मूल्यों के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के एक प्रशिक्षक और इस परियोजना के कर्ताधर्ता क्रिस्टियन माटा कहते हैं, ‘‘प्रतिभागियों ने इन कार्यशाला में न केवल लाभ मिलने की बात कही बल्कि उनका सामाजिक संवाद, सकारात्मकता और सर्वांगीण विकास के साथ अवसाद में कमी, गुस्से, उत्तेजना में नमी और आत्महत्याओं में कमी जैसे बदलाव भी महसूस किए गये। वे आगे कहते हैं, ‘‘शरणार्थियों की समस्याएं, हिंसा, युवाओं का हिंसा के लिए दुरूपयोग जैसे विकारों से जार्डन और लेबनान के देश झूझ रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चो और युवाओं के साथ कार्य करना आवश्यक है। मैं इन प्रशिक्षणों के माध्यम से पा रहा हूं कि उनमें आमूलचूल बदलाव आ रहा है।
सीरिया में हुए युद्ध से 4 लाख लोगों की जान गई
श्री माटा के नेतृत्व में फिलहाल जार्डन के अल माफराक, अल जटारी कैंप, इरबिद, अल जराक केंप, करक, रमाथा हिस्सों में तथा लेबनान के बिदावी, अल मैना, त्रिपोली क्षेत्रों में यह प्रषिक्षण चलाए जा रहे हैं। बेरूत के एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्रेरिस साना कहते हैं, ‘‘हम उस वातावरण में कार्य कर रहे हैं जहां भावनात्मक और मानसिक गतिविधियों की सख्त आवश्यकता है। मैंने अपने जीवन में एसी तनाव मुक्ति की कार्यशाला कभी नहीं देखी। यह मुझे प्रभावित करती है और मैरे कार्य को भी सार्थक करती है।
वर्ष 2003 से आर्ट ऑफ लिविंग इस क्षेत्र में कार्यरत है और इरान, इराक, लेबनान, इसराईल, जार्डन, सीरिया और अन्य देषों में सर्वागींण विकास के लिए कार्य कर रहा है। गुरूदेव श्री श्री रविशंकर जी ने पिछले वर्षों में इन क्षेत्रों में कई यात्राएं की हैं और अपने मानवतावादी कार्यों को नई उॅंचाईयां दी हैं। मालूम हो कि सीरिया में हुए युद्ध से 4 लाख लोगों की जान गई, 50 लाख लोग बेघर हुए और 140 लाख लोग गरीबी का दंश झेल रहे हैं। इससे बड़ा विश्व में कोई भी मानवाधिकार के उल्लंघन का उदाहरण नहीं मिलेगा। कार्यशालाओं से हो रहे लाभ को देखते हुए यह परियोजना संचालित की जा रही है और इसमें दिन प्रतिदिन लाभार्थियों की बढ़ोत्तरी होती जा रही है।