सऊदी में औरतों संग 'गुलामों' जैसा बर्ताव, पढि़ए मनल अल-शरीफ की दर्दनाक कहानी
डेली मेल ऑस्ट्रेलिया से बात करते हुए मनल बताती हैं कि सऊदी में महिलाएं ड्राइविंग लाइसेंस तो बनवा सकती हैं, लेकिन उन्हें वाहन चलाने की अनुमति नहीं है।
मेलबर्न। सऊदी अरब में एक महिलाओं पर किस तरह की पाबंदियां हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह मामला है। जी हां यहां हुआ यह कि एक महिला को कार चलाने के लिए 9 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। इतना ही नहीं उसे वहां के लोगों ने जान से मारने की धमकी भी दी। इसके बाद उस महिला ने सऊदी में महिलाओं की बदहाली पर खुलकर बात की है। उसका कहना है कि सऊदी में महिलाओं के साथ गुलामों की तरह व्यवहार किया जाता है।
कार चलाते वीडियो यू ट्यूब पर किया था अपलोड
महिला का नाम मनल अल-शरीफ है। मनल ने साल 2011 में कार चलाते हुए अपनी विडियो बनाकर उसे यूट्यूब पर अपलोड भी कर दिया था। इस वीडियो को एक दिन में 7 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा था। आपको बता दें कि सऊदी अरब में महिलाओं पर कार या किसी भी तरह की गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध है। खास बात ये है कि यह दुनिया का इकलौता देश है, जहां न केवल स्थानीय बल्कि विदेशी महिलाओं को भी वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। ऐसा करने पर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
लाइसेंस तो बनवा सकती हैं, लेकिन वाहन चलाने की अनुमति नहीं
डेली मेल ऑस्ट्रेलिया से बात करते हुए मनल बताती हैं कि सऊदी में महिलाएं ड्राइविंग लाइसेंस तो बनवा सकती हैं, लेकिन उन्हें वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। ऐसा इसलिए कि सऊदी में महिलाओं को कानूनी तौर पर नाबालिग समझा जाता है। मनल सऊदी की पहली IT सिक्यॉरिटी सलाहकार हैं और करीब एक दशक तक उन्होंने सऊदी के तेल व्यवसाय से जुड़ी एक कंपनी के लिए काम किया।
महिलाओं के लिए कुछ भी कर पाना बहुत मुश्किल
सऊदी के माहौल के बारे में बताते हुए मनल ने कहा, 'मैं एक ऐसे समाज से आती हूं जहां हम बंद खिड़कियों और ऊंची दीवारों के पीछे रहते हैं। महिलाओं को सिर से पांव तक खुद को पर्दे में रखना होता है। वहां अपने पुरुष 'अभिभावक' की अनुमति लिए बिना लड़कियों और महिलाओं के लिए कुछ भी कर पाना बहुत मुश्किल है।'
'डेरिंग टू ड्राइव' नाम की एक किताब लिखी
मनल कहती हैं, 'मुझे गालियां दी गईं। लोगों ने मुझपर मुसलमानों को गलत प्रेरणा देने और उन्हें खराब करने का आरोप लगाया।' जेल जाने के बाद उनसे उनके बेटे की कस्टडी छीन ली गई। अपने घर और नौकरी से भी उन्हें हाथ गंवाना पड़ा। इस वाकये के बाद मनल अपने दूसरे पति और सबसे छोटे बेटे के साथ ऑस्ट्रेलिया चली आईं। उन्होंने अब अपने अनुभव पर 'डेरिंग टू ड्राइव' नाम की एक किताब लिखी है।