सऊदी अरब और ईरान बढ़ रहे हैं युद्ध की ओर, भारत में पेट्रोल हो सकता है 250 रु. प्रति लीटर
नई दिल्ली। मिडिल ईस्ट एक बार फिर संकट की ओर बढ़ रहा है और अगर गल्फ देशों में युद्ध जैसे हालात बने तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ने वाला है। मीडिल ईस्ट में दो धनी मुल्क ईरान और सऊदी अरब के बीच युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं, जिससे कि ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के दाम जबरदस्त रूप से बढ़ने वाले हैं। इस संकट का सबसे बूरा असर भारत के आम नागरिकों पर पड़ने वाला है।
सूत्रों की मानें तो अगर ईरान और सऊदी अरब के बीच युद्ध जैसी संभावनाएं भी बढ़ी तो इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम 200 डॉलर प्रति बैरल हो जाएगा। वर्तमान में कच्चे तेल का दाम 63 डॉलर प्रति बैरल है। इस संकट से पूरे विश्व में प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
विशेषज्ञों की मानें तो ईरान और सऊदी अरब के इस खेल में भारत की विशाल जनता पर बूरा प्रभाव पड़ने वाला है। इस संकट से प्रति बैरल कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत में 250 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल मिलेगा। इससे देश की जनता को भयंकर रूप से महंगाई की मार भी पड़ने वाली है। मीडिल ईस्ट में इस संकट से सरकारी खजाने पर भी प्रभाव पड़ेगा।
सीएनबीसी की रिपोर्ट के अनुसार कच्चे तेल की सप्लाई करने वाले सभी देशों में सऊदी अरब का कुल 20 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में सऊदी और ईरान के बीच अगर और बढ़ता है, तो सप्लाई थम जाएगी। ऐसे में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढ़ सकते हैं।
क्या
हैं
मामला
ईरान
और
सऊदी
अरब
मिडिल
ईस्ट
में
बहुत
पूराने
दुश्मन
है।
दोनों
देशों
के
बीच
लड़ाई
कई
सालों
से
चल
रहा
है,
लेकिन
2016
में
सऊदी
अरब
ने
शिया
मौलवी
निम्र
अल
निम्र
को
मौत
की
सजा
सुनाए
जाने
के
बाद
तनाव
और
ज्यादा
बढ़
गया।
वहीं,
हाल
ही
में
रियाद
एयरपोर्ट
पर
यमन
ने
मिसाइल
लॉन्च
की
थी,
जिसके
बाद
सऊदी
ने
इसके
लिए
ईरान
को
जिम्मेदार
ठहराया
था।
इसके
अलावा
हाल
में
लेबनान
के
पीएम
ने
सऊदी
अरब
जाकर
ईरान
पर
अपने
देश
में
राजनीतिक
अस्थिरता
फैलाने
का
आरोप
लगाते
हुए
इस्तीफा
दे
दिया
था।
सऊदी
अरब
लगातार
लेबनान
में
हुति
उग्रवादियों
को
हथियार
उपलब्ध
कराने
के
लिए
ईरान
को
जिम्मेदार
ठहराता
आया
है।
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