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क्‍या रविवार को दूर होगा भारत-अमेरिका न्‍यूक्लियर डील पर फंसा पेंच?

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लंदन। अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा को भारत पहुंचने में अब 48 घंटे से भी कम का समय रह गया है लेकिन इससे पहले ही दोनों देशों के बीच न्‍यूक्लियर ट्रेड से जुड़ी एक डील अटक गई है। भारत ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है कि वह डील के लिए जरूरी लायबिलिटी लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा। भारत के इंकार के बाद से अमेरिकी निवेश में कमी आ गई है।

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क्‍या है विवाद

भारत और अमेरिका के बीच परमाणु व्‍यापार कई बिलियन डॉलर का है और यह दोनों देशों के बीच रणनीतिक रिश्‍तों को एक नई दिशा दे सकता है। इस डील के साथ ही भारत को यह देश में बनने वाले हथियारों के लिए न्‍यूक्लियर टेक्‍नोलॉजी और फ्यूल हासिल हो सकेगा।

सरकार में सूत्रों ने कहा कि भारत अमेरिका के सामने परमाणु करार और न्यूक्लियर लायबिलिटी बिल को लेकर किसी भी तरह नहीं झुकेगा।

वर्ष 2010 में इंडियन न्‍यूक्लियर लायाबिलिटी लॉ की वजह से उस समय जीई-हिताची, तोशिबा के वाशिंगटन हाउस इलेक्ट्रिक कंपनी और फ्रांस की अरेवा जैसे सप्‍लायर्स को एक घटना के लिए जिम्‍मेदार माना गया था। गुरुवार को इस न्‍यूक्लियर डील के लिए भारत और अमेरिका के अधिकारियों की एक मीटिंग लंदन में हुई।

माना जा रहा है कि रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात होगी तो इस डील पर कुछ अहम घोषणा हो सकती है।

45 दिनों में तीन बार मुलाकातें

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता सैयद अकबरुद्दीन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक लंदन में भारतीय अधिकारी इस डील को फाइनल करने पर बातचीत को सही दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि पिछले 45 दिनों के अंतराल में यह तीसरा मौका है जब दोनों देशों के अधिकारी इस मुद्दे पर मुलाकात कर रहे हैं।

क्‍या है लायबिलिटी बिल

पहले बिजली रिएक्टरों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की निगरानी को लेकर चिंताएं जताई गईं और अब इस बात पर सवाल खड़ा हो रहा है कि अमेरिका भारत के न्यूक्लिर लायबिलिटी बिल (कोई हादसा होने पर मुआवज़े के प्रावधान वाला बिल) के साथ तोड़मरोड़ की कोशिश कर रहा है।

मौजूदा बिल में प्रावधान है कि अगर रियेक्टर में हादसा होता है तो उसे चलाने वाली कंपनी के साथ बेचने वाली कंपनी पर भी मुआवजे के लिए दावा किया जा सकता है।

लेकिन अमेरिका इस नए क्‍लॉज से खुश नहीं है। आपको बता दें कि रिएक्टर्स में इस्तेमाल होने वाले और रि-साइकिल होने वाले फ्यूल पर भी अमेरिका निगरानी रखना चाहता है। वहीं भारत सरकार ने इस मांग को गैरवाजिब करार दे दिया है।

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English summary
Nuclear deal between India and US struck just before the arrival of Barack Obama. According to India US officers want to clear the dear according to their wish only.
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