बांग्लादेश: कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी के नेता मीर काासिम अली को फांसी
ढाका। बांग्लादेश के कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी के नेता, फाइनेंसर और मीडिया टायकून मीर कासिम अली को 1971 में मुक्ति संग्राम के दौरान के अपराधों के लिए फांसी दे दी गई। काशिमपुर सेंट्रल जेल में कासिम को काल कोठरी में रखा गया था। परिवार को उनसे आखिरी बार मिलने के लिए जेल में बुलाया गया।
READ ALSO: जियो, एयरटेल या फिर बीएसएनएल, कौन सा प्लान है सस्ता और बेहतर?
अब तक छह को हो चुकी है फांसी
मीर कासिम अली समेत अब तक छह लोगों को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए आजादी के संग्राम के दौरान अपराधों के लिए बांग्लादेश में फांसी दी जा चुकी है। सबको काशिमपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। मीर कासिम अली ने मौत की सजा के खिलाफ याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आखिरी बार खारिज किए जाने के बाद राष्ट्रपति से क्षमादान मांगने से इंकार कर दिया था जिसके बाद उनको रात में बांग्लादेश के स्थानीय समय 10.30 मिनट पर फांसी पर लटका दिया गया।
जमात ए इस्लामी के नेता थे मीर कासिम अली
बांग्लादेश के बड़े उद्योगपति और मीडिया टायकून कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी के सेंट्रल एक्जेक्यूटिव काउंसिल के सदस्य थे। 1980 के दशक में उन्होंने जमात को बांग्लादेश में पैर जमाने के लिए अरबों रुपए दिए थे। मीर कासिम अली को पाकिस्तान समर्थक आतंकी संगठन अल बद्र के टॉर्चर सेल को चलाने का दोषी पाया गया जिसमें कई लोगों को यातना देकर मारा गया था।
तीस लाख लोगों की हुई थी मौत
1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लगभग 30 लाख लोगों को पाकिस्तानी सेना और उसके स्थानीय समर्थकों ने मौत के घाट उतारा था।
2010 में शुरू हुआ ट्रायल
1971 के युद्ध अपराधियों के खिलाफ बांग्लादेश ने 2010 में ट्रायल शुरू किया। अब तक छह लोगों को युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा दी जा चुकी है।
READ ALSO: 10 रुपए का नकली सिक्का है अफवाह, यकीन नहीं तो खुद ही पढ़ लें