चीन ने भारत से कहा सीपीईसी पर स्वीकार करे पाक का निमंत्रण
पाकिस्तान के एक जनरल ने भारत को दिया था चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का हिस्सा बनने का इनवाइट। चीन की आधिकारिक मीडिया ने कहा भारत को स्वीकार करना चाहिए पाक का यह इनवाइट।
बीजिंग। पिछले दिनों पाकिस्तान के एक सीनियर आर्मी ऑफिसर ने भारत को सुझाव दिया था कि उसे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का हिस्सा बनना चाहिए। अब चीन की आधिकारिक मीडिया ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। चीन की मीडिया की ओर से कहा गया है कि भारत को पाक आर्मी ऑफिसर की इस पेशकश को स्वीकार कर लेना चाहिए।
मीडिया और विदेश मंत्रालय का एक ही सुर
चीन के सरकारी न्यूजपेपर ग्लोबल टाइम्स ने एक आर्टिकल में लिखा है चीन, पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थक ठहराने वाले किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेगा। इस आर्टिकल के अलावा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से भी पाक सेना के लेफ्टिनेंट जनरल आमीर रियाज के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, 'उन्हें हैरानी है कि इस इनवाइट पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है भले ही यह पाकिस्तान की ओर से भेजा गया एक अच्छा संकेत हो।' हुआ ने कहा कि चीन के पक्ष से सीपीईसी आपसी सहयोग का एक बेहतर खाका है और चीन को उम्मीद है कि यह न सिर्फ पाक को फायदा पहुंचाएगा बल्कि इस क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने कहा कि भारत को एक खुला प्रस्ताव दियास गया है और चीन, किसी भी तीसरे पक्ष को इसमें शामिल करने को लेकर बातचीत करने को तैयार है। पढ़ें-पाक के जनरल ने भारत को दिया सीपीईसी से जुड़ने का ऑफर
क्या कहा था पाक जनरल ने
पाकिस्तानी सेना के सदर्न कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रियाज ने इस हफ्ते कहा था कि भारत को पाकिस्तान के साथ दुश्मनी छोड़कर सीपीईसी से जुड़ना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 'दुश्मनी को कम करने का सबसे अच्छा तरीका आपसी फायदों पर आधारित आर्थिक सहयोग स्थापित करना है। उन चीजों को अलग रखा जाए जिनसे सहमति नहीं बन सकती है।' पढ़ें-रूस का दोहरा रवैया, सीपीईसी पर रूस ने दिया पाकिस्तान को समर्थन लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रियाज ने कहा था कि पाकिस्तान के खिलाफ गतिविधियों को संचालित करने के बजाय बेहतर होगा कि भारत भी इसका हिस्सा बन जाए। जनरल रियाज ने यहां तक कह डाला था कि जैसे ईरान, अफगानिस्तान, चीन और सेंट्रल एशिया के बाकी देशों को सीपीईसी का फायदा मिल रहा है, वैसे ही भारत को भी इसका फायदा उठाना चाहिए।