जानिए कौन हैं ट्रंप के यार अमेरिकी हिंदू नेता शलभ शाली कुमार
अमेरिका में पिछले चार दशकों से बसे हिंदू नेता शलभ शाली कुमार अब नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के काफी करीबी। ट्रंप की एडवाइजरी काउंसिल में एक अहम पद रखते हैं शलभ कुमार।
वाशिंगटन। जब से रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने हैं तब से ही आपको एक नाम सुनने को मिल रहा है, शलभ शाली कुमार का। शलभ अमेरिका में बहुत बड़े हिंदू नेता हैं और इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में एक अहम रोल अदा किया है।
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शाली अमेरिका में रिपब्लिकन हिंदू कोऑलिशन के नाम से एक संस्था चलाते हैं। वह अमेरिका के एक काफी लोकप्रिय बिजनेसमैन भी बन गए हैं।
शाली मानते हैं कि अब समय आ गया है जब अमेरिका को कोई बिजनेसमैन लीड करे न कि कोई स्वार्थी नेता।
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शाली ने चुनावों के दौरान न सिर्फ ट्रंप के लिए फंड इकट्ठा करने का काम किया बल्कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद वह भारत और अमेरिका के रिश्तों को आगे बढ़ाने में भी लगे हैं।
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शाली का मानना है कि ट्रंप के नेतृत्व में भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने भारतीयों को भरोसा दिलाया है कि ट्रंप जल्द से जल्द पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करेंगे।
आइए आज आपको बताते हैं कि कौन हैं यह शलभ कुमार और कैसे डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक से वह रिपब्लिकन समर्थक बन गए।
हरियाणा के शलभ कुमार
शलभ शाली कुमार अमेरिका में इस समय मशहूर भारतीय बिजनेसमैन हैं। वह परोपकार के कामों से भी जुड़े हुए हैं और शिकागो में रहते हैं। राजनीतिक पार्टियों को दान देना, समुदाय के लिए काम करना और सनातन धर्म पर टिप्पणियां करते हैं। शलभ का जन्म हरियाणा के जिले अंबाला के एक गांव में हुआ था। वर्ष 1965 में उन्होंने पंजाब यूनवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1969 में उन्होंने पंजाब के ही इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में बीएस की डिग्री हासिल की।
बोस, भगत सिंह और आजाद की फोटो से मिली लोकप्रियता
शलभ बीएस की डिग्री लेने के बाद अमेरिका के इलिनियॉस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पहुंचे यहां पर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की कुछ अनदेखी फोटोग्राफ्स की प्रदर्शन लगाई। इन फोटोग्राफ्स में सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की फोटोग्राफ्स शामिल थीं।
एवीजी के मालिक
शलभ कुमार ने वर्ष 1975 में एवीजी एडवांस्डटेक्नोलॉजी की शुरुआत की। यह कंपनी ऑटोमेशन कंट्रोल, सेमी-कंडक्टर्स, टेलीकम्यूनिकेशंस और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट का निर्माण करती है और उनका डिस्ट्रीब्यूशन करती है। कुमार फर्म के चेयरमैन हैं और कंपनियों का हेडक्वार्टर शिकागो में है। यहीं से सारी दुनिया में इसका डिस्ट्रीब्यूशन होता है। इस कंपनी के अलावा कुमार ने सर्किट इंटरनेशनल इनकॉरपोरेटेड के सीईओ, माइक्रोसॉफ्ट कंट्रोल कॉरपोरेशन, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट सिस्टम, पीईसी रिलायंस ऐसी कई कंपनियों में काम किया है। कुमार नैनोफासट इनकॉरपोरेटेड और नेशनल कंट्रोल कॉरपोरशन के साथ भी काम कर चुके हैं।
कैसे बने डेमोक्रेटिक से रिपब्लिकन
एक स्वतंत्रता सेनानी के घर जन्म लेने वाले शाली हिंदू धर्म की प्रैक्टिस करते आ रहे थे। वर्ष 1969 में जब वह अमेरिका पहुंचे तो उस समय तक वह डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक थे। उसके बाद वर्ष 1979 में उनकी मुलाकात तत्कालीनअमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और जैक केंप से हुई। यहां वह रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक बन गए। इसके बाद वर्ष 1980 में उन्होंने रीगन के कैंपेन मैनजर डॉन टॉट्टेन के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने भारतीय-अमेरिकी समुदाय को इकट्ठा किया और फिर पहली भारतीय अमेरिकी रिपब्लिकन संस्था की शुरुआत की। यह संस्था वर्ष 1983 में शुरू हुई थी। शाली ने रीगन के साथ स्मॉल बिजनेस एडवाइजरी काउंसिल में भी काम किया।
पाक के खिलाफ लॉबिंग की शुरुआत
वर्ष 2011 में बिन लादेन के पाकिस्तान में होने की खबरें आईं तो शाली ने अपना रुख बदल लिया। वर्ष 2012 में वह एक कैपिटॉल हिल में एक सक्रिय नागरिक लॉबिस्ट बन गए। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य टेड पो को समर्थन देना शुरू किया। टेड पो ही वह कांग्रेसी हैं जिन्होंने इस वर्ष पाक को आतंकी देश घोषित करने वाला बिल पेश किया और जिन्होंने वर्ष 2012 में पाक की आर्थिक मदद कम करने वाला बिल पास करवाया था।
शुरू किया एक थिंक टैंक
इसी वर्ष शाली ने नेशनल इंडियन अमेरिकन पॉलिसी पब्लिक इंस्टीट्यूट या एनआईएपीपीआई की शुरुआत की। यह एक थिंक टैंक है जो भारतीय अमेरिकियों से जुड़े मुद्दों पर फोकस करता है। मार्च 2013 में इसी थिंक टैंक और शाली के साथ कई अमेरिकी बिजनेसमैन और राजनेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उनसे मुलाकात की और उन्हें अमेरिका आने का आमंत्रण दिया था। लेकिन उस समय तक अमेरिका ने मोदी के गुजरात आने पर पाबंदी लगाई हुई थी।
मुसलमानों पर ट्रंप की राय का समर्थन
शाली पाकिस्तान और मुसलमानों पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करते हैं। उन्होंने मुसलमानों की प्रोफाइलिंग वाली ट्रंप की बात पर भी उनका समर्थन किया है। उन्होंने न्यूट गिंगरिच की उस बात का समर्थन भी किया है जिसमें उन्होंने अमेरिका में बसे मुसलमानों की जांच करने की बात कही थी। साथ ही वह अमेरिका में मौजूद मस्जिदों पर सर्विलांस बढ़ाने की भी बात करते हैं। जून 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था तो शाली भी वहां मौजूद थे।
बेटे की आलिशान शादी
शलभ के बेटे विक्रमादित्य की शादी इंग्लैंड में जन्मी मिस अर्थ इंडिया रह चुकी पूजा चिटगोपकर से वर्ष 2011 में हुई थी। यह शादी भारतीय मीडिया में भी सुर्खियों में रही थी। न्यूजीलैंड में हुई उस शादी को न्यूजीलैंड के इतिहास की सबसे बड़ी शादी बताया गया। शादी शलभ कुमार अपने बेटे की बारात नौ हेलीकॉप्टर्स में लेकर गए थे और तीन दिन तक चली इस शादी में सारे हिंदू रीति-रिवाज हुए थे।