एमएच 370 से सबक लेने की पहल, उठाए जाएंगे ट्रैकिंग सिस्टम में सुधार के कदम
लापता विमान में लगे इनमारसेट उपकरण से थोड़े समय के लिए इलेक्ट्रॉनिक संकेत मिले थे जिससे जाँचकर्ताओं ने हिंद महासागर में विमान के मलबे की खोज की थी लेकिन बाद में वो सिग्नल मिलने बंद हो गए।
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इनमारसेट का कहना है कि वह जिस मुफ़्त सेवा की पेशकश कर रहा है उससे विमान की स्थिति का पता लगाया जा सकेगा। इससे विमान जीपीएस के सहारे अपनी स्थिति निर्धारित कर सकेगा और अपनी स्थिति, गति और ऊँचाई के बारे में हर 15 मिनट में इनमारसेट के वैश्विक नेटवर्क पर आंकड़े भेजेगा। भारी ख़र्च की वजह से ही कहा जाता है विमान कंपनियां सैटेलाइट ट्रैकिंग स्थापित करने से कतराती हैं।
अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन इस तरह की त्रासदी और इससे जुड़े रहस्य को दोबारा दोहराए जाने से रोकने के लिए कल और आज मांट्रियल में एक विशेष बैठक आयोजित कर रहा है
। एक बयान में कहा गया कि भागीदारों की बैठक में वर्तमान तकनीकों के इस्तेमाल को खोजा जाएगा ताकि विमानों का पता वैश्विक स्तर पर और सही लागत पर लगाने के लिए साधन उपलब्ध कराए जा सकें।
आईसीएओ ने कहा, इन तकनीकों की मदद से मूल आंकड़े जैसे विमान की स्थिति, उसका झुकाव, गति, रिकॉर्ड की हुई बातचीत और अचानक किसी परिवर्तन की स्थिति में उपग्रह के माध्यम से ट्रांसमिट की गई बातचीत आदि जुटाने में मदद मिल सकती है। हालांकि इस पहल को पूरी तरह लापता विमान से लिया गया सबक बताया जा रहा है।