क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

झुकी मीनार वाली सुप्रसिद्ध अल-नूरी मस्जिद इसलिए थी ख़ास...

मूसल की 800 साल से भी पुरानी मस्जिद आईएस और इराक़ी सेना की लड़ाई में ध्वस्त हो गई है. सेना का आरोप है आईएस ने इसे उड़ा दिया.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
अल-नूरी मस्जिद
Reuters
अल-नूरी मस्जिद

इराक़ के मूसल शहर की प्रसिद्ध अल-नूरी मस्जिद सरकारी बलों और जिहादी समूह इस्लामिक स्टेट के संघर्ष में ध्वस्त हो गई है.

इराक़ी सेना ने कहा कि आईएस के चरमपंथियों ने मस्जिद और झुकी हुई 'अल-हब्दा' मीनार को उड़ा दिया है. यह मस्जिद इस प्राचीन शहर का ख़ास और प्रसिद्ध स्थल था.

मस्जिद किसने गिराई?

हालांकि इस्लामिक स्टेट ने इस मस्जिद को गिराने के लिए अमरीकी नेतृत्व वाले सहयोगी गठबंधन सेना पर आरोप लगाया है. यह मस्जिद आईएस के जन्म का गवाह रही है.

आईएस नेता अबु बकर अल-बग़दादी ने 2014 में यहीं से एक नया इस्लामिक राज बनाने की घोषणा की थी. इस घोषणा के आठ हफ़्ते बाद ही अबु बकर अल बग़दादी के लड़ाकों ने शहर पर कब्ज़ा कर लिया था.

इस मस्जिद का नाम तुर्क शासक नूर अल-दिन महमूद ज़ांगी के नाम पर रखा गया था. नूर अल-दीन महमूद ज़ांगी मूसल और अलेपो शहर के शासक थे.

'आईएस ने इराक़ की ऐतिहासिक अल नूरा मस्जिद को उड़ाया'

क्या हवाई हमले में मारा गया अबू बक़्र अल बग़दादी?

कौन हैं जो जिहाद को बेहतरीन इबादत मानते हैं?

उन्होंने ईसाइयत के ख़िलाफ़ मुसलमानों को एक कर जिहाद के लिए लामबंद किया था. नूर ने इस मस्जिद को बनाने की घोषणा अपनी मौत से दो साल पहले की थी.

नूर अल दीन का शासन

28 साल के शासन में नूर अल-दीन ने दमिष्क पर कब्ज़ा कर लिया था और उन्होंने इसी के साथ ही सलादीन की (भविष्य में होने वाली) कामयाबी की बुनियाद रख दी थी.

अयुबिद वंश की नींव डालने और 1187 में यरुशलम पर फिर से कब्ज़ा के पहले सलादीन मिस्र में नूर अल-दीन के कमांडर रहे थे.

नूर अल-दीन को जिहादी परम पूजनीय मानते हैं क्योंकि उन्होंने शियाओं के ऊपर सुन्नियों का वर्चस्व स्थापित किया था. इस मस्जिद के साथ भले एक शासक का नाम जुड़ा है लेकिन इसे लोग झुकी हुई मीनार के लिए जानते थे.

कुछ स्तंभ, मेहराब और एक ताख़ा मक्का की दिशा की ओर संकेत करते थे.

बेलनाकार मीनार ईंट की बनी थी और इस पर जो कारीगरी थी वह ईरानी शैली से प्रेरित थी. इसके ऊपर एक छोटा सा गुंबद था जिस पर सफ़ेद प्लास्टर था.

क्यों झुकी 150 फ़ुट ऊंची मीनार?

अल-बग़दादी
Reuters
अल-बग़दादी

जिस वक़्त इसका निर्माण पूरा हुआ उस वक़्त मीनार की ऊंचाई 150 फुट थी. 14वीं शताब्दी में इब्न बतूता मूसल गए थे और मीनार में तब भी काफ़ी झुकाव था.

तब इस मीनार को 'अल-हब्दा' या कुबड़ा मीनार नाम मिल चुका था.

मीनार कैसे झुकी इसकी वजह आज तक पता नहीं है. स्थानीय परंपरा के मुताबिक पैगंबर मोहम्मद निधन के बाद जन्नत जा रहे थे तब मीनार उनके सम्मान में झुक गई थी.

हालांकि ऐसा मानने वाले इस तथ्य की उपेक्षा करते हैं कि इस मीनार के निर्माण से शताब्दियों पहले पैगंबर मोहम्मद का निधन हो गया था.

विशेषज्ञों का मानना है कि मीनार झुकने की वजह उत्तरी-पश्चिमी तेज़ हवा है. इसके साथ ही दक्षिण की ओर से सूर्य की रोशनी पड़ने के कारण ईंटें कमज़ोर हुईं या फिर ईंटों को जोड़ने के लिए जिस प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया था वह मुलायम था.

मूसल
AFP
मूसल

ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान भी मस्जिद को बम से नुक़सान पहुंचा था. मीनार के बेस के पास अंडरग्राउंड पाइप नष्ट हो गए थे. उसके आसपास सीवर के लिए खोदाई किए जाने के कारण भी इस मस्जिद की नींव कमज़ोर पड़ी थी.

2012 में यूनेस्को ने बताया था कि मीनार अपनी सीधी धुरी से 2.5 मीटर झुकी है. इसके साथ ही यूनेस्को ने इसके गिरने की संभावना की चेतावनी दी थी.

दो जून 2014 को यूनेस्को ने स्थानीय सरकार की मदद से इस मीनार को लेकर एक संरक्षण कार्यक्रम चलाया था. हालांकि मूसल बाद में इस्लामिक स्टेट के कब्ज़े में आ गया और फिर इस कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ाया जा सका.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Islamic State blows up landmark Great Mosque of al-Nuri and famous leaning minaret in Mosul
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X