मुसलमानों में खौफ पैदा कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप के दो ऐलान
नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुसलमानों के खिलाफ कड़ी नीति बनाने को तैयार हैं।लेफ्टिनेंट जनरल माइकल फ्लिन का अगला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) बनाने का ऐलान कर इस ओर किया इशारा।
न्यूयॉर्क। राष्ट्रपति बनने के बाद भले ही डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया हो कि वह अमेरिका के सभी नागरिकों के राष्ट्रपति हैं। भले ही उन्होंने अपने समर्थकों से सभी धर्मों के लोगों के लिए नरम होने की अपील की हो, लेकिन लगता है ट्रंप चुनावों से पहले बोली गईं सभी बातों को सच करने का मन बना चुके हैं।
राष्ट्रपति बनने से पहले क्या कहा ट्रंप ने
राष्ट्रपति चुनावों से पहले ट्रंप ने मुसलमानों और इस्लाम की कड़ी आलोचना की थी। ट्रंप ने आतंकवाद के लिए साफ तौर पर मुसलमानों और इस्लाम को दोषी ठहराया था।
उन्होंने अमेरिका में मुसलमानों के आने पर पाबंदी लगाने की बात भी कही थी। अब ट्रंप की इन्हीं बातों का समर्थन करने वाले लोग ट्रंप की टीम का हिस्सा बन चुके हैं।
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डरे हुए हैं मुसलमान
ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ही अमेरिका में बसे मुसलमानों में एक अजीब से डर और दहशत का माहौल है। लेकिन अब उनके इस ऐलान के बाद उनका डर और बढ़ गया है। कुछ मुसलमान तो अब अमेरिका से कहीं और जाने तक की सोचने लगे हैं।
शुक्रवार को ट्रंप ने अमेरिकी सेना में थ्री स्टार जनरल रहे लेफ्टिनेंट जनरल माइकल फ्लिन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और माइक पेम्पेओ को अमेरिकी इंटेलीजेंस सीआईए का प्रमुख बनाने का ऐलान किया है।
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दोनों मुसलमान और इस्लाम विरोधी
जिन लोगों को इनके बारे में ज्यादा मालूम नहीं है, उन्हें बता दें कि ये दोनों ही मुसलमान विरोधी सोच रखते हैं और दोनों ही अमेरिका में बढ़ते आतंकवाद के लिए इस्लाम को दोषी ठहरा चुके हैं।
कौन हैं माइकल फ्लिन
माइकल फ्लिन अमेरिका की डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं और वह पेंटागन के साथ काफी समय तक जुड़े रहे हैं। उनके पास अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी के साथ 9/11 को हुए आतंकी हमलों के साथ काम करने का काफी अच्छा अनुभव है। उन्हें माइक के नाम से भी जानते हैं। जुलाई 2004 से जून 2007 तक फ्लिन ज्वॉइन्ट स्पेशल ऑपरेशंस कमांडर के तौर पर अफगानिस्तान और इराक में तैनात रहे हैं।
इस्लाम पर क्या सोचते हैं फ्लिन
जनरल फ्लिन भी इस्लाम और मुसलमानों पर ट्रंप की राय से इत्तेफाक रखते हैं। वह मानते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद आज एक सबसे बड़ा खतरा है। एक अधिकारी के मुताबिक फ्लिन मानते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद आज मिलिट्री के रोल और विदेश नीति को तय करते समय सबसे ताकतवर रोल अदा करता है। 57 वर्षीय फ्लिन एक रजिस्टर्ड डेमोक्रेट हैं और वह ट्रंप के कैंपेन के दौरान उनके अहम एनएसए बनकर सामने आए थे।उन्होंने एक बार कहा था कि जब आप मुसलमानों से डरने की बात करते हैं तो यह काफी तार्किक लगता है।
अमेरिका में शरिया कानून को कंट्रोल करना होगा
फ्लिन मानते हैं कि अमेरिका में अब शरिया लॉ अपने पैर पसार रहा है और इसे नियंत्रित करना ही होगा। उन्होंने ही ट्रंप को इस बात का भरोसा दिलाया था कि अमेरिका इस समय इस्लामिक आतंकवाद के साथ वर्ल्ड वॉर की तरह लड़ाई लड़ रहा है। फ्लिन इस्लामिक आतंकवाद को दुनिया के लिए खतरा और एक कैंसर की तरह मानते हैं।
इस्लाम है असहनीय
जनरल फ्लिन भी ट्रंप की तरह इस बात पर यकीन करते हैं कि इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करने के लिए अमेरिका को रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन के साथ काम करना होगा। उन्होंने एक इंटरव्यू में इस्लाम को असहनीय धर्म के तौर पर करार दिया था। जुलाई में फ्रांस के नीस में हुए आतंकी हमले के बाद फ्लिन ने ट्वीट किया और लिखा कि अरब और पर्शियन नेताओं को आगे आना होगा। उन्हें अपनी बुरी इस्लामिक मानसिकता के बारे में दुनिया को बताना होगा।
कौन हैं माइक पोम्पेओ
डोनाल्ड ट्रंप ने कंसास से रिपलिब्कन पार्टी के नेशनल कमेटी के प्रतिनिधि माइक पोम्पेओ का सीआईए के अगले प्रमुख के तौर पर नामांकित किया है। पेम्पेओ एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ हैं और टी-पार्टी मूवमेंट से जुड़े रहे हैं। पोम्पेओ गर्भपात के कड़े विरोधी हैं और यहां तक कि बलात्कार जैसे मामलों में भी इसका समर्थन नहीं करते हैं। पोम्पेओ सेना के वकील के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वह राष्ट्रपति बराक ओबामा के विरोधी हैं और फ्लिन की तरह मानते हैं ओबामा आतंकियों पर काफी नरम हैं।
क्लिंटन के खिलाफ
पोम्पेओ ही वह शख्स हैं जिन्होंने हाउस ऑफ इंटेलीजेंस कमेटी के कांग्रेस सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दी और फिर बेनगाजी पर बनी कमेटी में एक अहम रोल अदा किया। लीबिया के बेनगाजी में वर्ष 2012 में हुए हमले में चार अमेरिकियों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस कमेटी को बनाया गया और फिर उस समय विदेश मंत्री रहीं हिलेरी क्लिंटन के रोल की जांच हुई। पोम्पेओ ने क्लिंटन को लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाला बताया। कहा कि क्लिंटन चुनावों की वजह से अमेरिकी जिंदगियों को आतंकियों के हवाले कर रही हैं।
मुसलमानों पर क्या बोले पोम्पेओ
वर्ष 2013 में पोम्पेओ ने घोषणा की कि जो ऐसे मुसलमान नेता जो यह नहीं कहते कि आतंकी घटनाएं इस्लाम के नाम पर हो रही हैं, वे खुद काफी जटिल लोग होते हैं। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों में अमेरिका में सबसे खतरनाक आतंकी हमला हुआ और सिर्फ एक चीज में भरोसा रखने वाले लोगों ने इसे आस्था के नाम पर अंजाम दिया दिया। जब इन लोगों ने इस बात का ऐलान किया तो मुसलमान नेताओं पर एक बाध्यता सी आ गई थी कि वे इस बारे में कुछ कहें। लेकिन वे चुप रहे और जाहिर सी बात है कि फिर पूरे अमेरिका में फैले ये इस्लामिक नेता किसी जटिल इंसान के तौर पर नजर आने लगे।
पूछताछ के रोंगटें खड़े करने वाली प्रक्रिया
पोम्पेओ के सीआईए प्रमुख के तौर पर नामांकन के ऐलान के साथ ही अब फिर से अमेरिका की उन सभी रोंगटे खड़े कर देने वाले कदमों की वापसी होगी जिन्हें 9/11 के बाद अपनाया गया था। ट्रंप ने उन तकनीकों जिनमें वॉटरबॉॉर्डिंग भी शामिल है, का खुलकर समर्थन किया था। राष्ट्रपति बराक ओबामा और अमेरिकी कांग्रेस ने इन टेक्निक्स का विरोध किया था। इसके बाद वर्ष 2014 में पोम्पेओ ने राष्ट्रपति ओबामा की आलोचना की थी और कहा था कि इंटेलीजेंस ऑफिसर्स देशभक्त होते हैं न कि टॉर्चर करने वाले।