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झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

फ़वेला कही जाने वाली रियो की झुग्गियों में प्रशासन सुधार कर रहा है और अब ये ग़रीबों के लिए महंगी हो गई हैं.

By BBC News हिन्दी
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फ़वेला यानी झुग्गियों की क़ीमते बढ़ने के बाद अब ब्राज़ील के ग़रीब लोग छोड़ दी गईं पुरानी सरकारी इमारतों में रहने को मजबूर हैं.

ब्राज़ील में सरकार ने आवासीय सुधारों के लिए अरबों डॉलर ख़र्च किए लेकिन रियो के गरीबों को इसका फ़ायदा मिलना अभी बाकी है.

फ़ोटोग्राफ़र तारिक़ ज़ैदी मानते हैं कि इस समुदाय को आपसी सौहार्द, सम्मान और अपने घर पर गर्व की भावना एक धागे में बांधे रखती है.

झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

2016 ओलंपिक खेल और 2014 फ़ुटबॉल विश्व कप की मेज़बानी करने वाले ब्राज़ील ने रियो के फ़ेवला में रहने वाले लोगों के जीवन में सुधार करने का वादा किया था.

लेकिन सरकार के इन झुग्गी-बस्तियों में सुधार पर अरबों डॉलर करने का एक ऐसा नतीजा भी हुआ है जो किसी ने नहीं चाहा था.

यहां अब किराया इतना बढ़ गया है कि ये ग़रीबों की पहुंच से बाहर हो गया है और सबसे ग़रीब लोग अपने घर छोड़कर खाली पड़ी पुरानी सरकारी इमारतों में रहने के मजबूर हैं.

मारकाना स्टेडियम से एक मील कम दूरी पर स्थिति फ़वेला मैनग्वेरा में सैकड़ों परिवार ऐसी खाली इमारतों में रहने को मजबूर हैं जिनमें न पानी की आपूर्ति होती है और न बिजली आती है.

यह साफ़-सफ़ाई की भी कोई व्यवस्था नहीं है.

16 साल की पामेला अपनी मां और 7 महीने की बेटी के साथ उस इमारत में रहती हैं जिसमें कभी ब्राज़ील का इंस्टीट्यूट ऑफ़ जियोग्राफ़ी एंड स्टेटि्स्टिक्स (आईबीजीई) था.

इस इमारत को संस्थान ने 17 साल पहले खाली कर दिया था. अब यहां क़रीब सौ परिवार रहते हैं.

पामेला इस इमारत में 15 साल से रह रही हैं. उनकी मां यहां आकर रहने वाली दूसरी महिला थीं.

झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

लेकिन ऐसे लोग जो अब फ़ेवाल में किराया देने में असमर्थ हैं यहां आकर रह रहे हैं. हर सप्ताह यहां नए परिवार पहुंच रहे हैं.

रियो में क़रीब बीस लाख लोग जो कुल आबादी के 30 प्रतिशत हैं फ़वेला में रहते हैं. ऐसी बस्तियों में सफ़ाई, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा के पर्याप्त इंतेज़ाम नहीं होते हैं.

झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

इन बस्तियों में रह रहे लोगों के जीवन में सुधार के लिए 2.6 अरब डॉलर का कार्यक्रम चलाया गया लेकिन इसका कोई ख़ास असर नहीं हुआ.

खाली कर दी गई आईबीजीई की इमारत में 2012 तक सांस्कृतिक केंद्र खोलने की योजना थी. लेकिन अभी तक यहां कुछ नहीं बदला है.

12 वरषीय टायना आईबीजीई इमारत में चार-पांच साल से रह रही हैं. रियो में ब्राज़ील के किसी भी अन्य नगर के मुक़ाबले ज़्यादा लोग फ़वेला में रहते हैं.

यदि रियो के सभी फ़वेला को एक जगह कर दिया जाए तो ये देश का सातवां सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर होगा. 2013 की एक जनगणना के मुताबिक फ़वेला में रहने वाले 32 प्रतिशत लोग खुद को मज़दूर वर्ग का मानते हैं जबकि 65 प्रतिशत मध्यमवर्ग का बताता है.

छोड़ दी गईं इमारतों के खाली क्षेत्र का इस्तेमाल समुदाय कर रहे हैं.

विला दो मेट्रो फ़वेला के पार्किंग कंपाउंड में डांस क्लास चल रही है.

आईबीजीई इमारत में बच्चे साइकलि चलाते हैं, अपने छोटे-भाई बहनों का ध्यान रखते हैं.

यहां रह रहे अधिकतर परिवारों के घर पानी नहीं आता है. इमारत के कुछ हिस्सों में ही पानी आता है जहां से लोगों को इसे भरकर लाना होता है.

झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

विला डो मेट्रो में औरतें अपनी बाल्टियां भरने का इंतेज़ार कर रही हैं.

रियो की तीस प्रतिशत आबादी ऐसे इलाक़ों में रहती है जहां साफ-सफ़ाई की कोई व्यवस्था नहीं है.

विला डो मेट्रो के बाहर कूड़े का ढेर जमा है.

क्रिस्टीन विला डो मेट्रो की एक खाली पड़ी इमारत में चार-पांच साल से रह रहीं हैं. उनके पांच बच्चे हैं.

डाटा पॉपुलर इंस्टीट्यूट के डाटा के मुताबिक फ़वेला में रहने वाले 42 फ़ीसदी परिवारों में प्रमुख महिला हैं.

अंतिम छोर पर होने के बावजूद ये समुदाय सहभागिता और सहयोग पर आधारित समाज बनाने की कोशिश कर रहा है.

इस घर पर बनी इस ग्राफ़िटी में संदेश लिखा है- "हम सब इंसान हैं."

बजट की भारी कटौती का सामना कर रहे रियो में लोगों के जीवन में सुधार की गुंज़ाइश बहुत कम ही नज़र आती है.

तमाम मुश्किलों के बावजूद शोध में शामिल हो दो-तिहाई लोगों का कहना था कि वो अपना इलाका छोड़कर नहीं जाएंगे.

झुग्गियां हुईं महंगी: ब्राज़ील के ग़रीब खाली पड़ी इमारतों में रहने को मजबूर

वो आपसी सौहार्द, सम्मान और अपने घर के प्रति गर्व की भावना को यहीं रहने की अहम वजह बताते हैं.

सभी तस्वीरें © Tariq Zaidi ने ली हैं.

BBC Hindi
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English summary
Slums costlier: forced to live in poor buildings in Brazil
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