भारत का पड़ोसी बना ISIS, खूनी जंग के आसार
बेंगलुरु। अगर इस बात से निश्चिंत हैं आतंकी संगठन ISIS के आतंकियों के लिये भारत अभी दूर है, तो आप गलत हैं। जबकि सच तो यह है कि अब आईएसआईएस भी भारत का पड़ोसी बन गया है। जी हां इस संगठन ने अफगानिस्तान में अपनी इकाई लॉन्च कर दी है। इस इकाई का नाम है अल-खोरासां।
आतंकवाद से जंग भारत के लिये एक लंबी लड़ाई होती जा रही है। अभी तक लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा, जमात-उद-दावा, इंडियन मुजाहिदीन, आदि संगठनों से निबटना कठिन हो रहा है, वहीं एक और संगठन खड़ा हो गया है। अल-खोरासां ने फिलहाल किसी अन्य आतंकी संगठन को अपना दोस्त नहीं बनाया है। जाहिर है संगठन की तमन्ना पाकिस्तान के अंदर जड़ें फैलाने की हैं।
ऐसे में पाकिस्तान के अदंर यह जंग भारी मात्रा में खून बहाने की तैयारी में है। अफगानिस्तान में स्थिरता बनी रहे, यह भारत के लिये बेहद जरूरी है। ऐसे में भारत को सिर्फ मूक दर्शक बनकर नहीं बैठना होगा।
हाफिज सईद भी अल-खोरासां के साथ
आईएसआईएस ने अल-खेरासां की स्थापना करते वक्त साफ कह दिया था कि उनकी सीधी जंग तालिबान के मुल्ला उमर से होगी अैर अल कायदा से होगी। इसी जीत को हासिल करने के लिये अल-खोरासां ने तहरीक-ए-तालिबान के पूर्व चीफ हाफिज सईद खान को अपने साथ जोड़ा है।
अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो ओसामा बिन लादेन को अफगानिस्तान में पैर जमाने में सालों लग गये। वहीं अब वही काम आईएसआईएस कर रहा है।
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किसके दम पर फूल रहा खोरासां
दुनिया वालों के लिये अफगानिस्तान में सिर्फ तालिबान और अल-कायदा हैं, जबकि सच तो यह है कि छोटे-छोटे संगठनाों के जरिये आईएसआईएस यहां अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है। तालिबान और अल कयदा हालांकि अब बंट चुके हैं।
आईएसआईएस की इस इकाई का काम होगा इन आतंकी संगठन को एक छतरी के नीचे लाना। और ऐसा होने पर भारत के लिय खतरा कई गुना बढ़ जायेगा।
एक समीकरण यह भी बन सकते हैं कि अल-खोरासां का वर्चस्व बढ़ता देख अल कायदा, जमात-उल-अहरार आईएसआईएस पर हमला बोल दें। अगर ऐसा हुआ तो दोनों के बीच बड़ी खूनी जंग होगी। वो न तो अल-कायदा में है और न ही आईएसआईएस में। तब देखने वाला होगा कि तहरीक-ए-तालिबान क्या करता है। इस जंग का अंदेशा अल-कायदा को हो चुका है, इसलिये उसने अभी से स्थानीय व छोटे-छोटे संगठनों को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है।
क्यों चिंता करे भारत?
आतंकी संगठनों के बीच जंग में सबसे ज्यादा खून अफगानिस्तान में बहेगा और निश्चित तौर पर उसकी छींटें पाकिस्तान और भारत दोनों पर पड़ेंगे। भारत के लिये सबसे बड़ी चिंता कश्मीर है। आईएसआईएस अगर अफगानिस्तान में जम गया तो वो पाकिस्तान के संग मिलकर कश्मीर के लिये बड़ी जंग का ऐलान कर सकता है।
दूसरी सबसे बड़ी चिंता है भारतीयों के आईएसआईएस में शामिल होने की। वर्तमान में दूर होते हुए भी भारत से रिक्रूटमेंट जारी है। अगर आईएसआईएस अफगानिस्तान में जम गया तो यहां के युवाओं की भर्ती और तेज कर देगा।