एक ऐसा देश, जहां है कचरे की भारी कमी, दूसरों से मांगा
स्वीडन में कचरे की भारी कमी हो गई है। अपने रिसाइकलिंग प्लांट्स को चलाने के लिए इस देश को दूसरे देशों से कचरा मांगना पड़ रहा है।
नई दिल्ली। सुनने में भले आपको अजीब लगे, लेकिन एक देश ऐसा है, जिसके बाद अब कचरा खत्म हो गया है और वो दूसरे देश से मांगने की तैयारी कर रहा है। जी हां स्वीडन एक ऐसा देश है, जिसके पास कचरे की कमी हो गई है। उसे दूसरे देशों से कचरा मांगने की जरुरत पड़ गई है।
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यहां कचरे से बनती है बिजली
दरअसल स्वीडन अपने जरुरत के आधे से अधिक बिजली कचरे से बनाता है। ऐसे में उसे अपने रिसाइकलिंग प्लांट्स को चलाए रखने के लिए कचरे की जरुरत है, जो कि अब उसके पास खत्म होने के कगार पर है। ऐसे में उसने ब्रिटेन समेत कई यूरोपिय देशों से संपर्क साधा है, ताकि उन देशों से कचरे को मंगाकर अपने रिसाइकिंल प्लाट्ंस को चालू रख सके। रजनीकांत ने जयललिता को लेकर किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या
जैविक ईंधन पर भारी टैक्स
आपको बता दें कि स्वडीन ने जैविक ईंधन के इस्तेमाल पर कड़ा टैक्स लगाया है। 1991 में स्वीडन ने जैविक ईंधन के इस्तेमाल पर भारी टैक्स लगाया था, जिसके बाद से लोग धीरे-धीरे प्रकृतिक ऊर्जा साधनों और रीसाइकलिंग पर जोर देने लगे। स्वीडन के लोग प्रकृति के महत्व को समझते हैं और उसी को ध्यान में रखकर चीजों का इस्तेमाल करते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वीडन के घरों मं सिर्फ 1 प्रतिशत कचरा ही फेंका जाता है।
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फेंका जाता है सिर्फ 1 प्रतिशत कचरा
स्वीडन में रिसाइकलिंग सिस्टम इतने परिष्कृत तरीके से काम करते है कि पिछले साल वहां पर घरों से निकले कुल कचरे का केवल 1 प्रतिशत कचरा क्षेत्र में फेंका गया। वहां लोगों को कचरा बाहर ना फेंकने के लिए जागरूक किया जाता है।
उन्हें कचरे के सही इस्तेमाल का तरीका बताया जाता है। वहां निजी कंपनियां कचरा निर्यात और जलाने को काम देखती है। स्वीडन में कचरे से ऊरंजा का निर्माण किया जाता है, जिससे पैदा हुई ऊर्जा नेशनल हीटिंग नेटवर्क में जाती है, जिससे कड़ी ठंड के दिनों में घरों में बिजली पहुंचाई जाती है।